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इलाज नहीं मिला तो साढ़े तीन साल में हो सकती है मौत, 'जीत' को मदद की जरूरत - साहिबगंज न्यूज

साहिबगंज में एक लाचार पिता लाखों में एक बच्चों में एक को होनी वाली बीमारी से अपने 7 वर्षीय बच्चे की जान बचाने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा है. मांसपेशियों की इस बीमारी DMD से ग्रस्त बच्चे को किसी मसीहा की जरूरत है.

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मदद की अपील
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Published : Jun 10, 2021, 12:21 PM IST

Updated : Jun 11, 2021, 7:45 AM IST

साहिबगंजः एक लाचार और बेबस पिता अपने 7 वर्षीय पुत्र की जिंदगी बचाने के लिए दर-दर भटक रहा है. नेता से लेकर समाजसेवी और पदाधिकारी से मिलकर अपनी समस्या से अवगत करा रहा है. अपने बच्चे की जान बचाने के लिए भीख मांग रहा है.

इसे भी पढ़ें- साहिबगंजः कुएं में गिरने से दो युवकों की माैत, जहरीली गैस बनी मृत्यु की वजह


जीत के पास साढ़े तीन साल का वक्त

पीड़ित बच्चे के पिता मुन्ना रक्षित ने कहा कि रांची मेडिका अस्पताल में जांच और इलाज कराया है. डॉक्टर ने मेरे बेटे को DMD रोग से पीड़ित बताया है और कहा है कि उसकी बीमारी मांसपेशी से जुड़ी है. यह रोग अधिकतर लड़कों में होती है. डॉक्टर ने बताया कि साढ़े तीन साल में उसके पुत्र की मृत्यु हो जाएगी. पैर से समस्या शुरू हुआ, उसके बाद लिवर खराब होगा और अंत में फेफड़ा प्रभावित हो जाएगा.

देखें पूरी खबर


इलाज के 27 करोड़ का खर्च

पिता ने बताया कि डॉक्टर का कहना है कि इस बीमारी का इलाज भारत में नहीं है, विदेश में इसका इलाज संभव है. यह बड़े खर्च वाली बीमारी है, मात्र एक इंजेक्शन की जरूरत है, उस एक इंजेक्शन की कीमत 27 करोड़ रुपये हैं, जीएसटी में छूट मिली तो भी 17 करोड़ में मिलेगा. पीड़ित बच्चे का पिता ने कहा कि वो साहिबगंज डीसी से मिलकर मदद की गुहार लगा रहे हैं, अभी तक कई लोगों से मिल चुके हैं, बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम से मिल चुके हैं, रकम इतनी ज्यादा है कि कोई कुछ नहीं बोल रहा है.

इसे भी पढ़ें- कोरोना से अनाथ बच्चों को सरकार देना चाहती है संरक्षण, जानिए कितना सुरक्षित है साहिबगंज का बाल गृह


बच्चे को मदद की आस

पीड़ित बच्चे ने बताया कि स्वस्थ होने की इच्छा है, मैं बैठने के बाद उठ नहीं पाता है. दोस्तों के साथ खेल नहीं पाता है, सीढ़िया चढ़ नहीं पाता. मैं भी अन्य बच्चों की तरह खेलना पढ़ना चाहता हूं. उपायुक्त ने बताया के यह बीमारी कुछ दूसरे टाइप की है. जैसा बच्चे के पिता और इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि सिविल सर्जन से एक बार राय लेता हूं, जिला स्तर से अगर बात होती है, तो इनकी मदद जरूर की जाएगी.

लड़कों में होने वाली रेयर और जेनेटिक बीमारी

DMD (Duchenne muscular dystrophy)के संबंध में जिला सदर अस्पताल के डॉक्टर देवेश कुमार कहना है कि यह बीमारी जेनेटिक है. इसमें एक प्रकार के प्रोटीन स्ट्रॉफिन की कमी होती जाती है, जिससे मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं. और आखिर में यह प्रोटीन खत्म हो जाता है. इसके कारण मांसपेशियों की बाइंडिंग कैपिसिटी कम हो जाती है. बाद में सांस में दिक्कत होने लगती है. हार्ट प्रॉब्लम भी होती है. बाद में अंग काम करना बंद कर देते हैं. मां में भी इसका कुछ न कुछ असर होता है जो जिससे यह बीमारी बेटे में आती है.

क्या है इलाज

डॉक्टर देवेश का कहना है इस बीमारी से राहत के लिए फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है और कई बार सूजन कम करने के लिए कुछ स्टेरॉयड भी देना पड़ता है. कुछ और दवाएं भी आईं हैं जो प्रोटीन को चेंज करती हैं. ताकि मांसपेशियों की बाइंडिंग कैपिसिटी बरकरार रहे. लेकिन इससे संबंधित इलाज यूएस आदि देशों में ही है.

मां से लगती है बेटे को बीमारी

मां इस बीमारी के लिए कैरियर का काम करती है. डॉक्टर कुमार का कहना है कि इस बीमारी से ग्रस्त लड़की की आयु अमूमन 12 से 15 साल होती है. इसके इलाज के लिए कुछ थेरेपी है. हालांकि सुविधा संपन्न देशों में जो संसाधन विकसित हुए हैं. उनसे इसकी आयु बढ़ाई जा सकती है. हालांकि भारत में इलाज नहीं है.

सात माह पहले बच्चे के पिता को मिली जानकारी

पीड़ित बच्चे के पिता ने बताया कि आज से 7 महीने पहले इस बीमारी की जानकारी मिली. कहा कि मेरा लड़का चलने में गिर जाता था. इस पर पहले आसनसोल( बंगाल) लेकर गया. वहां डॉक्टर ने कहा कि बीमारी काफी कॉस्टली है. इसे रांची ले जाकर डॉक्टर से इलाज कराएं. पीड़ित बच्चे के पिता ने कहा कि रांची मेडिका अस्पताल में बच्चे का जांच कराया गया तो दुर्लभ बीमारी की जानकारी मिली. अब मेरे लाड़ले की जान बचाने के लिए फरिश्ते का इंतजार है.

इसे भी पढ़ें- जैनब के इलाज में लगेंगे 16 करोड़ रुपये, क्राउडफंडिंग से पैसे जुटा रहा परिवार

मुंबई की बच्ची की मदद के लिए उठे थे हाथ

ऐसा नहीं है कि इस देश में फरिश्तों की कमी है, कई महीने पहले दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर अट्राफी से पीड़ित मुंबई के बच्ची जैनब के इलाज के लिए सरकार और महाराष्ट्र के लोगों ने क्राउड फंडिंग के जरिये 10 करोड़ जुटाए थे. इस बीमारी के इलाज के लिए इंजेक्शन के लिए बच्ची को 16 करोड़ रुपये की जरूरत थी. अब ऐसे ही देश और झारखंड के लोगों को जीत की जान बचाने के लिए फरिश्ता बनने की जरूरत है.

साहिबगंजः एक लाचार और बेबस पिता अपने 7 वर्षीय पुत्र की जिंदगी बचाने के लिए दर-दर भटक रहा है. नेता से लेकर समाजसेवी और पदाधिकारी से मिलकर अपनी समस्या से अवगत करा रहा है. अपने बच्चे की जान बचाने के लिए भीख मांग रहा है.

इसे भी पढ़ें- साहिबगंजः कुएं में गिरने से दो युवकों की माैत, जहरीली गैस बनी मृत्यु की वजह


जीत के पास साढ़े तीन साल का वक्त

पीड़ित बच्चे के पिता मुन्ना रक्षित ने कहा कि रांची मेडिका अस्पताल में जांच और इलाज कराया है. डॉक्टर ने मेरे बेटे को DMD रोग से पीड़ित बताया है और कहा है कि उसकी बीमारी मांसपेशी से जुड़ी है. यह रोग अधिकतर लड़कों में होती है. डॉक्टर ने बताया कि साढ़े तीन साल में उसके पुत्र की मृत्यु हो जाएगी. पैर से समस्या शुरू हुआ, उसके बाद लिवर खराब होगा और अंत में फेफड़ा प्रभावित हो जाएगा.

देखें पूरी खबर


इलाज के 27 करोड़ का खर्च

पिता ने बताया कि डॉक्टर का कहना है कि इस बीमारी का इलाज भारत में नहीं है, विदेश में इसका इलाज संभव है. यह बड़े खर्च वाली बीमारी है, मात्र एक इंजेक्शन की जरूरत है, उस एक इंजेक्शन की कीमत 27 करोड़ रुपये हैं, जीएसटी में छूट मिली तो भी 17 करोड़ में मिलेगा. पीड़ित बच्चे का पिता ने कहा कि वो साहिबगंज डीसी से मिलकर मदद की गुहार लगा रहे हैं, अभी तक कई लोगों से मिल चुके हैं, बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम से मिल चुके हैं, रकम इतनी ज्यादा है कि कोई कुछ नहीं बोल रहा है.

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बच्चे को मदद की आस

पीड़ित बच्चे ने बताया कि स्वस्थ होने की इच्छा है, मैं बैठने के बाद उठ नहीं पाता है. दोस्तों के साथ खेल नहीं पाता है, सीढ़िया चढ़ नहीं पाता. मैं भी अन्य बच्चों की तरह खेलना पढ़ना चाहता हूं. उपायुक्त ने बताया के यह बीमारी कुछ दूसरे टाइप की है. जैसा बच्चे के पिता और इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि सिविल सर्जन से एक बार राय लेता हूं, जिला स्तर से अगर बात होती है, तो इनकी मदद जरूर की जाएगी.

लड़कों में होने वाली रेयर और जेनेटिक बीमारी

DMD (Duchenne muscular dystrophy)के संबंध में जिला सदर अस्पताल के डॉक्टर देवेश कुमार कहना है कि यह बीमारी जेनेटिक है. इसमें एक प्रकार के प्रोटीन स्ट्रॉफिन की कमी होती जाती है, जिससे मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं. और आखिर में यह प्रोटीन खत्म हो जाता है. इसके कारण मांसपेशियों की बाइंडिंग कैपिसिटी कम हो जाती है. बाद में सांस में दिक्कत होने लगती है. हार्ट प्रॉब्लम भी होती है. बाद में अंग काम करना बंद कर देते हैं. मां में भी इसका कुछ न कुछ असर होता है जो जिससे यह बीमारी बेटे में आती है.

क्या है इलाज

डॉक्टर देवेश का कहना है इस बीमारी से राहत के लिए फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है और कई बार सूजन कम करने के लिए कुछ स्टेरॉयड भी देना पड़ता है. कुछ और दवाएं भी आईं हैं जो प्रोटीन को चेंज करती हैं. ताकि मांसपेशियों की बाइंडिंग कैपिसिटी बरकरार रहे. लेकिन इससे संबंधित इलाज यूएस आदि देशों में ही है.

मां से लगती है बेटे को बीमारी

मां इस बीमारी के लिए कैरियर का काम करती है. डॉक्टर कुमार का कहना है कि इस बीमारी से ग्रस्त लड़की की आयु अमूमन 12 से 15 साल होती है. इसके इलाज के लिए कुछ थेरेपी है. हालांकि सुविधा संपन्न देशों में जो संसाधन विकसित हुए हैं. उनसे इसकी आयु बढ़ाई जा सकती है. हालांकि भारत में इलाज नहीं है.

सात माह पहले बच्चे के पिता को मिली जानकारी

पीड़ित बच्चे के पिता ने बताया कि आज से 7 महीने पहले इस बीमारी की जानकारी मिली. कहा कि मेरा लड़का चलने में गिर जाता था. इस पर पहले आसनसोल( बंगाल) लेकर गया. वहां डॉक्टर ने कहा कि बीमारी काफी कॉस्टली है. इसे रांची ले जाकर डॉक्टर से इलाज कराएं. पीड़ित बच्चे के पिता ने कहा कि रांची मेडिका अस्पताल में बच्चे का जांच कराया गया तो दुर्लभ बीमारी की जानकारी मिली. अब मेरे लाड़ले की जान बचाने के लिए फरिश्ते का इंतजार है.

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मुंबई की बच्ची की मदद के लिए उठे थे हाथ

ऐसा नहीं है कि इस देश में फरिश्तों की कमी है, कई महीने पहले दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर अट्राफी से पीड़ित मुंबई के बच्ची जैनब के इलाज के लिए सरकार और महाराष्ट्र के लोगों ने क्राउड फंडिंग के जरिये 10 करोड़ जुटाए थे. इस बीमारी के इलाज के लिए इंजेक्शन के लिए बच्ची को 16 करोड़ रुपये की जरूरत थी. अब ऐसे ही देश और झारखंड के लोगों को जीत की जान बचाने के लिए फरिश्ता बनने की जरूरत है.

Last Updated : Jun 11, 2021, 7:45 AM IST
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