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जहरीली शराब से होने वाली क्षतिपूर्ति के लिए जाना होगा कोर्ट, विपक्ष ने उठाए सवाल

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Published : Aug 5, 2022, 6:08 PM IST

Updated : Aug 5, 2022, 6:51 PM IST

झारखंड में नकली शराब (Spurious liquor In Jharkhand) से अब अगर कोई बीमार होता है या फिर उसकी मौत होती है तो उसका मुआवजा पाने के लिए कोर्ट जाना पड़ेगा. कोर्ट के आदेश के बाद ही बीमार होने पर 5 लाख और मौत होने पर 10 लाख का मुआवजा दिया जाएगा. सरकार के नए फैसले का विपक्ष ने विरोध किया है.

Jharkhand Excise Amendment Bill 2022
Jharkhand Excise Amendment Bill 2022

रांची: नकली या जहरीली शराब से होने वाली मौत (Death By Poisonous Alcohol) पर मिलने वाली मुआवजा पर राजनीति शुरू हो गई है. सत्तारूढ़ दल जहां इसे सरकार का एतिहासिक कदम मान रहे हैं, वहीं भाजपा सरकार पर तंज कस रही है. झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 (Jharkhand Excise Amendment Bill 2022) के अनुसार अब शराब के होने वाली क्षतिपूर्ति के लिए कोर्ट की शरण में जाना होगा.

ये भी पढ़ें: Congress Protest in Ranchi: कैंप जेल में बंद कांग्रेस नेताओं से ईटीवी भारत की बातचीत



झारखंड में नकली या जहरीली शराब से होने वाली मौत (Death By Poisonous Alcohol) की क्षतिपूर्ति के लिए पीड़ित परिवार को अब न्यायालय का शरण लेकर मुआवजे की मांग करनी होगी. राज्य सरकार ने इसके लिए झारखंड उत्पाद विधेयक 2022 में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है. झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 (Jharkhand Excise Amendment Bill 2022) के अनुसार नकली या जहरीली शराब से होने वाली मौत (Death By Poisonous Alcohol) पर ऐसे पीड़ित परिवार को कोर्ट की शरण में जाना पड़ेगा. परिजनों द्वारा न्यायालय के माध्यम से बीमार होने पर पांच लाख और मौत होने पर 10 लाख के मुआवजे का प्रावधान होगा. राज्य सरकार यह राशि दोषी व्यक्तियों से मुआवजा की राशि वसुल कर पीड़ित परिवार को देगी.

आलमगीर आलम और प्रतुल शाहदेव का बयान
विधानसभा से पारित इस बिल को सरकार एतिहासिक मानकर राज्य में पहली बार नकली शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया कदम बता रही है. शराब बिक्रेता संघ और विपक्ष की आलोचना झेल रहे संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि इससे नकली शराब बेचने वालों पर अंकुश लगेगा. उन्होंने कहा कि बिल में स्पष्ट रूप से हर बातों का प्रावधान किया गया है. इसपर शराब बिक्रेताओं को कोई संशय नहीं होनी चाहिए.

इधर, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि न्यायालय से मुआवजा लेने में काफी वक्त लगेगा. प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि अवैध शराब बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए टास्क फोर्स और विशेष अभियान चलाने के बजाय सरकार जहरीली शराब से होने वाली मौत पर सोच रही है. उन्होंने कहा कि यह सरकार समस्या की जड़ समाप्त करने की बजाए उसके आने वाले परिणाम पर ज्यादा ध्यान देती है. कोरोना के समय स्वास्थ्य सुविधा देने के बजाय यह सरकार कफन बांटने की बात कर रही थी. उसी तरह अवैध शराब बिक्री को रोकने और खत्म करने के बजाय अब इससे होने वाली मौत को लेकर सोच रही है.

रांची: नकली या जहरीली शराब से होने वाली मौत (Death By Poisonous Alcohol) पर मिलने वाली मुआवजा पर राजनीति शुरू हो गई है. सत्तारूढ़ दल जहां इसे सरकार का एतिहासिक कदम मान रहे हैं, वहीं भाजपा सरकार पर तंज कस रही है. झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 (Jharkhand Excise Amendment Bill 2022) के अनुसार अब शराब के होने वाली क्षतिपूर्ति के लिए कोर्ट की शरण में जाना होगा.

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झारखंड में नकली या जहरीली शराब से होने वाली मौत (Death By Poisonous Alcohol) की क्षतिपूर्ति के लिए पीड़ित परिवार को अब न्यायालय का शरण लेकर मुआवजे की मांग करनी होगी. राज्य सरकार ने इसके लिए झारखंड उत्पाद विधेयक 2022 में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है. झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 (Jharkhand Excise Amendment Bill 2022) के अनुसार नकली या जहरीली शराब से होने वाली मौत (Death By Poisonous Alcohol) पर ऐसे पीड़ित परिवार को कोर्ट की शरण में जाना पड़ेगा. परिजनों द्वारा न्यायालय के माध्यम से बीमार होने पर पांच लाख और मौत होने पर 10 लाख के मुआवजे का प्रावधान होगा. राज्य सरकार यह राशि दोषी व्यक्तियों से मुआवजा की राशि वसुल कर पीड़ित परिवार को देगी.

आलमगीर आलम और प्रतुल शाहदेव का बयान
विधानसभा से पारित इस बिल को सरकार एतिहासिक मानकर राज्य में पहली बार नकली शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया कदम बता रही है. शराब बिक्रेता संघ और विपक्ष की आलोचना झेल रहे संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि इससे नकली शराब बेचने वालों पर अंकुश लगेगा. उन्होंने कहा कि बिल में स्पष्ट रूप से हर बातों का प्रावधान किया गया है. इसपर शराब बिक्रेताओं को कोई संशय नहीं होनी चाहिए.

इधर, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि न्यायालय से मुआवजा लेने में काफी वक्त लगेगा. प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि अवैध शराब बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए टास्क फोर्स और विशेष अभियान चलाने के बजाय सरकार जहरीली शराब से होने वाली मौत पर सोच रही है. उन्होंने कहा कि यह सरकार समस्या की जड़ समाप्त करने की बजाए उसके आने वाले परिणाम पर ज्यादा ध्यान देती है. कोरोना के समय स्वास्थ्य सुविधा देने के बजाय यह सरकार कफन बांटने की बात कर रही थी. उसी तरह अवैध शराब बिक्री को रोकने और खत्म करने के बजाय अब इससे होने वाली मौत को लेकर सोच रही है.

Last Updated : Aug 5, 2022, 6:51 PM IST
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