रांचीः झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाने के लिए हेमंत सरकार ने कमर कस ली है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र से लेकर सामान्य गांवों की सड़कें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और राज्य संपोषित योजना के तहत बनाने की तैयारी है. जिनके तहत झारखंड के ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण किया जाएगा.
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झारखंड सरकार की प्राथमिकता में ग्रामीण क्षेत्रों का विकास है. इसके लिए कई योजनाएं बनी हैं मगर मूर्तरूप देने में कई वजहों से वक्त लग रहे हैं. इन सबके बीच बदहाल पड़े ग्रामीण सड़कों के दिन बदलने वाले हैं. केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से करीब 4000 किलोमीटर सड़कें राज्य में बनेंगी. ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से राज्य में सड़कों का निर्माण, चौड़ीकरण और मरम्मती का कार्य होगा, जिसपर सरकार भारी भरकम राशि खर्च करेगी. झारखंड में कोरोना और अन्य वजहों पिछले 2 वर्ष से ग्रामीण सड़कों का निर्माण, मरम्मती कार्य बंद था. जिसका खामियाजा राज्य के गांवों में रहने वाले लोग भुगतते रहे हैं. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम खुद ये बात स्वीकार कर रहे हैं.
इन योजनाओं से बनेगा सड़केंः झारखंड में करीब 46 हजार किलोमीटर सड़क है जो सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों को शहर और शहर से जिला और प्रदेश मुख्यालय को जोड़ता है. इसके अलावा 1600 बड़े और छोटे पुल पुलिया हैं. इन सड़कों का निर्माण, चौड़ीकरण और मरम्मती का कार्य केंद्र और राज्य संपोषित योजनाओं से होता है. इस वर्ष केंद्र से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 350 किलोमीटर सड़क बनाने की स्वीकृति अब तक मिल चुकी है. इसके अलावा करीब 3000 किलोमीटर सड़क बनाने की स्वीकृति जल्द मिलने की संभावना है. राज्य संपोषित योजना के तहत स्थानीय विधायकों द्वारा अनुशंसित सड़कें भी बनाई जाएंगी.
सरकार के क्रियाकलाप पर विपक्ष का हमलाः झारखंड में सड़कों की बदहाल स्थिति के लिए स्थानीय लोग सरकार को दोषी मान रहे हैं. बरसात के समय होने वाली परेशानी को याद कर लोग सरकार के कामकाज की निंदा कर रहे हैं. इधर स्थानीय लोगों के साथ साथ विपक्ष भी हमलावर हो गई है. बीजेपी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने राज्य संपोषित योजना से बननेवाली सड़क 2 वर्ष में नहीं बनने से हेमंत सरकार की खिंचाई की है.