रांची: धर्मांतरित लोगों को अनुसूचित जनजाति आरक्षण की सुविधा नहीं देने की मांग को लेकर आदिवासी सुरक्षा मंच की ओर से रविवार को रांची में उलगुलान डीलिस्टिंग महारैली का आयोजन किया गया. इस महारैली में लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा, छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री गणेश राम भगत उरांव, न्यायपालिका से जुड़े मध्य प्रदेश के प्रकाश सिंह उइके समेत बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए. लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा ने कहा कि यह बड़ा सवाल है कि स्वेच्छा से आदिवासी रीति-रिवाजों को छोड़ने वाले लोगों को आदिवासियों को मिलने वाला लाभ क्यों मिलना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के आदिवासी सुरक्षा मंच के नेता और पूर्व मंत्री गणेश उरांव ने उलगुलान डीलिस्टिंग महारैली के दौरान मंच से कहा कि अगर सरकार ने धर्म बदलने वाले लोगों का आरक्षण खत्म नहीं किया तो दिल्ली में एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा और आदिवासी समुदाय, जो मूल रूप से प्रकृति पूजक है, लोग तब तक दिल्ली से नहीं हटेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती. गणेश उरांव ने कहा कि मिशनरीज हमें गुमराह कर रहे हैं, इससे हमें बचने की जरूरत है. धर्मांतरित लोग आदिवासी समाज को दीमक की तरह खा रहे हैं. कार्तिक उरांव ने कहा था कि अगर डीलिस्टिंग नहीं हुई तो हम आंदोलन करते-करते जान दे देंगे. अब हमें दिल्ली जाने की तैयारी करनी है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना है. उससे पहले मई महीने में रांची में एक और बड़ी रैली होगी.
संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन की मांग: वीआरएस लेकर आदिवासी सुरक्षा मंच से जुड़े मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा के रिटायर्ड न्यायाधीश प्रकाश सिंह उइके ने कहा कि जिस तरह से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 में स्पष्ट है कि जो कोई भी अनुसूचित जाति के लोगों का धर्म परिवर्तन कराएगा, उसका आरक्षण का अधिकार खत्म हो जाएगा. लेकिन हम आदिवासियों के लिए अनुच्छेद 342 में ऐसा प्रावधान नहीं कर पाये. ऐसे में आदिवासी से ईसाई-मुस्लिम धर्म बदलने वाले लोगों को दोहरी पहचान के साथ दोहरा लाभ मिल रहा है. यह ठीक नहीं है. प्रकाश सिंह उइके ने कहा कि धारा 342 में संशोधन कर यह प्रावधान किया जाए कि जिन आदिवासियों ने अपना धर्म बदल लिया है, उन्हें आदिवासियों को मिलने वाले लाभ या आरक्षण से वंचित कर दिया जाए.
'वर्षों पहले हो जानी चाहिए थी डिलिस्टिंग': उलगुलान डीलिस्टिंग रैली का आयोजन करने वाले लोकसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर और आदिवासी सुरक्षा मंच के संरक्षक कड़िया मुंडा ने कहा कि वर्षों पहले धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों को आदिवासियों की सूची से हटा दिया जाना चाहिए था और आरक्षण सहित उनके सभी लाभ बंद कर दिए जाने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि अगर आज भी हम ऐसा करने में असफल रहे तो हमारी अगली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी. जनजाति सुरक्षा मंच ने डीलिस्टिंग के मुद्दे पर 18 राज्यों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए हैं. जनजाति सुरक्षा मंच ने आने वाले दिनों में अगरतला में भी ऐसी रैली आयोजित करने की योजना बनाई है.
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