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अनफिट और अपराध रोकने में नाकाबिल थानेदार हटेंगे, जोनल डीआइजी और एसपी बनाएंगे रिपोर्ट कार्ड

झारखंड के थानों में पोस्टेड थानेदारों के कामकाज की समीक्षा होगी. अपराध रोकने में नाकाम रहे थानेदारों पर विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. पुलिस मुख्यालय ने सभी जोनल डीआइजी और आइजी को कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है.

अनफिट और अपराध रोकने में अक्षम थानेदार हटेंगे
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Published : Sep 17, 2019, 7:48 AM IST

रांची: राज्य के थानों में पोस्टेड थानेदारों के कामकाज की समीक्षा होगी. इसके लिए राज्य सरकार ने पुलिस मुख्यालय को आदेश दिया है कि सभी थानों में पोस्टेड निष्क्रिय, अनफिट और अपराध या नक्सल गतिविधियों को रोक पाने में अक्षम थानेदारों को हटाएं.

विभागीय कार्रवाई के आदेश
अपराध रोकने में नाकाम रहे थानेदारों पर विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. थानेदारों के कामकाज की समीक्षा का आदेश जोनल डीआइजी और जिलों के एसपी को दिया गया है. डीआइजी और एसपी की रिपोर्ट के आधार पर ही थानेदारों पर कार्रवाई होगी. राज्य के अपग्रेडेड थानों में इंस्पेक्टर, बांकी थानों में दारोगा और साइबर थानों में डीएसपी स्तर के अधिकारी थानेदार के प्रभार में होते हैं. हाल के दिनों में कई तरह की शिकायतें सीएमओ तक पहुंची थीं. जिसके बाद यह आदेश जारी किया गया है.

ये भी पढ़ें-चतरा: दो उग्रवादी गिरफ्तार, लेवी के 3 लाख 74 हजार रूपया भी बरामद

प्रमोशन के लिए भी देना होता है फिटनेस प्रमाण-पत्र
झारखंड पुलिस में प्रमोशन के पहले भी फिटनेस प्रमाण-पत्र देना होता है. राज्य पुलिस मुख्यालय ने दारोगा से इंस्पेक्टर में प्रमोशन के बाद भी 45 दिन के स्पेशल ट्रेनिंग की व्यवस्था की है. जहां सालों की नौकरी के बाद प्रोन्नत हुए अफसरों को अनुसंधान के साथ-साथ फिटनेस की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

शहर में अपराध रोकने के लिए बनेगी विशेष कार्य योजना
राज्य के शहरी इलाकों में अपराध रोकने के लिए विशेष कार्ययोजना भी बनायी जाएगी. पुलिस मुख्यालय ने सभी जोनल डीआइजी और आइजी को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले शहरी क्षेत्र में कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है.

अपराध रोकने के लिए यह भी है योजना का हिस्सा
डीआइजी और एसपी को इलाके में निरंतर गतिशील रहना होगा. एसपी अपने अंतर्गत आने वाले थानों का महीने में एक बार और डीआइजी दो महीने में कम से काम एक बार दौरा करेंगे. विधि व्यवस्था और कांडों के अनुसंधान का स्तर देखेंगे. थानों का सूचना तंत्र मजबूत होगा. सूचना संकलन में थानेदार, इंस्पेक्टर और डीएसपी की भी जिम्मेदारी तय होगी.

रांची: राज्य के थानों में पोस्टेड थानेदारों के कामकाज की समीक्षा होगी. इसके लिए राज्य सरकार ने पुलिस मुख्यालय को आदेश दिया है कि सभी थानों में पोस्टेड निष्क्रिय, अनफिट और अपराध या नक्सल गतिविधियों को रोक पाने में अक्षम थानेदारों को हटाएं.

विभागीय कार्रवाई के आदेश
अपराध रोकने में नाकाम रहे थानेदारों पर विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. थानेदारों के कामकाज की समीक्षा का आदेश जोनल डीआइजी और जिलों के एसपी को दिया गया है. डीआइजी और एसपी की रिपोर्ट के आधार पर ही थानेदारों पर कार्रवाई होगी. राज्य के अपग्रेडेड थानों में इंस्पेक्टर, बांकी थानों में दारोगा और साइबर थानों में डीएसपी स्तर के अधिकारी थानेदार के प्रभार में होते हैं. हाल के दिनों में कई तरह की शिकायतें सीएमओ तक पहुंची थीं. जिसके बाद यह आदेश जारी किया गया है.

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प्रमोशन के लिए भी देना होता है फिटनेस प्रमाण-पत्र
झारखंड पुलिस में प्रमोशन के पहले भी फिटनेस प्रमाण-पत्र देना होता है. राज्य पुलिस मुख्यालय ने दारोगा से इंस्पेक्टर में प्रमोशन के बाद भी 45 दिन के स्पेशल ट्रेनिंग की व्यवस्था की है. जहां सालों की नौकरी के बाद प्रोन्नत हुए अफसरों को अनुसंधान के साथ-साथ फिटनेस की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

शहर में अपराध रोकने के लिए बनेगी विशेष कार्य योजना
राज्य के शहरी इलाकों में अपराध रोकने के लिए विशेष कार्ययोजना भी बनायी जाएगी. पुलिस मुख्यालय ने सभी जोनल डीआइजी और आइजी को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले शहरी क्षेत्र में कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है.

अपराध रोकने के लिए यह भी है योजना का हिस्सा
डीआइजी और एसपी को इलाके में निरंतर गतिशील रहना होगा. एसपी अपने अंतर्गत आने वाले थानों का महीने में एक बार और डीआइजी दो महीने में कम से काम एक बार दौरा करेंगे. विधि व्यवस्था और कांडों के अनुसंधान का स्तर देखेंगे. थानों का सूचना तंत्र मजबूत होगा. सूचना संकलन में थानेदार, इंस्पेक्टर और डीएसपी की भी जिम्मेदारी तय होगी.

Intro:अनफिट और अपराध रोकने में अक्षम थानेदार हटेंगे ,जोनल डीआईजी और एसपी बनाएंगे थानेदारों की रिपोर्ट कार्ड

रांची।

झारखंड के थानों में पोस्टेड थानेदारों के कामकाज की समीक्षा होगी। राज्य सरकार ने पुलिस मुख्यालय को आदेश दिया है कि राज्य के थानों में पास्टेड निष्क्रिय, अनफिट और अपराध या नक्सल गतिविधियों को रोकपाने में अक्षम थानेदारों को हटाएं।


विभागीय कारवाई के आदेश

अपराध रोकने में नाकाम रहे थानेदारों विभागीय कार्रवाई का निर्देश भी दिया गया है। थानेदारों के कामकाज की समीक्षा का आदेश जोनल डीआईजी और जिलों के एसपी को दिया गया है। डीआईजी और एसपी के रिपोर्ट के आधार पर ही थानेदारों पर कार्रवाई होगी। गौरतलब है कि राज्य के अपग्रेडेड थानों में इंस्पेक्टर, बाकि थानों में दरोगा जबकि साइबर थानों में डीएसपी स्तर के अधिकारी थानेदार के प्रभार में होते हैं।हाल के दिनों में कई तरह की शिकायतें सीएमओ तक पहुच रही थी।जिसके बाद यह आदेश जारी किया गया है।


प्रमोशन के लिए भी देना होता है फिटनेस प्रमाण पत्र

झारखंड पुलिस में प्रमोशन के पहले भी फिटनेस प्रमाण पत्र देना होता है। राज्य पुलिस मुख्यालय ने दरोगा से इंस्पेक्टर में प्रमोशन के बाद भी 45 दिन के स्पेशल ट्रेनिंग की व्यवस्था की है। जहां सालों की नौकरी के बाद प्रोन्नत हुए अफसरों को अनुसंधान के साथ साथ फिटनेस की ट्रेनिंग भी दी जाती है।

शहर में अपराध रोकने के लिए बनेगी विशेष कार्य योजना

राज्य के शहरी इलाकों में अपराध रोकने के लिए विशेष कार्ययोजना भी बनायी जाएगी। पुलिस मुख्यालय ने सभी जोनल डीआईजी व आईजी से अपने अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले शहरी क्षेत्र में कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है।

अपराध रोकने के लिए ये भी है योजना का हिस्सा

- डीआईजी, एसपी इलाके में निरंतर गतिशील रहें। एसडीपीओ, डीएसपी और इंस्पेक्टर अपने अधीन के थानों का निरीक्षण नियमित करें। लंबित कांडों की समीक्षा करें।

एसपी अपने अंतर्गत आने वाले थानों का माह में एक बार , डीआईजी दो माह में कम से काम एक बार दौरा करें व विधि व्यवस्था और कांडों के अनुसंधान का स्तर देखें।

-थानों का सूचना तंत्र मजबूत करें। सूचना संकलन में थानेदार, इंस्पेक्टर और डीएसपी की भी जिम्मेदारी तय हो।Body:1Conclusion:2
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