रांचीः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सोशल मीडिया साइट पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बुधवार को स्पीक ऑन इकोनॉमी के तहत वीडियो सन्देश जारी किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा नोटबंदी, गलत जीएसटी और लॉकडाउन के मद्देनजर लगातार गिरती अर्थव्यवस्था और असंगठित कामगारों पर हो रहे हमले को लेकर बेबाक देश की जनता के सामने अपनी राय रखी है.
ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने लॉकडाउन की परिस्थितियों को लेकर आर्थिक संकट पर जारी वीडियो की चौथी कड़ी को झारखंड की जनता के लिए अपने सोशल मीडिया साइट पर जारी करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने कोरोना के नाम पर जो किया वह असंगठित क्षेत्र पर तीसरा आक्रमण है.
गरीब लोग और लघु मध्यम व्यापार करने वाले लोग रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं. जब प्रधानमंत्री ने बिना कोई नोटिस दिए लॉकडाउन किया जो इनके ऊपर आक्रमण था. प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 दिन की लड़ाई होगी लेकिन असंगठित क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी 21 दिन में ही टूट गई.
कांग्रेस विधायक दल नेता सह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि मोदी सरकार के गलत फैसलों की वजह से हजारों प्रवासी मजदूरों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा. सात लाख से ज्यादा छोटी दुकानें लॉकडाउन के कारण बंदी के कगार पर खड़ी हैं. हर तीन में से एक एमएसएमई बंद हो रहे हैं. यहां तक कि लॉकडाउन के दौरान 2.7 करोड़ युवा बेरोजगार हो गए हैं.
गरीबों और छोटे दुकानदारों एमएसएमई को बचाने के लिए कांग्रेस के सुझाव न्याय योजना लागू करके गरीबों को बचाने की कोशिश को नजरअंदाज करके अर्थव्यवस्था को चौपट करने का काम किया, जिसे देश की जनता बखूबी समझ रही है.
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वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने सोशल मीडिया के माध्यम से राहुल गांधी की वीडियो को सोशल साइट्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक किया गया लॉकडाउन असंगठित वर्ग के लिए मृत्युदंड जैसा साबित हुआ.
वादा था 21 दिनों में कोरोना संक्रमण खत्म करने का, लेकिन करोड़ों रोजगार, छोटे-मध्यम उद्योग और प्रतिदिन फुटपाथ पर गुजर बसर करने वाले लोग खत्म किये गए. मोदी के जनविरोधी डिजास्टर प्लान ने पूरे देश को परेशान करके खड़ा कर दिया है. गिरती अर्थव्यवस्था में भारत के युवाओं के भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है. नौकरियां जा रही हैं और भविष्य में नौकरियां मिलने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है.