रांची: देश में बेरोजगारी पहले से ही अधिक है. इस कोरोना काल में भी लाखों लोगों की नौकरी चली गई, जिसके कारण बेरोजगारी काफी बढ़ी है. ऐसे में झारखंड सरकार राज्य में बेरोजगारों को एक साल में पांच हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता (Unemployment Allowance) देने की योजना पर काम कर रही है. वहीं युवा वर्ग सरकार के इस लोकलुभावन योजना से अलग नौकरी की मांग कर रहा है, ताकि वह अपनी मेहनत से सम्मान के साथ परिवार की आजीविका चला सकें.
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राज्य के युवाओं को भीख जैसा लगता है बेरोजगारी भत्ता
राजधानी के युवाओं और कई छात्र नेताओं को बेरोजगारी भत्ता भीख जैसा लगता है. मनोज, इमाम, पवन और सुरेंद्र जैसे बड़ी संख्या में युवा ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि बेरोजगारी भत्ता देकर सरकार उन्हें नालायक बना देगी. इन युवाओं को लगता है कि, जब तक वो युवा रहेंगे तब तक बेरोजगारी भत्ता मिलेगा, लेकिन बाद में किसी काम के नहीं रहेंगे. ईटीवी भारत से युवाओं ने कहा कि झारखंड स्वाभिमान की धरती रही है, इसलिए युवाओं को नौकरी देकर सरकार उनका सम्मान बढ़ाए.
युवा क्यों मांग रहे हैं नौकरी
हेमंत सोरेन की सरकार ने सत्ता में आने से पहले 05 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. राज्य में सृजित पदों में आधे से अधिक पद खाली हैं. ऐसे में राज्य के युवाओं की मांग बेरोजगारी भत्ता नहीं, बल्कि नौकरी देने की है. राज्य में सरकारी विभागों में सृजित करीब 5 लाख 25 हजार पदों में से 3 लाख 30 हजार के करीब पद खाली हैं. राज्य में एक-एक कर्मचारी और अधिकारी के जिम्मे कई पदों की जिम्मेवारी है, जिसके कारण उनपर काफी बोझ है और वो बेहतर तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं. इससे राज्य का विकास भी तेजी से नहीं हो पा रहा है.
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कई विभागों में पद खाली
झारखंड में सिर्फ स्कूली शिक्षा में 01 लाख 96 हजार, स्वास्थ्य में 35 हजार 03 सौ, विधि में 04 हजार से अधिक पद खाली हैं. वहीं कृषि पशुपालन विभाग में भी 35 हजार के करीब पद खाली हैं. बेरोजगारी भत्ता लोकलुभावन राजनीति के हिसाब से एक लोकप्रिय योजना भले ही साबित हो सकती है, लेकिन युवा पीढ़ी को रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाते, तो बेहतर होता, ताकि युवा वर्ग स्वावलंबी बनकर खुद और अपने परिवार का जीवन सुधार सकें.