साहिबगंजः जिले के मिर्जाचौकी से शुरू होकर कोटलपोखर तक कुल लगभग 83 किलोमीटर तक पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध रात और दिन क्रसर और माईंस चलता रहता था. पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर दूषित किया जाता था. हालांकि इस पत्थर व्यवसायी पर हजारों मजदूर का जीविकोपार्जन निर्भर था लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब यह पत्थर व्यवसाय बिल्कुल बंद हो चुका है. जिसके बाद अब लोगों को ताजी और शुद्ध हवा मिल पा रही है.
इस लॉकडाउन की वजह से चारों तरफ पहाड़ी क्षेत्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है, सभी क्रेशर बंद हो चुके हैं हजारों हजार हाइवा, ट्रक, जेसीबी बंद पड़ा हुआ है. यही वजह है कि पर्यावरण अब दूषित नहीं हो रहा है, बल्कि लोगों में खुशी है कि पहाड़ों पर घना जंगल हरा-भरा दिखाई दे रहा है. सड़कों पर धूल नहीं उड़ने से लोगों को राहत मिल रही है.
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वहीं, पर्यावरणविद ने कहा कि क्रसर और माइंस में पर्यावरण का ख्याल नहीं रखा जाता था और न ही किसी भी क्रेशर में pm10 मशीन लगाया गया है. यही वजह है कि लगातार धूलकण उड़ने से साहिबगंज का वायु प्रदूषित हो गया था, लेकिन अब इस 21 दिन के लॉकडाउन में सारा क्रेशर बंद हो जाने से वायु शुद्ध हो चुका है लोग शुद्ध हवा में जी रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो जिलेवासियों के आयु में भी वृद्धि हो जाएगी.