रांचीः मां बनने का एहसास जितना सुखद होता है उतना ही दुःखद होता है प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाना. झारखंड ने मैटरनल मोर्टेलिटी रेट (MMR) को कम करने में बड़ी उपलब्धि हासिल की है पर अभी-भी हर एक लाख प्रसव में 61 गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाना राज्य के लिए चिंता का विषय है.
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प्रसव के दौरान राज्य में हर साल करीब 600 गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाती है. जिसमें करीब अकेले 17% मौत की वजह पीपीएच यानी पोस्टपोर्टम हेमरेज होता है यानी 100 से ज्यादा माताओं की मौत रक्तस्राव की वजह से होती है. MMR में सबसे बड़ा कारण प्रसव के दौरान होने वाला अत्यधिक रक्तस्राव होता है. लेकिन प्रसव के दौरान इलाज के लिए यूबीटी तकनीक मददगार साबित होगा.
स्त्री रोग विशेषज्ञों को USAID कर रहा ट्रेंडः गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान होने वाली मौत के आंकड़े को कम करने में UBT तकनीक बेहद कारगर साबित हो सकता है. इस तकनीक में रक्तस्राव के समय गर्भाशय में बैलून की मदद से रक्तस्राव को रोका जाता है ताकि PPH के समय में गर्भवती माताओं को बड़े सरकारी अस्पताल भेजने का समय मिल जाता है. USAID की सीनियर एडवाइजरी डॉ. देवीना वाजपेयी कहती हैं कि UBT से मातृत्व मृत्यु दर को कम किया जा सकता है.
राज्य में मातृत्व स्वास्थ्य की नोडल अधिकारी डॉ. दीपाली कहती हैं कि राज्य में लगभग 9 लाख से अधिक प्रसव हर साल होता है, जिसमें 600 महिलाओं की जान प्रसव के दौरान चली जाती है. ऐसे में राज्य की सरकार और स्वास्थ्य विभाग की कोशिश है कि नई तकनीक से डॉक्टरों को लैस करके 100% संस्थागत प्रसव के द्वारा MMR को जीरो के करीब लाया जाए. सरकार की इस लक्ष्य को पाने में UBT तकनीक मदद करेगा क्योंकि अभी-भी मातृत्व मृत्यु में मुख्य वजहों में से प्रसव के दौरान होने वाला रक्तस्राव ही है.
प्रशिक्षण लेने के बाद सदर अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति चैतन्य ने कहा कि जिला अस्पताल में मिली इस ट्रेनिंग को CHC-PHC तक ले जाया जाएगा. जिससे पीपीएच यानी प्रसव के दौरान होने वाली अत्यधिक रक्तस्राव से होने वाली मौत को कम किया जा सके. जिसमें महिलाओं के प्रसव के दौरान होने वाली मौत के आंकड़े को कम करने में UBT तकनीक बेहद कारगर साबित हो सकता है.