साहिबगंज: लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. गुरुवार को छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर कद्दू-भात ग्रहण किया. नहाय-खाय के साथ ही व्रत की भी शुरूआत हो गई.
चार दिनों तक चलने वाले सूर्य उपासना का महापर्व नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया. कार्तिक महीने में भगवान सूर्य की उपासना की विशेष परंपरा है. इस बार पहली नवंबर को खरना और दो नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. जिसके बाद 3 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व छठ का समापन हो जाएगा. नहाय-खाय से लेकर अगले 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रती को लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना पड़ता है. जिसकी शुरूआत साहिबगंज में श्रद्धालुओं ने गुरुवार को गंगा स्नान कर इस महापर्व की शुरुआत की. इस दौरान सुबह से ही शहर के सभी घाटों के श्रद्धालु और छठ व्रति स्नान के लिए गंगा घाट पर पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु स्नानकर अपने साथ कांसा के बर्तन में शुद्ध जल को अपने साथ ले जाते हैं और उसी जल के साथ नहाय-खाय की शुरुआत करते हैं.
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लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा गुरुवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ. जिसको लेकर एक दिन पहले से ही साहिबगंज के गंगा घाट में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. स्नान के बाद छठ व्रती और श्रद्धालुओं ने गंगा मैया की पूजा-अर्चना की. इस दौरान छठ व्रती गंगा स्नान कर गंगाजल को पूजा के लिए अपने साथ घर भी ले गई. इस दौरान गंगा घाट पर पहुंची व्रतियों ने बताया कि आज कद्दू-भात खा कर हम श्रद्धालु अगले 2 दिन तक उपवास करेंगे. खरना के प्रसाद ग्रहण करने के बाद अगले 24 घंटों तक वे पानी तक नहीं ग्रहण करेंगे. व्रतियों ने बताया कि छठ पर्व में शुद्धता का बहुत ख्याल रखा जाता है.