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Ranchi News: मवेशियों को वायरल बीमारी एफएमडी से बचाने की कवायद, एक करोड़ पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य - झारखंड न्यूज

झारखंड में मवेशियों को एफएमडी बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए अलग-अलग टीम बनाकर पदाधिकारियों और कर्मियों को पशुओं के टीकाकरण के कार्य में लगाया गया है. कर्मी गांव-गांव पहुंचकर मवेशियों का टीकाकरण कर रहे हैं.

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Cattle Vaccination Campaign In Jharkhand
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Published : Aug 19, 2023, 5:49 PM IST

रांची: मवेशियों को वायरल बीमारी एफएमडी (FMD) से बचाने के लिये टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू हो गया है. सरकार का लक्ष्य पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने और पशुओं को एफएमडी से बचाने के लिए एक करोड़ पशुओं को वैक्सीनेशन करने का है. 15 अक्टूबर 2023 तक पशुओं को वैक्सीन दी जाएगी.

ये भी पढ़ें-झारखंड में सिर्फ 38 फीसदी ही हो सकी धनरोपनी, स्थिति का आकलन के लिए जल्द होगी उच्च स्तरीय बैठक

इसको लेकर भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी, पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता और टीकाकरण कर्मी अपने-अपने क्षेत्र में यह अभियान जोर-शोर से चला रहे हैं. रांची के इटकी प्रखंड की सभी पंचायतों में 100 प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने का निर्देश पदाकारियों और कर्मियों को दिया गया है.

अलग-अलग टीम बनाकर मवेशियों का किया जा रहा टीकाकरणः टीका कर्मी के रूप में संजय कुमार इटकी पूर्वी और पश्चिमी, विजय कुमार किल्ली, सोहन कच्छप कुर्गी, राजू गोप चिनरो पुरियो, नौशाद अंसारी कुंदी, इरशाद अंसारी मल्टी, प्रकाश कुमार बोरिया, सागर गोप भंडारा गांव में टीकाकरण के कार्य में जुटे हैं. इटकी के बीडीओ गौतम साहू ने सभी पशुपालकों को अपने मवेशियों का टीकाकरण कराने की अपील की है. मवेशियों में गाय, भैंस, बछिया, पाड़ा को एफएमडी का टीका लगाया जा रहा है.

FMD एक संक्रामक बीमारी: पशु चिकित्सक डॉ. शिवा काशी ने बताया कि एफएमडी एक संक्रामक बीमारी है. इस रोग की चपेट में आनेवाले पशुओं में दूध की कमी के साथ बांझपन की भी दीर्घकालीन समस्या उत्पन्न हो जाती है. जिससे पशुपालकों को आर्थिक हानि होती है. इस रोग से ग्रसित होने पर बछड़े की मृत्यु हो जाती है. बछड़े की मौत ज्यादतर हार्ट अटैक से होती है. FMD बीमारी में बछड़े को टाइग्रोइड हार्ट हो जाता है. बड़े जानवरों में मृत्यु दर नहीं के बराबर है, लेकिन उत्पादन हानि से पशुपालकों को नुकसान होता है. एफएमडी कंट्रोल प्रोग्राम एक नियंत्रण कार्यक्रम है. इसलिए हर चार महीने में एफएमडी टीकाकरण किया जा रहा है, ताकि राज्य के पशुपालकों को नुकसान नहीं उठाना पड़े.

कैसे फैलती है एफएमडी बीमारीः एफएमडी का संक्रमण रोगी पशु और उसके संपर्क में आने वाले दूसरे पशु, व्यक्ति, संक्रमित चारे, दाना-पानी, दूध के बर्तनों से होता है. खुरपका-मुंहचिपका रोग के लक्षण में मवेशी के मुंह से लार गिरना, मुंह, मसूढ़े और जीभ पर छाले पड़ना, खुरों के बीच में छाले हो जाना या जख्म होना और थन में छाले पड़ना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है.

रांची: मवेशियों को वायरल बीमारी एफएमडी (FMD) से बचाने के लिये टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू हो गया है. सरकार का लक्ष्य पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने और पशुओं को एफएमडी से बचाने के लिए एक करोड़ पशुओं को वैक्सीनेशन करने का है. 15 अक्टूबर 2023 तक पशुओं को वैक्सीन दी जाएगी.

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इसको लेकर भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी, पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता और टीकाकरण कर्मी अपने-अपने क्षेत्र में यह अभियान जोर-शोर से चला रहे हैं. रांची के इटकी प्रखंड की सभी पंचायतों में 100 प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने का निर्देश पदाकारियों और कर्मियों को दिया गया है.

अलग-अलग टीम बनाकर मवेशियों का किया जा रहा टीकाकरणः टीका कर्मी के रूप में संजय कुमार इटकी पूर्वी और पश्चिमी, विजय कुमार किल्ली, सोहन कच्छप कुर्गी, राजू गोप चिनरो पुरियो, नौशाद अंसारी कुंदी, इरशाद अंसारी मल्टी, प्रकाश कुमार बोरिया, सागर गोप भंडारा गांव में टीकाकरण के कार्य में जुटे हैं. इटकी के बीडीओ गौतम साहू ने सभी पशुपालकों को अपने मवेशियों का टीकाकरण कराने की अपील की है. मवेशियों में गाय, भैंस, बछिया, पाड़ा को एफएमडी का टीका लगाया जा रहा है.

FMD एक संक्रामक बीमारी: पशु चिकित्सक डॉ. शिवा काशी ने बताया कि एफएमडी एक संक्रामक बीमारी है. इस रोग की चपेट में आनेवाले पशुओं में दूध की कमी के साथ बांझपन की भी दीर्घकालीन समस्या उत्पन्न हो जाती है. जिससे पशुपालकों को आर्थिक हानि होती है. इस रोग से ग्रसित होने पर बछड़े की मृत्यु हो जाती है. बछड़े की मौत ज्यादतर हार्ट अटैक से होती है. FMD बीमारी में बछड़े को टाइग्रोइड हार्ट हो जाता है. बड़े जानवरों में मृत्यु दर नहीं के बराबर है, लेकिन उत्पादन हानि से पशुपालकों को नुकसान होता है. एफएमडी कंट्रोल प्रोग्राम एक नियंत्रण कार्यक्रम है. इसलिए हर चार महीने में एफएमडी टीकाकरण किया जा रहा है, ताकि राज्य के पशुपालकों को नुकसान नहीं उठाना पड़े.

कैसे फैलती है एफएमडी बीमारीः एफएमडी का संक्रमण रोगी पशु और उसके संपर्क में आने वाले दूसरे पशु, व्यक्ति, संक्रमित चारे, दाना-पानी, दूध के बर्तनों से होता है. खुरपका-मुंहचिपका रोग के लक्षण में मवेशी के मुंह से लार गिरना, मुंह, मसूढ़े और जीभ पर छाले पड़ना, खुरों के बीच में छाले हो जाना या जख्म होना और थन में छाले पड़ना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है.

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