साहिबगंज: जिला प्रशासन की ओर से इस बार खनन माफिया पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है. सभी वैध और अवैध क्रशर और माइंस संचालकों को नोटिस दिया गया है कि पहाड़ों पर से गिरने वाले नेचुरल जल स्रोत से दूर अपना प्लांट स्थापित करें. कहा जा रहा है कि क्रशर से उड़ने वाले धूल से कुंआ, तालाब और झरना बंद हो चुके हैं. अब वैसे जलस्रोत के साधन को साफ कर पहले की तरह नेचुरल बनाने का कार्य शुरू करने की कोशिश हो रही है.
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क्रशर से जल स्रोत बिल्कुल बंद
पहाड़िया समाज की ओर से यह शिकायत मिल रही थी कि पहाड़ों पर चल रहे क्रशर से जल स्रोत बिल्कुल बंद हो चुके हैं. झरना डस्ट और पत्थर से बंद हो चुका है. तालाब भी धूलकण से जमीन बन चुका है. ऐसी स्थिति में पानी की घोर किल्लत हो रही है. लगातार शिकायत मिलने के बाद जिला प्रशासन की ओर से यह निर्णय लिया गया कि अब नेचुरल जल स्रोत से दूर प्लांट को स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा नेचुरल जल स्रोत से धूलकण या पत्थर हटाने की मुहिम क्रशर प्लांट की ओर से चलाया जाएगा.
पहाड़ों पर पानी की घोर किल्लत
पहाड़िया समाज का कहना है कि पहाड़ों पर पानी की घोर किल्लत है. 4 से 5 किलोमीटर घने जंगल से पानी लाना पड़ता है. इससे समय की बर्बादी होती है और भरपूर मात्रा में पानी नहीं मिलने से लोगों को परेशानी हो रही है. जिला प्रशासन की ओर से अभी तक पेयजल को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
क्रशर प्लांट और माइंस व्यवसायी को दिया नोटिस
उपायुक्त ने कहा कि इस बार फिर गर्मी में पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को नेचुरल जल स्रोत से पेयजल मिल सकेगा. इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. जितने भी झरने, तालाब या धूल कण से भर गए हैं इस बार सभी को साफ किया जाएगा. उन्होंने कहा कि क्रशर प्लांट और माइंस व्यवसायी को नोटिस दिया गया है कि इन नेचुरल जल स्रोतों को चालू करें. इसके साथ ही धूल कल को हटाकर जिला प्रशासन को रिपोर्ट करें. मार्च अंत तक सभी व्यवसायी जिला प्रशासन को रिपोर्ट नहीं करते हैं तो जिला प्रशासन कार्रवाई करने के लिए बाध्य हो जाएगा.