रांची: मंगलवार का दिन बाबूलाल मरांडी के लिए भले ही मंगलकारी रहा मगर झारखंड बीजेपी के लिए यह स्वभाविक प्रक्रिया के रुप में देखा जा रहा है. दरअसल, यह कयास 23 फरवरी 2023 को निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के तीन वर्ष के कार्यकाल पूरे होने के बाद से ही लगाए जाने लगे थे. बीजेपी में साधारणतया बतौर प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है. ऐसे में बिहार सहित अन्य राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद से झारखंड को लेकर भी पार्टी के अंदर चर्चा होने लगी थी.
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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई दिनों से चल रही थी चर्चा: दीपक प्रकाश के स्थान पर झारखंड की जिम्मेदारी किसे दी जाय इसको लेकर मंथन कई दिनों से चल रहा था. बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व ट्रायबल चेहरा लाने का निर्णय पहले से कर चुका था. ऐसे में इंतजार झारखंड विधानसभाध्यक्ष न्यायाधीकरण में बाबूलाल मरांडी के ऊपर चल रहे दल बदल के मामले में रखे गए सुरक्षित फैसले को लेकर हो रहा था, जिससे नेता प्रतिपक्ष पर चल रहा सस्पेंस खत्म हो जाय. मगर यह मामला राजनीतिक कारणों की वजह से लटकता चला गया. इन सबके बीच सत्तारूढ़ दल और विधानसभा सचिवालय लगातार बीजेपी से नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल के बजाय किसी दूसरे व्यक्ति को नामित करने की मांग करता रहा है. ऐसे में बीजेपी ने विकल्प के तौर पर यह कदम उठाया है. पूर्व स्पीकर सीपी सिंह कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी कुशल संगठनकर्ता हैं और लंबा राजनीतिक अनुभव है इसका फायदा पार्टी को जरूर मिलेगा. बीजेपी नेता प्रदीप वर्मा का मानना है कि बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति के लिए चिरपरिचित नाम है जिनके पास राजनीतिक अनुभव के साथ साथ सरकार और संगठन चलाने का अनुभव है, इसका फायदा पार्टी को जरूर मिलेगा.
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बाबूलाल के प्रति बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व को है भरोसा: झारखंड की राजनीति की धुरी माने जानेवाले बाबूलाल मरांडी पर बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व ने भरोसा जताया है. पार्टी को उम्मीद है कि 2024 की चुनावी नैया को पार लगाने में बाबूलाल मरांडी जरूर सफल होंगे. भाजपा में वापसी के बाद से बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के प्रियपात्र बने बाबूलाल मरांडी का हमेशा से बीजेपी में संबंध मधुर रहे हैं. अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत भी उन्होंने बीजेपी से जुड़े संगठनों के साथ ही की थी. विश्व हिन्दू परिषद में काम करते हुए वनांचल भाजपा में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी निभाने वाले बाबूलाल मरांडी 1991 में भाजपा की मुख्यधारा से जुड़े और 90 के दशक में पूरे प्रदेश में संगठन को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अटल-आडवाणी के समय से बाबूलाल को भाजपा झारखंड मुक्ति मोर्चा के सामने प्रोजेक्ट करती रही है जो आज तक जारी है. गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे के बाद दूसरे नंबर पर बेबाक टिप्पणी करने वाले बाबूलाल मरांडी हैं जिसका फायदा कहीं ना कहीं उन्हें मिला है.