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रांचीः नहीं थम रहा जंगली हाथियों का उत्पात, खौफ में जीने को मजबूर ग्रामीण

रांची जिले के कई गांवों में इन दिनों जंगली हाथियों का कहर बना हुआ है. हाथियों का झुंड कभी भी आ धमकता है. ऐसे में ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं. शाम होते ही गांवों में सन्नाटा छा जाता है.

जंगली हाथियों का उत्पात
जंगली हाथियों का उत्पात
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Published : Jan 15, 2021, 12:41 PM IST

Updated : Jan 15, 2021, 1:40 PM IST

रांचीः जंगली हाथियों के उत्पात से दर्जनों गांवों के ग्रामीण दहशत में हैं. इधर खेत में लगी फसलों को भी जंगली हाथी अपने पैरों तले बर्बाद कर दे रहे हैं. मामला तमाड़ थाना क्षेत्र के उलीलोहार पंचायत का है. पंचायत के जिलिंगसेरेंग, लुपुंगडीह, चरवाडीह में ग्रामीण अब रतजगा करने को विवश हैं.

ग्रामीण इतने भयभीत हैं कि दिन में मजदूरी के लिए बाहर निकलने के बाद शाम को घर वापस लौटने में सशंकित रहते हैं और गांव में शाम होते ही लोग अपने घरों में दुबके रह जाते हैं और गांवों सन्नाटा छा जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि कब हाथियों का झुंड अचानक आ धमके इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती. वन विभाग को हाथियों के भ्रमणशील होने की जानकारी देने के बावजूद चुप्पी साधे बैठा है. गांव-गांव में बनी वन समितियां भी भगवान भरोसे चलती हैं. बम पटाखों के ससमय नहीं मिलने से हाथियों को भगाने में परेशानी होती है.

यह भी पढ़ेंः केंद्र ने वैक्सीनेशन को लेकर दिए राज्यों को निर्देश, जानें किसे लगाया जाएगा टीका

इधर इस मसले पर आजसू सुप्रीमो सह सिल्ली विधायक सुदेश महतो ने कहा कि जंगली हाथियों से तमाड़ सिल्ली इलाके के किसानों के साथ साथ आम जनता भी परेशान है.

बंगाल और सिंहभूम का सीमावर्ती इलाका होने के कारण हाथी भागने टीम नहीं पहुंच पाती है. आजसू द्वारा ग्रामीण वन समिति की टीम को हाथी भगाने के लिए आवश्यक चीजें मुहैया करायी जाएंगी.

प्रत्येक प्रभावित गांव में युवाओं का दल बनाकर रखवाली करेगा. आजसू सुप्रीमो ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो वन समितियों को सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी. वन और पशु दोनों एक दूसरे पर आश्रित हैं इसलिए वन, वन्य प्राणी सबकी सुरक्षा जरूरी है. इस बात का ध्यान रखें कि हाथियों द्वारा जान माल की क्षति न हो.

रांचीः जंगली हाथियों के उत्पात से दर्जनों गांवों के ग्रामीण दहशत में हैं. इधर खेत में लगी फसलों को भी जंगली हाथी अपने पैरों तले बर्बाद कर दे रहे हैं. मामला तमाड़ थाना क्षेत्र के उलीलोहार पंचायत का है. पंचायत के जिलिंगसेरेंग, लुपुंगडीह, चरवाडीह में ग्रामीण अब रतजगा करने को विवश हैं.

ग्रामीण इतने भयभीत हैं कि दिन में मजदूरी के लिए बाहर निकलने के बाद शाम को घर वापस लौटने में सशंकित रहते हैं और गांव में शाम होते ही लोग अपने घरों में दुबके रह जाते हैं और गांवों सन्नाटा छा जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि कब हाथियों का झुंड अचानक आ धमके इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती. वन विभाग को हाथियों के भ्रमणशील होने की जानकारी देने के बावजूद चुप्पी साधे बैठा है. गांव-गांव में बनी वन समितियां भी भगवान भरोसे चलती हैं. बम पटाखों के ससमय नहीं मिलने से हाथियों को भगाने में परेशानी होती है.

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इधर इस मसले पर आजसू सुप्रीमो सह सिल्ली विधायक सुदेश महतो ने कहा कि जंगली हाथियों से तमाड़ सिल्ली इलाके के किसानों के साथ साथ आम जनता भी परेशान है.

बंगाल और सिंहभूम का सीमावर्ती इलाका होने के कारण हाथी भागने टीम नहीं पहुंच पाती है. आजसू द्वारा ग्रामीण वन समिति की टीम को हाथी भगाने के लिए आवश्यक चीजें मुहैया करायी जाएंगी.

प्रत्येक प्रभावित गांव में युवाओं का दल बनाकर रखवाली करेगा. आजसू सुप्रीमो ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो वन समितियों को सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी. वन और पशु दोनों एक दूसरे पर आश्रित हैं इसलिए वन, वन्य प्राणी सबकी सुरक्षा जरूरी है. इस बात का ध्यान रखें कि हाथियों द्वारा जान माल की क्षति न हो.

Last Updated : Jan 15, 2021, 1:40 PM IST
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