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Amitabh Chaudhry passed away, जानिए, एक आईपीएस से क्रिकेट की दुनिया का दिग्गज बनने की कहानी

जेपीएससी के पूर्व चेयरमैन और बीसीसीआई के पूर्व प्रशासक अमिताभ चौधरी के निधन (Amitabh Chaudhry passed away) से झारखंड में शोक की लहर है. प्रशासनिक महकमे से लेकर खेल जगत और आम लोग तक इसको लेकर दुख जता रहे हैं. एक आईआईटियन, आईपीएस से खेल जगत का दिग्गज (Veteran BCCI administrator Amitabh Chaudhary ) बनने का उनका सफर दिलचस्प है. राजनीति में भी हाथ आजमाया, हालांकि यहां सिक्का नहीं चल सका.

Veteran BCCI administrator Amitabh Chaudhary
अमिताभ चौधरी पूर्व प्रशासक
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Published : Aug 16, 2022, 11:31 AM IST

रांचीः मंगलवार सुबह झारखंड के लिए एक बुरी खबर सामने आई. जेपीएससी के पूर्व चेयरमैन और बीसीसीआई के पूर्व कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी नहीं रहे. इसके बाद से सीएम हेमंत सोरेन समेत प्रदेश के आला अधिकारी और खेल जगत के दिग्गज शोक जता रहे हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनी शख्स Veteran BCCI administrator Amitabh Chaudhary की आईआईटियन से खेल जगत का दिग्गज बनने की कहानी दिलचस्प है. पुलिस विभाग में किए गए उनके कार्य याद किए जाते हैं और उन्हें जनता का एसएसपी माना जाता है. राजनीति में भी हाथ आजमाया, हालांकि यहां सिक्का नहीं चल सका.

इसे भी पढ़ें- Amitabh Choudhary passes away, जेपीएससी के पूर्व चेयरमैन अमिताभ चौधरी का निधन, सीएम ने जताया दुख

बता दें कि बीसीसीआई के पूर्व प्रशासक अमिताभ चौधरी राजधानी के अशोकनगर स्थित आवास पर अहले सुबह करीब तीन बजे चक्कर खाकर गिर गए थे. जिसके बाद उन्हें आनन फानन में सेंटेविटा अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टर्स ने मैसिव हार्ट अटैक होने की बात कहते हुए चिकित्सा शुरू की मगर कुछ ही देर में उन्होंने दम तोड़ दिया. इसको लेकर झारखंड में शोक की लहर (Wave of mourning in Jharkhand) है.

आईआईटियन से खेल जगत का दिग्गजः अपनी प्रतिभा से देश दुनिया में नाम रोशन करने वाले अमिताभ चौधरी के निधन से न केवल खेल जगत बल्कि सामाजिक क्षेत्र को भी बड़ी क्षति मानी जा रही है. मूलत: बिहार के दरभंगा जिले के बाथो बहेरा के रहने वाले अमिताभ चौधरी का जन्म छह जुलाई 1960 को हुआ था. 1984 में आइआईटी खड़गपुर से बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद 1985 में आईपीएस बने. जिसके बाद उन्हें बिहार कैडर मिला. अमिताभ चौधरी 1997 में रांची के एसएसपी बनाए गए थे. अपनी कार्यकुशलता के लिए वो जाने जाते थे.

बीसीसीआई और जेएससीए का सफरः 2002 में वह बीसीसीआई के मेंबर बने फिर कार्यकारी सचिव तक के पद को सुशोभित किया. 2005 में राज्य के तत्कालीन डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुदेश कुमार महतो को हरा कर वह झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन यानी जेएससीए के अध्यक्ष बने. फिर 2005 से 2009 तक क्रिकेट टीम इंडिया के मैनेजर भी रहे. 2013 में उन्होंने आईपीएस की नौकरी से वीआरएस ले लिया. 2014 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से उन्होंने रांची लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन चुनाव जीत नहीं सके.

अमिताभ चौधरी ना केवल पुलिस पदाधिकारी के रूप में चर्चित रहे बल्कि क्रिकेट की दुनिया में भी नाम रोशन किया. हालांकि राजनीति के क्षेत्र में कोई खास सफलता उन्हें नहीं मिली. जिसके बाद 29 अक्टूबर 2020 को उन्हें झारखंड लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. मिथिला के परिवेश में पले बढ़े अमिताभ चौधरी के निधन पर जाने माने समाजसेवी अमरनाथ झा कहते हैं कि एक मैथिली पुत्र को हमने खो दिया है, ये हमारे समाज के गौरव थे. उन्होंने कहा कि अपनी क्षमता, सूझबूझ व बेहतर टीम के बदौलत इन्होंने रांची की जनता के बीच से अपराधियों का खौफ बतौर एसएसपी रहकर खत्म किया था जिसे लोग आज भी याद करते हैं.

रांचीः मंगलवार सुबह झारखंड के लिए एक बुरी खबर सामने आई. जेपीएससी के पूर्व चेयरमैन और बीसीसीआई के पूर्व कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी नहीं रहे. इसके बाद से सीएम हेमंत सोरेन समेत प्रदेश के आला अधिकारी और खेल जगत के दिग्गज शोक जता रहे हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनी शख्स Veteran BCCI administrator Amitabh Chaudhary की आईआईटियन से खेल जगत का दिग्गज बनने की कहानी दिलचस्प है. पुलिस विभाग में किए गए उनके कार्य याद किए जाते हैं और उन्हें जनता का एसएसपी माना जाता है. राजनीति में भी हाथ आजमाया, हालांकि यहां सिक्का नहीं चल सका.

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बता दें कि बीसीसीआई के पूर्व प्रशासक अमिताभ चौधरी राजधानी के अशोकनगर स्थित आवास पर अहले सुबह करीब तीन बजे चक्कर खाकर गिर गए थे. जिसके बाद उन्हें आनन फानन में सेंटेविटा अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टर्स ने मैसिव हार्ट अटैक होने की बात कहते हुए चिकित्सा शुरू की मगर कुछ ही देर में उन्होंने दम तोड़ दिया. इसको लेकर झारखंड में शोक की लहर (Wave of mourning in Jharkhand) है.

आईआईटियन से खेल जगत का दिग्गजः अपनी प्रतिभा से देश दुनिया में नाम रोशन करने वाले अमिताभ चौधरी के निधन से न केवल खेल जगत बल्कि सामाजिक क्षेत्र को भी बड़ी क्षति मानी जा रही है. मूलत: बिहार के दरभंगा जिले के बाथो बहेरा के रहने वाले अमिताभ चौधरी का जन्म छह जुलाई 1960 को हुआ था. 1984 में आइआईटी खड़गपुर से बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद 1985 में आईपीएस बने. जिसके बाद उन्हें बिहार कैडर मिला. अमिताभ चौधरी 1997 में रांची के एसएसपी बनाए गए थे. अपनी कार्यकुशलता के लिए वो जाने जाते थे.

बीसीसीआई और जेएससीए का सफरः 2002 में वह बीसीसीआई के मेंबर बने फिर कार्यकारी सचिव तक के पद को सुशोभित किया. 2005 में राज्य के तत्कालीन डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुदेश कुमार महतो को हरा कर वह झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन यानी जेएससीए के अध्यक्ष बने. फिर 2005 से 2009 तक क्रिकेट टीम इंडिया के मैनेजर भी रहे. 2013 में उन्होंने आईपीएस की नौकरी से वीआरएस ले लिया. 2014 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से उन्होंने रांची लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन चुनाव जीत नहीं सके.

अमिताभ चौधरी ना केवल पुलिस पदाधिकारी के रूप में चर्चित रहे बल्कि क्रिकेट की दुनिया में भी नाम रोशन किया. हालांकि राजनीति के क्षेत्र में कोई खास सफलता उन्हें नहीं मिली. जिसके बाद 29 अक्टूबर 2020 को उन्हें झारखंड लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. मिथिला के परिवेश में पले बढ़े अमिताभ चौधरी के निधन पर जाने माने समाजसेवी अमरनाथ झा कहते हैं कि एक मैथिली पुत्र को हमने खो दिया है, ये हमारे समाज के गौरव थे. उन्होंने कहा कि अपनी क्षमता, सूझबूझ व बेहतर टीम के बदौलत इन्होंने रांची की जनता के बीच से अपराधियों का खौफ बतौर एसएसपी रहकर खत्म किया था जिसे लोग आज भी याद करते हैं.

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