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झाड़-फूंक से नहीं होता रैबीज का इलाज, कुत्ता काटे तो अस्पताल में मुफ्त लगवाएं वैक्सीन - साहिबगंज में झाड़-फूंक से इलाज

झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी इलाज के लिए झाड़-फूंक और ओझा-बाबा को प्राथमिकता देकर अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. इसी तरह कुत्ता या किसी जानवर के काटने पर रैबीज के इलाज के लिए साहिबगंज के सदर प्रखंड के कुम्हार टोली में भी जिले के अलावा पाकुड़, कटिहार से लोग झाड़-फूंक कराने आते हैं, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार स्पष्ट नहीं है.

blind faith case story in sahibganj
झाड़-फूंक से नहीं होता रैबीज का इलाज
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Published : Oct 20, 2020, 7:28 AM IST

साहिबगंजः प्रदेश से लेकर देश तक में शिक्षा का स्तर बढ़ा है, लोगों में जागरूकता आई है पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो इलाज के लिए झाड़-फूंक ओझा और बाबा को तवज्जो देकर अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं. साहिबगंज के सदर प्रखंड के कुम्हार टोली मोहल्ला में हर रविवार, मंगलवार को ऐसे ही लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं. यहां कुत्ता काटने या किसी और जानवर के काटने के बाद रैबीज के इलाज के लिए टोटके कराते हैं.

देखें पूरी खबर

बाबा ऐसे करते हैं इलाज

साहिबगंज के कुम्हार टोली मोहल्ला में अधेड़ राजेन्द्र पंडित कई सालों से कुत्ता, बिल्ली या किसी और जानवर के काटने पर रैबीज के प्रभाव से बचने का इलाज करते हैं. इसके लिए बाबा झाड़-फूंक कर पीड़ित को अरवा-चावल देकर मिट्टी की ढंकनी पर फूटने तक गोल-गोल घुमाते हैं. ढंकनी फूट गई तो समझा जाता है कि रैबीज का प्रभाव निकल गया. बाद में सिर पर हाथ रखकर बाबा मंत्र पढ़ते हैं, हालांकि पीड़ितों को कोई जड़ी-बूटी भी खाने को दी जाती है. झाड़-फूंक करने वाले बाबा का कहना है कि उनके यहां रविवार और मंगलवार को रैबीज के इलाज के लिए भागलपुर, गोड्डा, दुमका, पाकुड़, कटिहार, पश्चिम बंगाल तक से लोग आते हैं. बाबा का दावा है कि उनके टोटके और झाड़-फूंक से यहां आने वाला हंस कर जाता है. कई परिवार तो पीढ़ियों से इसी नुस्खे से रैबीज का इलाज कराते हैं.

ये भी पढ़ें-आस्था या अंधविश्वास: कड़वे नीम के पेड़ से निकल रहा दूध! प्रसाद मानकर पी रहे लोग

चिकित्सक बोले-जानवर के काटने पर मुफ्त वैक्सीन लगवाएं

गांव-गिरांव में प्रचलित ऐसे अंधविश्वासों से लोगों को चिकित्सक आगाह करते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे टोटकों से इलाज खतरनाक है. कुत्ता या किसी जानवर के काटने पर लोगों को अस्पताल आकर मुफ्त में मिलने वाली एंटी रैबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए. जिला सिविल सर्जन डीएन सिंह का कहना है कि जिला सदर अस्पताल के साथ उप स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी रैबीज की वैक्सीन उपलब्ध है. इसी से शरीर से रैबीज का दुष्प्रभाव खत्म होता है. टोटके से इलाज जानलेवा हो सकता है.

साहिबगंजः प्रदेश से लेकर देश तक में शिक्षा का स्तर बढ़ा है, लोगों में जागरूकता आई है पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो इलाज के लिए झाड़-फूंक ओझा और बाबा को तवज्जो देकर अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं. साहिबगंज के सदर प्रखंड के कुम्हार टोली मोहल्ला में हर रविवार, मंगलवार को ऐसे ही लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं. यहां कुत्ता काटने या किसी और जानवर के काटने के बाद रैबीज के इलाज के लिए टोटके कराते हैं.

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बाबा ऐसे करते हैं इलाज

साहिबगंज के कुम्हार टोली मोहल्ला में अधेड़ राजेन्द्र पंडित कई सालों से कुत्ता, बिल्ली या किसी और जानवर के काटने पर रैबीज के प्रभाव से बचने का इलाज करते हैं. इसके लिए बाबा झाड़-फूंक कर पीड़ित को अरवा-चावल देकर मिट्टी की ढंकनी पर फूटने तक गोल-गोल घुमाते हैं. ढंकनी फूट गई तो समझा जाता है कि रैबीज का प्रभाव निकल गया. बाद में सिर पर हाथ रखकर बाबा मंत्र पढ़ते हैं, हालांकि पीड़ितों को कोई जड़ी-बूटी भी खाने को दी जाती है. झाड़-फूंक करने वाले बाबा का कहना है कि उनके यहां रविवार और मंगलवार को रैबीज के इलाज के लिए भागलपुर, गोड्डा, दुमका, पाकुड़, कटिहार, पश्चिम बंगाल तक से लोग आते हैं. बाबा का दावा है कि उनके टोटके और झाड़-फूंक से यहां आने वाला हंस कर जाता है. कई परिवार तो पीढ़ियों से इसी नुस्खे से रैबीज का इलाज कराते हैं.

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चिकित्सक बोले-जानवर के काटने पर मुफ्त वैक्सीन लगवाएं

गांव-गिरांव में प्रचलित ऐसे अंधविश्वासों से लोगों को चिकित्सक आगाह करते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे टोटकों से इलाज खतरनाक है. कुत्ता या किसी जानवर के काटने पर लोगों को अस्पताल आकर मुफ्त में मिलने वाली एंटी रैबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए. जिला सिविल सर्जन डीएन सिंह का कहना है कि जिला सदर अस्पताल के साथ उप स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी रैबीज की वैक्सीन उपलब्ध है. इसी से शरीर से रैबीज का दुष्प्रभाव खत्म होता है. टोटके से इलाज जानलेवा हो सकता है.

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