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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर लैंगिक समानता पर चर्चा, मुख्य न्यायाधीश ने किया प्रोत्साहित

झारखंड उच्च न्यायालय में 'महिला एवं कानून- लैंगिक समानता के आज के विषय एवं सुनहरे कल' विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया. इस दौरान झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन ने महिलाओं और वकीलों को प्रोत्साहित किया.

webinar on gender equality on International Women's Day in jharkhand high court
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर लैंगिक समानता पर चर्चा
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Published : Mar 8, 2022, 10:42 PM IST

रांची: उठो जागो, दौड़ो और जीत लो यह कहकर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन ने मंगलवार को वकीलों और महिलाओं को प्रोत्साहित किया. वे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मंगलवार को झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से 'महिला एवं कानून- लैंगिक समानता के आज के विषय एवं सुनहरे कल' विषय पर आयोजित वेबिनार में वकीलों और महिलाओं को संबोधित कर रहे थे.

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वेबिनार में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि समाज में परिवर्तन के लिए महिला सशक्तीकरण जरूरी है. उन्होंने कहा कि महिला एवं पुरुष एक ही रथ के दो पहिये हैं. मुख्य न्यायाधीश ने समाज से मांग की कि महिलाओं के प्रति भेदभाव की नीति का परित्याग करें एवं कहा कि इस भेदभाव प्रथा को तोड़ें. इस अवसर पर मुख्य न्यायधीश ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना उर्वशी की पंक्तियां भी पढ़ी. उन्होंने पढ़ा कि "नारी ही वह महासेतु, जिसपर अदृश्य से चलकर नये मनुज, नव प्राण दृश्य जग में आते रहते हैं'.

वेबिनार में न्यायाधीश एस चन्द्रशेखर, न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद, न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी और न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह आदि भी मौजूद रहे.

रांची: उठो जागो, दौड़ो और जीत लो यह कहकर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन ने मंगलवार को वकीलों और महिलाओं को प्रोत्साहित किया. वे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मंगलवार को झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से 'महिला एवं कानून- लैंगिक समानता के आज के विषय एवं सुनहरे कल' विषय पर आयोजित वेबिनार में वकीलों और महिलाओं को संबोधित कर रहे थे.

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वेबिनार में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि समाज में परिवर्तन के लिए महिला सशक्तीकरण जरूरी है. उन्होंने कहा कि महिला एवं पुरुष एक ही रथ के दो पहिये हैं. मुख्य न्यायाधीश ने समाज से मांग की कि महिलाओं के प्रति भेदभाव की नीति का परित्याग करें एवं कहा कि इस भेदभाव प्रथा को तोड़ें. इस अवसर पर मुख्य न्यायधीश ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना उर्वशी की पंक्तियां भी पढ़ी. उन्होंने पढ़ा कि "नारी ही वह महासेतु, जिसपर अदृश्य से चलकर नये मनुज, नव प्राण दृश्य जग में आते रहते हैं'.

वेबिनार में न्यायाधीश एस चन्द्रशेखर, न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद, न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी और न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह आदि भी मौजूद रहे.

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