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विरासत में इस परिवार को मिला अंधेरा, तीन पीढ़ी से हो रही अंधेपन की बीमारी

किसी को विरासत में पैसे मिलते हैं, तो किसी को विरासत में जमीन, लेकिन साहिबगंज के एक परिवार को विरासत में अंधेरा मिला है. राजमहल अनुमंडल के दरला पंचायत के दरला गांव में एक परिवार है जो तीन पीढ़ी से अंधापन का शिकार हो रहा है.

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Published : Oct 6, 2020, 1:18 PM IST

साहिबगंज: राजमहल अनुमंडल स्थित तीनपहाड़ थाना अंतर्गत दरला पंचायत के दरला गांव में स्व देबू महतो का घर है. इनसे शुरू होती है अंधापन का शिलशिला. लगातार तीन पीढ़ी से यह परिवार अंधापन का शिकार हो रहा है. किसी तरह दूसरों के भरोसे इनकी जिंदगी कट रही है. घर का मुखिया देबू महतो और इनकी पत्नी का देहांत हो चुका है. दोनों देख नहीं पाते थे. इनका तीन संतान, जिसमें एक पुत्र और एक पुत्री देख नहीं पाते हैं. हालांकि, बेटे सागर को ये बीमारी नहीं हुई, लेकिन सागर की बेटी अंधी ही पैदा हुई.

देखिए पूरी खबर

भगवान को दोष नहीं देते पीड़ित

पीड़ित धीरन महतो इसको लेकर भगवान को दोष नहीं देते वो कहते हैं कि गरीबी की वजह से हम सभी अंधे हुए हैं. उनका कहना है कि पोष्टिक आहार की कमी, भूखे रहना, पैर में चप्पल नहीं, सर पर तेल नहीं. इस कारण वो खुद को कोस रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक उनका विकलांग पेंशन नहीं बन पाया और न ही शौचालय मिला है. हालांकि अंत्योदय कार्ड से 18 किलो चावल मिलता है. वो बताते हैं कि पत्नी कमाती है तो हमलोग खाते हैं वरना भूखे रहते हैं. अपने अंधेपन का अफसोस है वो कहते हैं कि आज आंख होता तो दुनिया को देख पाते. ये गरीबी नहीं देखनी पड़ती.

ये भी पढे़ं: जनरल नरवणे और श्रृंगला की सू ची से मुलाकात, द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा

जिला प्रशासन ने दिया मदद का आश्वासन

स्थानीय लोगों का कहना है कि ये परिवार शुरू से ऐसे ही चलता आ रहा है. इसकी क्या वजह है मालूम नहीं, लेकिन जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इनकी मदद करनी चाहिए. इन परिवार को तमाम सुविधाएं मिलनी चाहिए. वहीं जब ईटीवी भारत के माध्यम से अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत मदद करने की बात कही. सिविल सर्जन ने इनकी समस्याओं को देखते हुए कहा है कि एक मेडिकल की टीम को इनके घर भेजा जाएगा और जांच की जाएगी की क्या समस्या है.

साहिबगंज: राजमहल अनुमंडल स्थित तीनपहाड़ थाना अंतर्गत दरला पंचायत के दरला गांव में स्व देबू महतो का घर है. इनसे शुरू होती है अंधापन का शिलशिला. लगातार तीन पीढ़ी से यह परिवार अंधापन का शिकार हो रहा है. किसी तरह दूसरों के भरोसे इनकी जिंदगी कट रही है. घर का मुखिया देबू महतो और इनकी पत्नी का देहांत हो चुका है. दोनों देख नहीं पाते थे. इनका तीन संतान, जिसमें एक पुत्र और एक पुत्री देख नहीं पाते हैं. हालांकि, बेटे सागर को ये बीमारी नहीं हुई, लेकिन सागर की बेटी अंधी ही पैदा हुई.

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भगवान को दोष नहीं देते पीड़ित

पीड़ित धीरन महतो इसको लेकर भगवान को दोष नहीं देते वो कहते हैं कि गरीबी की वजह से हम सभी अंधे हुए हैं. उनका कहना है कि पोष्टिक आहार की कमी, भूखे रहना, पैर में चप्पल नहीं, सर पर तेल नहीं. इस कारण वो खुद को कोस रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक उनका विकलांग पेंशन नहीं बन पाया और न ही शौचालय मिला है. हालांकि अंत्योदय कार्ड से 18 किलो चावल मिलता है. वो बताते हैं कि पत्नी कमाती है तो हमलोग खाते हैं वरना भूखे रहते हैं. अपने अंधेपन का अफसोस है वो कहते हैं कि आज आंख होता तो दुनिया को देख पाते. ये गरीबी नहीं देखनी पड़ती.

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जिला प्रशासन ने दिया मदद का आश्वासन

स्थानीय लोगों का कहना है कि ये परिवार शुरू से ऐसे ही चलता आ रहा है. इसकी क्या वजह है मालूम नहीं, लेकिन जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इनकी मदद करनी चाहिए. इन परिवार को तमाम सुविधाएं मिलनी चाहिए. वहीं जब ईटीवी भारत के माध्यम से अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत मदद करने की बात कही. सिविल सर्जन ने इनकी समस्याओं को देखते हुए कहा है कि एक मेडिकल की टीम को इनके घर भेजा जाएगा और जांच की जाएगी की क्या समस्या है.

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