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रांची का सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त, जलाशय हो रहे है प्रदूषित

रांची में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. इससे जलाशयों में नाले के गंदे पानी गिरता है, जिससे जलाशयों और तालाबों का पानी काफी प्रदूषित हो गया है.

Water of Ranchi reservoirs polluted
रांची का सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त
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Published : Jan 14, 2023, 1:15 PM IST

रांचीः राजधानी रांची कभी तालाबों का शहर कहा जाता था. लेकिन जैसे जैसे राजधानी की आबादी बढ़ी और विकास हुआ, वैसे वैसे जलाशय सिकुड़ता चला गया. अब स्थिति यह है कि जो तालाब और जलाशय बचा है, वह काफी प्रदूषित हो गया है. इसकी वजह है कि रांची की सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त है और नाले के गंदे पानी इन्हीं जलाशयों में गिरता है.

यह भी पढ़ेंः रांची: बारिश से राजधानी के जलाशय हुए लबालब, कांके और गेतलसूद डैम के खोले गए फाटक

रांची में स्वर्णरेखा नदी, हरमू नदी के साथ साथ हटिया डैम, कांके डैम, विवेकानंद सरोवर, अरगोड़ा तालाब और बटन तालाब प्रमुख जलाशय हैं. इन सभी जलाशयों में नाले के गंदे पानी गिरता है, जिससे काफी प्रदूषित हो गए हैं. राजधानी के सबसे बड़ा तालाबों में सुमार विवेकानंद सरोवर में कांके रोड, राजभवन, अपर बाजार से लेकर रातू रोड आदि इलाकों के गंदा पानी गिरता है. ताबाल में गंदा पानी नहीं गिरे. इसको लेकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

स्थानीय राजीव रंजन मिश्रा कहते हैं कि बड़े तालाब पूरी तरह प्रदूषित हो गया है और आसपास के इलाके में दुर्गंध फैल रहा है. कई बार इसके सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ो रुपये खर्च किए गए. लेकिन परिणाम शून्य है. विवेकानंद सरोवर को विकसित करने को लेकर रांची नगर निगम की ओर से कई योजनाएं बनाई गई. लेकिन योजना धरातल पर हवा हवाई ही साबित हुआ. उन्होंने कहा कि सरोवर के पानी मे ऑक्सीजन बढ़ाने के नाम पर तो कभी जलकुंभी हटाने के नाम पर साल दर साल राशि खत्म होते चले गए. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

पिछले दिनों पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने डैम की जांच का आदेश दिया था. जांच रिपोर्ट से पता चला कि गैराज की वजह से डैम प्रदूषित हो रहा है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि नगड़ी स्थित राइस मिल से निकलने वाला गंदा पानी डैम में गिरता है. वहीं, कांके डैम में नाले के गंदा पानी गिर रहा है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि जलाशयों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सरकार गंभीर है.

रांचीः राजधानी रांची कभी तालाबों का शहर कहा जाता था. लेकिन जैसे जैसे राजधानी की आबादी बढ़ी और विकास हुआ, वैसे वैसे जलाशय सिकुड़ता चला गया. अब स्थिति यह है कि जो तालाब और जलाशय बचा है, वह काफी प्रदूषित हो गया है. इसकी वजह है कि रांची की सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त है और नाले के गंदे पानी इन्हीं जलाशयों में गिरता है.

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रांची में स्वर्णरेखा नदी, हरमू नदी के साथ साथ हटिया डैम, कांके डैम, विवेकानंद सरोवर, अरगोड़ा तालाब और बटन तालाब प्रमुख जलाशय हैं. इन सभी जलाशयों में नाले के गंदे पानी गिरता है, जिससे काफी प्रदूषित हो गए हैं. राजधानी के सबसे बड़ा तालाबों में सुमार विवेकानंद सरोवर में कांके रोड, राजभवन, अपर बाजार से लेकर रातू रोड आदि इलाकों के गंदा पानी गिरता है. ताबाल में गंदा पानी नहीं गिरे. इसको लेकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

स्थानीय राजीव रंजन मिश्रा कहते हैं कि बड़े तालाब पूरी तरह प्रदूषित हो गया है और आसपास के इलाके में दुर्गंध फैल रहा है. कई बार इसके सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ो रुपये खर्च किए गए. लेकिन परिणाम शून्य है. विवेकानंद सरोवर को विकसित करने को लेकर रांची नगर निगम की ओर से कई योजनाएं बनाई गई. लेकिन योजना धरातल पर हवा हवाई ही साबित हुआ. उन्होंने कहा कि सरोवर के पानी मे ऑक्सीजन बढ़ाने के नाम पर तो कभी जलकुंभी हटाने के नाम पर साल दर साल राशि खत्म होते चले गए. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

पिछले दिनों पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने डैम की जांच का आदेश दिया था. जांच रिपोर्ट से पता चला कि गैराज की वजह से डैम प्रदूषित हो रहा है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि नगड़ी स्थित राइस मिल से निकलने वाला गंदा पानी डैम में गिरता है. वहीं, कांके डैम में नाले के गंदा पानी गिर रहा है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि जलाशयों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सरकार गंभीर है.

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