रांची: झारखंड में बोर्ड निगम (Board Commission Corporation Jharkhand) के मलाइदार पदों को पाने के लिए आस लगाये सत्तारूढ़ दलों के नेताओं के लिए खुशखबरी है. राज्य सरकार के अंदरखाने में इसे भरने के लिए एक बार फिर कवायद शुरू हुई है. संभावना जताई जा रही है कि जनवरी के अंत तक इस पर सहमति बन जायेगी. कांग्रेस विधायक दल के नेता और सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने भी यह संकेत देते हुए कहा है कि दिल्ली में इस मुद्दे पर विचार विमर्श के बाद मुहर लगेगी.
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दरअसल, गठबंधन के अंदर कांग्रेस अभी तक बोर्ड निगम में नेताओं को एडजस्ट करने की सूची तय नहीं कर पाई है, जिस वजह से यह अभी तक लटका हुआ है. जानकारी के मुताबिक सत्तारूढ़ दलों के अंदर विभागवार बोर्ड निगम पर सहमति बन चुकी है. कांग्रेस के खाते में हाउसिंग बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष, महिला आयोग में सदस्य, आरआरडीए आदि मिलने की संभावना है.
जानकारी के अनुसार 6 या 7 जनवरी को मंत्री आलमगीर आलम और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर दिल्ली दौरे पर रहेंगे, जिस दौरान सूची को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सहमति से अंतिम रूप दिया जायेगा. आलमगीर आलम का मानना है कि 20 सूत्री के बाद 15 सूत्री कमेटी बनी है और अब बोर्ड निगम की बारी है. जल्द ही इस पर भी मुहर लगने की संभावना है. इधर झामुमो ने भी बोर्ड निगम के शीघ्र गठन होने की बात कही है. झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि खरमास के बाद बोर्ड निगम के खाली पदों को भर लिया जायेगा. इसमें कोई पेंच नहीं है. उन्होंने कहा कि इन दलों के द्वारा चुंकि नीतिगत निर्णय दिल्ली और पटना में ली जाती है, इस वजह से कोई भी निर्णय लेने में देरी होती है.
इन बोर्ड-निगम और आयोग में खाली हैं पद
- राज्य सूचना आयोग
- लॉ कमीशन
- बाल संरक्षण आयोग
- राज्य के 22 जिलों में स्थित उपभोक्ता फोरम
- राज्य खादी बोर्ड
- मानवाधिकार आयोग
- महिला आयोग
- आरआरडीए
- माडा
- जेपीएससी में सदस्यों के पद
नहीं बन पायेगा बोर्ड निगम-बीजेपी: बोर्ड निगम को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि किसी भी हालत में बोर्ड निगम नहीं बनेगा. भाजपा विधायक सीपी सिंह का मानना है कि 3 वर्ष बीत गए और 2 वर्ष बचे हैं ऐसे में कांग्रेसी भलें ही आस लगाकर बैठे हैं की बोर्ड निगम में जगह मिलेगा लेकिन यह संभव नहीं है क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में यहां सरकार चल रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर को राज्यमंत्री का दर्जा देकर झारखंड मुक्ति मोर्चा अन्य बोर्ड निगम को गठित करने के लिए गंभीर नहीं है.ऐसे में इन तीन दलों के बीच समन्वय का अभाव बड़ी वजह बन रही है और कार्यकर्ता आस लगाए हुए अभी तक बैठे हुए हैं.