साहिबंगज: झारखंड का एक मात्र जिला साहिबंगज है, जहां उत्तरवाहिनी गंगा नदी बहती है. जो 83 किमी इस जिला को छूकर बंगाल की खाड़ी में जाकर गिर जाती है. प्रकृति को स्वच्छ, साफ-सुथरा रखने में कोरोना काल का अहम भूमिका माना जा रहा है.
जिस तरह से लॉकडाउन लगने के साथ सारा काम काज ठप हो गया था. इसका प्रतिकूल असर प्रकृति में देखने को मिला. साहिबगंज की गंगा जल को पहले लोग आचमन करने से कतराते थे. आज गंगा शुद्ध हो चुकी है. शहर का गंदा पानी कम होने और फेरी सेवा बंद होने से गंगा इन दोनों अविरल, निर्मल हो चुकी है.
गंगा नदीं दिख रही साफ
पहले की तरह लोग गंगा नदी स्नान करने या कपड़ा धोने के लिए नहीं आ रहे हैं. आज तक फेरी सेवा बंद है. नाव से गंगा के रास्ते लोग आर पार कर रहे है. गंगा में केमिकल चीज प्रवाहित होना कम हो गया है. यही वजह है आज की गंगा पहले की तुलना में अधिक साफ दिख रही है.
गंगा का जल था काला
स्थानीय लोगों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले गंगा का जल काला दिखता था. स्नान करने में मन नहीं भाता था, पूजा के वक्त आचमन करने में मन भागता था, लेकिन अब गंगा का जल पहली बार इतना शुद्ध, अविरल और निर्मल दिख रहा है. गंगा की इस अविरलता को देखने के लिए हम लोग प्रतिदिन आते हैं.
इसे भी पढ़ें-वैश्विक महामारी के बीच आस्था में नहीं कोई कमी, 14 वर्षीय बालक ने किया मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण
गंगा नदी पहली से हुई शुद्ध
पर्यावरणविद ने कहा कि कोविड-19 हम देशवासियों को कुछ सीख देकर जाएगा. भोग विलास में लोग भूल चुके है की प्रकृति को भी संरक्षण करना है. लगातार वनों की कटाई हो रही है. गंगा नदी में मालवाहक और यात्री जहाज चलाया जा रहा है. रोजना इससे कार्बन डाइऑक्साइड इस जल में छोड़ा जा रहा है. शहर की गंदगी और नाला का पानी इस गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है. लेकिन आज लॉकडाउन से लेकर अनलॉक-5 तक इन चीजों में पाबंदी लगी है. आज इसका परिणाम हमारे और आपके बीच है कि गंगा नदी को पहली बार शुद्ध देखा जा रहा है. डॉल्फिन की भी अब हलचल देखने को मिल रही है. जिला प्रशासन को चाहिए कि यह शुद्धता और अविरलता हमेशा बरकरार बनाए रखे.