रांचीः फिल्म द केरला स्टोरी को लेकर पूरे देश में चर्चाओं का बाजार गर्म है. इस सिनेमा को बड़े पर्दे पर देखने के लिए हर वर्ग के लोगों में उत्सुकता है. फिल्म में दिखायी गई घटनाओं को आमजन तक पहुंचाने के लिए राजधानी के कई सामाजिक कार्यकर्ता महिलाओं को मुफ्त में ये फिल्म दिखा रहे हैं. इसी कड़ी में सोमवार को रांची के सामाजिक कार्यकर्ता भैरव सिंह और अन्य लोगों ने महिलाओं की एक टोली को राजधानी के प्लाजा सिनेमा हॉल में दोपहर के शो में द केरला स्टोरी दिखाया.
फिल्म को लेकर महिलाओं में उत्सुकता: सिनेमाघर में काफी संख्या में महिलाएं नजर आईं. उनके साथ भारी संख्या में युवा भी मौजूद रहे. फिल्म देखने आई महिलाओं ने कहा कि द केरला स्टोरी में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार और धर्म के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर जो बातें बतायी गई हैं. उसे देखने के लिए सभी महिलाएं काफी उत्सुक हैं.
कहानी से मिली कई सीख: राजधानी के प्लाजा हॉल में सिनेमा देखकर बाहर निकली महिलाओं ने एक सुर में कहा कि इस कहानी से कई सीख मिलती है. उन्होंने बताया कि फिल्म की कहानी देखने के बाद यह स्पष्ट होता है किस प्रकार भोली-भाली लड़कियों को बहला-फुसलाकर उसके धर्म के साथ खिलवाड़ किया जाता है. साथ ही उन्हें उनके परिवार से भी दूर कर दिया जाता है.
विपरीत परिस्थिति में सही निर्णय लेने की मिलेगी ताकत: फिल्म देखने आईं हिना सिंह और शिल्पा नंदी बताती हैं कि वो राहुल कुमार और भैरव सिंह जैसे कार्यकर्ताओं की मदद से राजधानी की महिलाओं को जागरूक करने में जुट गई हैं. महिलाएं इस तरह की फिल्म देखकर अपनी सुरक्षा को लेकर सजग होती हैं. धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर भी खुद को मजबूत रखें, जिससे वो विपरीत परिस्थिति में भी सही निर्णय ले सकती हैं.
आदिवासी महिलाओं को ये फिल्म देखनी चाहिएः निशा हेंब्रम और सुषमा देवी बताती हैं कि भले ही सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयास से आज सभी महिलाओं ने द केरला स्टोरी देखी. लेकिन इस फिल्म को देखने के बाद वो राजधानी और राज्य की सभी महिलाओं से अपील करना चाहती हैं कि सभी महिलाएं खुद जाकर ये सिनेमा देखें ताकि वो समाज में हो रहे कुकृत्य एवं अत्याचार को समझ सके.
आदिवासी एवं गैर हिंदू बेटियों को भी सचेत रहने की आवश्यकता: सिनेमा देखकर बाहर निकली महिलाओं ने कहा कि झारखंड में भी महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. इस सिनेमा को देखने के बाद महिलाएं जान सकेंगी कि समाज में किस तरह से मासूम लड़कियां खास कर भोली-भाली आदिवासी लड़कियां धर्मांतरण समेत अन्य अपराध की शिकार होने से खुद को बचा सकेंगी.
फिल्म के माध्यम से महिलाओं को जागरूक करने का प्रयास: वहीं महिलाओं को सिनेमा दिखाने लाये सामाजिक कार्यकर्ता भैरव सिंह ने कहा कि उनके द्वारा महिलाओं को फिल्म द केरला स्टोरी दिखाने का इंतजाम किया जा रहा है. उनका ये प्रयास है कि इस फिल्म के माध्यम से महिलाएं जागरूक हों और किसी भी प्रकार के झांसे में ना आकर प्रताड़ना का शिकार हों. इसके अलावा महिलाएं समाज में चल रहे धर्मांतरण के खेल से भी खुद को बचा सके.
भैरव सिंह ने बताया कि झारखंड की भोली भाली आदिवासी बेटियों को गैर हिंदू लोगों के द्वारा बहला फुसला कर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. उन्होंने पिछले दिनों हजारीबाग, धनबाद और लोहरदगा में हुई घटनाओं का जिक्र किया. कहा कि गैर हिंदू समाज के लोग झारखंड के विभिन्न जिलों में हिंदू बहू और बेटियों को दिग्भ्रमित कर उनका धर्मांतरण करा रहे हैं जो कि निश्चित रूप से पूरे हिंदुस्तान के लिए शर्म की बात है. इसको लेकर हो रही राजनीति के सवाल पर भैरव सिंह ने कहा कि अगर हिंदू धर्म की रक्षा करना और हिंदू महिलाओं को जागरुक करना राजनीति है तो वो राजनीति ही कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे