साहिबगंज: जिले में किसानों को लगातार दूसरे साल मानसून से मायूसी हाथ लगी है. उनको इस बात का अहसास हो गया है कि अब फिर से एक साल तंगी और बदहाली में जीवन जीना पड़ेगा. इस बात की चिंता किसानों को सबसे ज्यादा सता रही है. इस स्थिति के लिए किसानों ने सरकार को दोषी ठहराया है.
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क्या कहते हैं किसान: किसानों का कहना है कि एक बार जमकर बारिश हो जाए तो धान की फसल अपनी रंगत में आ जाएगा. पिछले साल भी सुखाड़ से आपदा झेलनी पड़ी थी. कहा कि सरकार से 3500 रुपये राहत राशि भेजी गई है, इससे क्या हो जाएगा. इतने कम पैसे में क्या साल भर का आनाज हो जाएगा. यदि खेती से अनाज की उपज होती है तो खाने के साथ साथ बेचकर भी पैसा कमा सकते हैं. किसानों ने कहा कि इश्वर पर विश्वास है कि आज कल बारिश होगी और फिर खेत हरा भरा होगा.
मात्र 26% धनरोपनी: जिले में अभी तक मात्र 26% धनरोपनी हुई है. जबकि अभी तक करीब 60% धनरोपनी पूरी हो जानी चाहिए थी. पिछले 15 दिनों से बारिश नहीं होने से स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है. धनरोपनी की गति धीमी हो गई है. हर दिन किसान अपने खेत में पहुंचकर बर्बाद रोपा और खेत में पड़े दरार को देख रहे है. जिले में सोमवार तक बारिश कम होने की वजह से धनरोपनी का प्रतिशत इतना कम है.
पिछले 17 जुलाई से बारिश नहीं होने से स्थिति भयावह होती जा रही है. जो किसान रोपनी कर चुके हैं. पानी के अभाव में खेत में दरार पैदा होती जा रही है. पौधे सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. एक बार फिर से साहिबगंज सहित झारखंड के अन्य जिलों में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.
सरकार से बोरिंग की डिमांड: किसानों ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से हर साल उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है. सरकार आज तक आपदा से निपटने के लिए कोई योजना नहीं बना पाई है. दियारा क्षेत्र में एक भी बोरिंग नहीं है. यदि सरकार दस बोरिंग करवा दे तो किसान को सुखाड़ का सामना नहीं करना पड़ता. किसानों ने कहा कि बर्बादी के लिए सरकार जिम्मेदार है. इस साल भी सुखाड़ का सामना करना पड़ गया तो बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे.
पदाधिकारी ने क्या कहा: प्रभारी कृषि पदाधिकारी प्रमोद एक्का ने कहा कि किसान को हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है. धैर्य रखें. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त तक खरीफ फसल का समय है. बारिश होने की उम्मीद है. फिर भी ऐसा नहीं होता को कम अवधि वाले फसल को लगाएं या मोटा अनाज रागी, मक्का सहित अन्य फसल की पैदावार करें. कम पानी व कम अवधि में उपज हो जाएगा. बाजार में अन्य अनाज की अपेक्षा अधिक दाम मिलेगा.