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दिल्ली में मानव तस्करी की शिकार आठ बच्चियां 28 अगस्त को लौटेंगी साहिबगंज, वापस लाने के लिए टीम रवाना - etv news

झारखंड के साहिबगंज की आठ बच्चियों को दिल्ली से वापस लाने के लिए टीम रवाना हो चुकी है. सभी बच्चियां मानव तस्करी की शिकार हुई हैं. दिल्ली सरकार ने इस बारे में पत्र लिखकर झारखंड सरकार दो जानकारी दी है.

human trafficking in sahibganj
human trafficking in sahibganj
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 22, 2023, 9:03 PM IST

साहिबगंज: मानव तस्करी की शिकार साहिबगंज की आठ बच्चियाें को दिल्ली से लाने के लिए बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में स्काउट टीम मंगलवार की रात दिल्ली रवाना हो चुकी है. दिल्ली के अलग-अलग बालिका गृह में आवासित बच्चियों और उनके केयर टेकर से कागजी प्रकिया पूरी करने के बाद टीम सभी बच्चियों को लेकर साहिबगंज 28 अगस्त को पहुंच जाएगी.

यह भी पढ़ें: Ranchi News: मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाए गए झारखंड के 11 बच्चे, बेंगलुरु से रेस्क्यू कर लाए गए रांची

साहिबगंज आने पर सर्वप्रथम बालिका सुधार गृह लोहंडा में रखा जाएगा. सभी बच्चियों के अभिभावकों को चिन्ह्रित कर लिया गया है. जिला बाल कल्याण समिति में अभिभावकों को बुलाकर बच्चियों को सुपुर्द कर दिया जाएगा. साथ ही बच्चियों को सरकारी योजना से जोड़ा जाएगा.

दिल्ली सरकार ने पत्र लिखकर दी जानकारी: गौरतलब है कि दिल्ली में साहिबंगज सहित झारखंड के कई जिला के मानव तस्करी की शिकार बच्चियां अलग अलग बालिका गृह में अस्थाई रूप से रह रही हैं. दिल्ली सरकार ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर इन बच्चियों के बारे में जानकारी दी है. पत्र में बताया गया कि झारखंड के अलग-अलग जिला की 16 बच्चियों को मानव तस्करों से मुक्त कराकर बालिका गृह में रखा गया है. इसमें साहिबगंज की आठ, पश्चिमी सिंहभूम की चार, पाकुड़, गढ़वा, पूर्वी सिंहभूम और सिमडेगा की एक-एक बच्ची है. झारखंड सरकार ने इसकी जानकारी सभी जिलाें के समाज कल्याण पदाधिकारी को दी है. सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन उन बच्चियों को लाने की तैयारी में जुट गया है. इन बच्चियों में बरहेट की छह तथा तीनपहाड़ और बोरियो की एक-एक बच्ची शामिल है.

बता दें कि यह जिला का पहला केस नहीं है, इसके पहले भी कई बार यहां की भोली भाली आदिवासी बच्चियों को दलाल किस्म के लोग पैसे और नौकरी दिलाने के नाम पर लेकर जाते रहे हैं. इन बच्चियों को दिल्ली, मुंबई, कोलकता, गुजरात सहित अन्य राज्यों में ले जाकर बड़े घरानों में रख दिया जाता है, जहां पर इन बच्चियों को मानसिक, शारिरिक सहित तरह-तरह के प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है. जब किसी तरह मौका देखकर बच्चियां भागती हैं, तब पुलिस को इसके बारे में पता चलता है. फिर उनकी जानकारी पर और भी बच्चियों को छुड़ाया जाता है.

साहिबगंज: मानव तस्करी की शिकार साहिबगंज की आठ बच्चियाें को दिल्ली से लाने के लिए बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में स्काउट टीम मंगलवार की रात दिल्ली रवाना हो चुकी है. दिल्ली के अलग-अलग बालिका गृह में आवासित बच्चियों और उनके केयर टेकर से कागजी प्रकिया पूरी करने के बाद टीम सभी बच्चियों को लेकर साहिबगंज 28 अगस्त को पहुंच जाएगी.

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साहिबगंज आने पर सर्वप्रथम बालिका सुधार गृह लोहंडा में रखा जाएगा. सभी बच्चियों के अभिभावकों को चिन्ह्रित कर लिया गया है. जिला बाल कल्याण समिति में अभिभावकों को बुलाकर बच्चियों को सुपुर्द कर दिया जाएगा. साथ ही बच्चियों को सरकारी योजना से जोड़ा जाएगा.

दिल्ली सरकार ने पत्र लिखकर दी जानकारी: गौरतलब है कि दिल्ली में साहिबंगज सहित झारखंड के कई जिला के मानव तस्करी की शिकार बच्चियां अलग अलग बालिका गृह में अस्थाई रूप से रह रही हैं. दिल्ली सरकार ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर इन बच्चियों के बारे में जानकारी दी है. पत्र में बताया गया कि झारखंड के अलग-अलग जिला की 16 बच्चियों को मानव तस्करों से मुक्त कराकर बालिका गृह में रखा गया है. इसमें साहिबगंज की आठ, पश्चिमी सिंहभूम की चार, पाकुड़, गढ़वा, पूर्वी सिंहभूम और सिमडेगा की एक-एक बच्ची है. झारखंड सरकार ने इसकी जानकारी सभी जिलाें के समाज कल्याण पदाधिकारी को दी है. सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन उन बच्चियों को लाने की तैयारी में जुट गया है. इन बच्चियों में बरहेट की छह तथा तीनपहाड़ और बोरियो की एक-एक बच्ची शामिल है.

बता दें कि यह जिला का पहला केस नहीं है, इसके पहले भी कई बार यहां की भोली भाली आदिवासी बच्चियों को दलाल किस्म के लोग पैसे और नौकरी दिलाने के नाम पर लेकर जाते रहे हैं. इन बच्चियों को दिल्ली, मुंबई, कोलकता, गुजरात सहित अन्य राज्यों में ले जाकर बड़े घरानों में रख दिया जाता है, जहां पर इन बच्चियों को मानसिक, शारिरिक सहित तरह-तरह के प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है. जब किसी तरह मौका देखकर बच्चियां भागती हैं, तब पुलिस को इसके बारे में पता चलता है. फिर उनकी जानकारी पर और भी बच्चियों को छुड़ाया जाता है.

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