रांची: राजधानी के बाजारों में इन दिनों हरी सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही है. सब्जी के दरों में उछाल का आलम यह है कि सब्जियों के दरों में डेढ़ से 2 गुणा तक वृद्धि हो गई है. दाम में हुई इस बेतहाशा वृद्धि का सीधा असर सामान्य लोगों की जेब पर पड़ रहा है और धीरे-धीरे उनकी थाली से हरी सब्जियां गायब होती जा रही है.
सब्जियों के दामों में क्यों हुई यह वृद्धि
झारखंड में मानसून की देरी से प्रवेश करने और प्रवेश के बाद हुई अत्यधिक बारिश के कारण किसान समय पर किसानी नहीं कर पाए. जिस कारण सब्जियों के दामों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिल रही है. इसका दूसरा कारण यह है कि जिन किसानों ने सब्जी की खेती मानसून के आने से पहले कर दी थी उन किसानों के खेत में लगे-लगे ही सारे सब्जी खराब हो गए. आलम यह है कि रांची से सटा ओरमांझी जो हरी सब्जी उत्पादन के लिए ही मशहूर है वहां के किसान भी बंगाल-बिहार से आई सब्जियां खरीदने पर मजबूर हो गए हैं.
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क्या कहते हैं सब्जी विक्रेता
सब्जी के भाव में हो रही इस वृद्धि पर सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि मौसम की मार के कारण राज्य में सब्जी उत्पादन सही से नहीं हो पाया. इसके साथ ही बंगाल-बिहार में भी सब्जी उत्पादन में कमी आई है. इसी कारण सब्जियों का दाम डेढ़ से 2 गुना तक बढ़ गया. इतना ही नहीं राजधानी में सब्जी की खेती इतनी कम हुई है कि लॉकी जैसी सब्जी भी राजधानी में बंगाल से निर्यात करने की नौबत आ गई है.
सब्जी | दर प्रति किलो (रुपए) |
बोदी | 10-20 |
झिंगी | 30 |
नेनुआ | 10 |
टमाटर | 40-60 |
खीरा | 40 |
परवल | 50 |
गाजर | 60 |
फूलगोभी | 40-50 |
पत्ता गोभी | 20 |
शिमला | 80-100 |
प्याज | 40-50 |
बीट | 40 |
कुंदरी | 25 |
भिंडी | 40 |
बैंगन | 30 |
हरी मिर्च | 100 |
अदरक | 80 |
लहसुन | 100 |
फ्रेंचबीन | 60 |
मूली | 20 |
लौकी | 40 |
प्याज साग | 30 |
पालक साग | 20 |
लाल साग | 20 |
खीरा | 40 |
धनिया पत्ती | 90-100 |
कोहड़ा | 30 |
नीबु (2 पीस) | 10 |
सब्जी के दामों में इस वृद्धि का कारण जो भी हो लेकिन इसका असर हर वर्ग पर पड़ रहा है. इससे जहां किसानों की आय प्रभावित हुई है, वहीं सब्जी विक्रेताओं को भी मुनाफा नहीं मिल रहा, आम लोगों के जेब पर जो भार बढ़ रहा है वो तो पड़ ही रहा है.