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क्या निजी हाथों में चला जाएगा झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक! वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देश के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म

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Published : Sep 24, 2022, 8:13 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने ग्रामीण बैंकों के लिए आईपीओ (Gramin Bank IPO) के माध्यम से पूंजी जुटाने का फैसला लिया है. इस बाबत सभी ग्रामीण बैंकों के चेयरमैन को दिशा निर्देश जारी किया गया है. केंद्र के इस कदम के बाद ग्रामीण बैंकों के निजीकरण (Gramin Banks Privatization) की बात भी होने लगी है.

Union Finance Ministry is bringing Gramin Bank IPO
Union Finance Ministry is bringing Gramin Bank IPO

रांची: भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने देश के सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के स्पॉन्सर बैंकों को IPO के जरिए पूंजी जुटाने के लिए एक दिशा निर्देश जारी किया है. इसको लेकर वित्त मंत्रालय के निदेशक प्रशांत गोयल ने झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन को भी पत्र भेजा है. इस गाइडलाइन के बाद इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या आने वाले समय में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की कमान निजी हाथों में चली जाएगी.

दरअसल, झारखंड में सिर्फ एक ग्रामीण बैंक है. पूरे राज्य में इसकी कुल 443 शाखाएं हैं. कर्मचारियों की संख्या 1800 से ज्यादा है. इसकी कुल जमा राशि 8,617 करोड़ और क्रेडिट लोन करीब 4,500 करोड़ का है. इसमें 50 प्रतिशत शेयर केंद्र सरकार, 35 प्रतिशत शेयर SBI और शेष 15 प्रतिशत शेयर राज्य सरकार के पास है. आरआरबी एक्ट में हुए संशोधन के मुताबिक केंद्र सरकार अपने 50 प्रतिशत शेयर में से 34 प्रतिशत शेयर बेच सकती है.

झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव एनके वर्मा का कहना है कि निजीकरण की दिशा में इसे पहला कदम कहना गलत नहीं होगा. उनका मानना है कि अगर केंद्र सरकार अपना 34 प्रतिशत शेयर बेच देती है, तब भी स्पॉन्सर बैंक के 35 प्रतिशत और केंद्र सरकार के शेष 16 प्रतिशत के हिसाब से 51 प्रतिशत शेयर के साथ ग्रामीण बैंक पर केंद्र का ही नियंत्रण रहेगा. लेकिन आगे चलकर कुछ भी हो सकता है. उनका कहना है कि अगर ऐसा होता है तो ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधा प्रभावित होगी. घाटे में चल रहे ब्रांच बंद किए जा सकते हैं. कर्मचारियों की छंटनी भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण बैंक के संचालन में राज्य सरकार की कोई खास भूमिका नहीं रहती है. वह सिर्फ एक स्टेक होल्डर है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में राज्य सरकार के दो नुमाइंदे होते हैं. उनकी प्राथमिकता सिर्फ राज्य सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने की होती है. राज्य सरकार चाहती है कि ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा लोन मिल सके. फिर भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मेमोरेंडर देकर केंद्र पर दबाव डालने की कोशिश की जाएगी.

दूसरी तरफ ईटीवी भारत ने झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन पीयूष भट्ट से इस मसले पर बात की. उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि अगर राज्य ग्रामीण बैंक का IPO आता है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी. उन्होंने कहा कि समय बदल रहा है. प्राइवेट बैंक अब तेजी से ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रांच खोल रहे हैं. प्रतिसपर्धा बढ़ने पर ग्रामीणों को अच्छी सेवा मिलेगी. उन्होंने निजीकरण की आशंका पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

क्या कुछ है वित्त मंत्रालय के गाइडलाइन में: वित्त मंत्रालय के दिशा निर्देश के मुताबिक आईपीओ के जरिए पूंजी जुटाने के लिए सिर्फ वैसे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिकृत होंगे, जिनका पिछले तीन वर्षों में लगातार 3 हजार करोड़ का नेट वर्थ और पूंजी पर्याप्तता 9% के नियामक न्यूनतम स्तर से ज्यादा होगी. इसकी लिस्टिंग करने की जिम्मेदारी संबंधित स्पॉन्सर बैंकों को दी गई है. हालांकि झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक इस क्राइटेरिया को पूरा नहीं कर रहा है.

सबसे खास बात है कि वित्त मंत्रालय का यह दिशा निर्देश सिर्फ झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के लिए नहीं बल्कि देश के सभी 43 ग्रामीण बैंकों के लिए है. साथ ही यह भी स्पष्ट है कि घाटे में चल रहे बैंकों का आईपीओ जारी नहीं किया जाएगा. फिलहाल, इस पैमाने पर झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक खरा नहीं उतर पा रहा है.

रांची: भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने देश के सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के स्पॉन्सर बैंकों को IPO के जरिए पूंजी जुटाने के लिए एक दिशा निर्देश जारी किया है. इसको लेकर वित्त मंत्रालय के निदेशक प्रशांत गोयल ने झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन को भी पत्र भेजा है. इस गाइडलाइन के बाद इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या आने वाले समय में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की कमान निजी हाथों में चली जाएगी.

दरअसल, झारखंड में सिर्फ एक ग्रामीण बैंक है. पूरे राज्य में इसकी कुल 443 शाखाएं हैं. कर्मचारियों की संख्या 1800 से ज्यादा है. इसकी कुल जमा राशि 8,617 करोड़ और क्रेडिट लोन करीब 4,500 करोड़ का है. इसमें 50 प्रतिशत शेयर केंद्र सरकार, 35 प्रतिशत शेयर SBI और शेष 15 प्रतिशत शेयर राज्य सरकार के पास है. आरआरबी एक्ट में हुए संशोधन के मुताबिक केंद्र सरकार अपने 50 प्रतिशत शेयर में से 34 प्रतिशत शेयर बेच सकती है.

झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव एनके वर्मा का कहना है कि निजीकरण की दिशा में इसे पहला कदम कहना गलत नहीं होगा. उनका मानना है कि अगर केंद्र सरकार अपना 34 प्रतिशत शेयर बेच देती है, तब भी स्पॉन्सर बैंक के 35 प्रतिशत और केंद्र सरकार के शेष 16 प्रतिशत के हिसाब से 51 प्रतिशत शेयर के साथ ग्रामीण बैंक पर केंद्र का ही नियंत्रण रहेगा. लेकिन आगे चलकर कुछ भी हो सकता है. उनका कहना है कि अगर ऐसा होता है तो ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधा प्रभावित होगी. घाटे में चल रहे ब्रांच बंद किए जा सकते हैं. कर्मचारियों की छंटनी भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण बैंक के संचालन में राज्य सरकार की कोई खास भूमिका नहीं रहती है. वह सिर्फ एक स्टेक होल्डर है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में राज्य सरकार के दो नुमाइंदे होते हैं. उनकी प्राथमिकता सिर्फ राज्य सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने की होती है. राज्य सरकार चाहती है कि ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा लोन मिल सके. फिर भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मेमोरेंडर देकर केंद्र पर दबाव डालने की कोशिश की जाएगी.

दूसरी तरफ ईटीवी भारत ने झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन पीयूष भट्ट से इस मसले पर बात की. उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि अगर राज्य ग्रामीण बैंक का IPO आता है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी. उन्होंने कहा कि समय बदल रहा है. प्राइवेट बैंक अब तेजी से ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रांच खोल रहे हैं. प्रतिसपर्धा बढ़ने पर ग्रामीणों को अच्छी सेवा मिलेगी. उन्होंने निजीकरण की आशंका पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

क्या कुछ है वित्त मंत्रालय के गाइडलाइन में: वित्त मंत्रालय के दिशा निर्देश के मुताबिक आईपीओ के जरिए पूंजी जुटाने के लिए सिर्फ वैसे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिकृत होंगे, जिनका पिछले तीन वर्षों में लगातार 3 हजार करोड़ का नेट वर्थ और पूंजी पर्याप्तता 9% के नियामक न्यूनतम स्तर से ज्यादा होगी. इसकी लिस्टिंग करने की जिम्मेदारी संबंधित स्पॉन्सर बैंकों को दी गई है. हालांकि झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक इस क्राइटेरिया को पूरा नहीं कर रहा है.

सबसे खास बात है कि वित्त मंत्रालय का यह दिशा निर्देश सिर्फ झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के लिए नहीं बल्कि देश के सभी 43 ग्रामीण बैंकों के लिए है. साथ ही यह भी स्पष्ट है कि घाटे में चल रहे बैंकों का आईपीओ जारी नहीं किया जाएगा. फिलहाल, इस पैमाने पर झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक खरा नहीं उतर पा रहा है.

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