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रांची में पानी के लिए मचा हाहाकार, बूंद-बूंद पेयजल को तरस रहे नागरिक

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Published : Apr 9, 2021, 5:39 PM IST

Updated : Apr 9, 2021, 6:37 PM IST

राजधानी रांची में जल संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है. हालत यह है कि लोग सुबह से शाम तक पानी के लिए भटकते रहते हैं. निगम का टैंकर आने पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है. निगम प्रशासन इस ओर गंभीर नहीं है.

जल संकट
जल संकट

रांचीः राजधानी रांची में गर्मी के मौसम में पानी की सबसे ज्यादा समस्या उत्पन्न होती है. ऐसे में मुख्य रूप से हरमू इलाके के वार्ड 27 और 34 में पानी की सबसे ज्यादा समस्या होती है. इन दिनों आलम यह है कि सुबह से शाम तक पानी के लिए बच्चे, बड़े, बुजुर्ग सभी टैंकरों का इंतजार करते हैं और टैंकर आने के साथ ही पानी के लिए टूट पड़ते हैं.

देखें पूरी खबर.

यह भी पढ़ेंः ट्रांसजेंडर अमृता अल्पेश सोनी को बनाया गया राष्ट्रीय लोक अदालत का सदस्य, बैंकिंग वैवाहिक मामलों को निपटने का करेंगी काम

पानी की समस्या को लेकर मारपीट तक की नौबत आ रही है. हालांकि रांची नगर निगम की ओर से इन इलाकों में पानी की समस्या ना हो. इसके लिए समय-समय पर टैंकर भेजा जा रहा है और वार्ड पार्षद खुद लोगों के बीच पानी बांट रहे हैं, लेकिन पानी के टैंकर के इंतजार में लोग सुबह से शाम तक बर्तन लेकर जमे रहते हैं.

इन इलाकों में पानी की यह समस्या नई नहीं है. बल्कि वर्षों से इन इलाकों में गर्मी के मौसम में चापानल और कुएं सूख जाते हैं, लेकिन निगम प्रशासन की ओर से पानी की समस्या के समाधान के लिए ठोस उपाय नहीं किए गए हैं.

एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे

वर्तमान में पानी की समस्या को लेकर अब रांची नगर निगम के जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं. शहर की मेयर आशा लकड़ा का कहना है कि निगम पदाधिकारी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं, जबकि पहले से ही टैंकर से पानी पहुंचाने के लिए 400 स्थान चिन्हित किए गए है, जहां सही तरीके से पानी की सप्लाई की जानी चाहिए थी, लेकिन नगर आयुक्त सिर्फ पदाधिकारियों को वार्डों के निरीक्षण में भेज रहे हैं, जबकि पार्षदों के साथ समन्वय स्थापित कर पानी की समस्या से निजात दिलाई जा सकती है, लेकिन इस ओर पदाधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं.

ऐसा नहीं है कि पानी की समस्या ही सबसे बड़ी समस्या है, बल्कि पानी के लिए खून खराबा तक की नौबत आ सकती है, क्योंकि पहले भी राजधानी में पानी के लिए छुरेबाजी हो चुकी हैं.

वार्ड 27 और 34 के पार्षद बताते हैं कि पानी की समस्या की वजह से आपसी सौहार्द्र भी बिगड़ रहा है. मारपीट की नौबत के साथ-साथ मामला थाने तक जा रहा है. ऐसे में पानी की समस्या के समाधान के लिए ठोस उपाय की जरूरत है, क्योंकि वार्ड पार्षद भी जनता के आक्रोश का शिकार हो सकते हैं.

रांचीः राजधानी रांची में गर्मी के मौसम में पानी की सबसे ज्यादा समस्या उत्पन्न होती है. ऐसे में मुख्य रूप से हरमू इलाके के वार्ड 27 और 34 में पानी की सबसे ज्यादा समस्या होती है. इन दिनों आलम यह है कि सुबह से शाम तक पानी के लिए बच्चे, बड़े, बुजुर्ग सभी टैंकरों का इंतजार करते हैं और टैंकर आने के साथ ही पानी के लिए टूट पड़ते हैं.

देखें पूरी खबर.

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पानी की समस्या को लेकर मारपीट तक की नौबत आ रही है. हालांकि रांची नगर निगम की ओर से इन इलाकों में पानी की समस्या ना हो. इसके लिए समय-समय पर टैंकर भेजा जा रहा है और वार्ड पार्षद खुद लोगों के बीच पानी बांट रहे हैं, लेकिन पानी के टैंकर के इंतजार में लोग सुबह से शाम तक बर्तन लेकर जमे रहते हैं.

इन इलाकों में पानी की यह समस्या नई नहीं है. बल्कि वर्षों से इन इलाकों में गर्मी के मौसम में चापानल और कुएं सूख जाते हैं, लेकिन निगम प्रशासन की ओर से पानी की समस्या के समाधान के लिए ठोस उपाय नहीं किए गए हैं.

एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे

वर्तमान में पानी की समस्या को लेकर अब रांची नगर निगम के जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं. शहर की मेयर आशा लकड़ा का कहना है कि निगम पदाधिकारी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं, जबकि पहले से ही टैंकर से पानी पहुंचाने के लिए 400 स्थान चिन्हित किए गए है, जहां सही तरीके से पानी की सप्लाई की जानी चाहिए थी, लेकिन नगर आयुक्त सिर्फ पदाधिकारियों को वार्डों के निरीक्षण में भेज रहे हैं, जबकि पार्षदों के साथ समन्वय स्थापित कर पानी की समस्या से निजात दिलाई जा सकती है, लेकिन इस ओर पदाधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं.

ऐसा नहीं है कि पानी की समस्या ही सबसे बड़ी समस्या है, बल्कि पानी के लिए खून खराबा तक की नौबत आ सकती है, क्योंकि पहले भी राजधानी में पानी के लिए छुरेबाजी हो चुकी हैं.

वार्ड 27 और 34 के पार्षद बताते हैं कि पानी की समस्या की वजह से आपसी सौहार्द्र भी बिगड़ रहा है. मारपीट की नौबत के साथ-साथ मामला थाने तक जा रहा है. ऐसे में पानी की समस्या के समाधान के लिए ठोस उपाय की जरूरत है, क्योंकि वार्ड पार्षद भी जनता के आक्रोश का शिकार हो सकते हैं.

Last Updated : Apr 9, 2021, 6:37 PM IST
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