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रांचीः घरों में रहकर आदिवासियों ने मनाया प्रकृति पर्व सरहुल, डॉ रामेश्वर उरांव ने आदिवासी समुदाय को दी बधाई - रांची में प्रकृति उत्सव सरहुल

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वित्ता मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए आदिवासी समाज के लोगों ने शोभायात्रा और जुलूस नहीं निकाला है. सरकार के निर्णय के साथ झारखंड की जनता खड़ी है.

Tribals celebrated the nature festival Sirhul in Ranchi
आदिवासियों ने मनाया प्रकृति पर्व सरहुल
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Published : Apr 15, 2021, 5:16 PM IST

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वित्ता मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए आदिवासी समाज के लोगों ने शोभायात्रा नहीं निकाी है. सरकार के निर्णय के साथ झारखंड की जनता खड़ी है. उन्होंने आदिवासी समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि घरों में रहकर ही प्रकृति पर्व सरहुल मनाया है, जो वर्तमान समय के लिए बेहतर है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही महामारी से मुकाबला करना है.

यह भी पढ़ेंःप्रकृति पर्व सरहुल: पाहन ने की पवित्र सरना स्थल में पूजा, अच्छी खेती और कोरोना मुक्ति को लेकर की कामना

प्रकृति प्रेमी होते है आदिवासी समुदाय

प्रदेश अध्यक्ष डाॅ रामेश्वर उरांव ने कहा है कि सरहुल महोत्सव चैत्र माह के शुरुआत दौरान मनाया जाता है. इस महोत्सव के दौरान पृथ्वी और प्रकृति की पूजा की जाती है. सरहुल त्योहार धरती माता को समर्पित है. इसके साथ ही पारंपरिक नृत्य करने के साथ आदिवासी समुदाय धान, पेड़ों के पत्ते, फूलों और फलों का उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति प्रेमी होते हैं. पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ लोक नृत्य करते हुए आदिवासी समुदाय के लोग सरहुल जुलूस और शोभायात्रा निकालते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से जुलूस और शोभायात्र नहीं निकाला गया है.

सीमित व्यवस्था में मनाया गया प्रकृति पर्व

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता ने कहा कि आदिवासी समुदाय प्रकृति पर्व धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन इस वर्ष प्रकृति पर्व सीमित व्यवस्था में मनाया जा रहा है. इसको लेकर झारखंडवासियों को हार्दिक बधाई दी है.

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वित्ता मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए आदिवासी समाज के लोगों ने शोभायात्रा नहीं निकाी है. सरकार के निर्णय के साथ झारखंड की जनता खड़ी है. उन्होंने आदिवासी समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि घरों में रहकर ही प्रकृति पर्व सरहुल मनाया है, जो वर्तमान समय के लिए बेहतर है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही महामारी से मुकाबला करना है.

यह भी पढ़ेंःप्रकृति पर्व सरहुल: पाहन ने की पवित्र सरना स्थल में पूजा, अच्छी खेती और कोरोना मुक्ति को लेकर की कामना

प्रकृति प्रेमी होते है आदिवासी समुदाय

प्रदेश अध्यक्ष डाॅ रामेश्वर उरांव ने कहा है कि सरहुल महोत्सव चैत्र माह के शुरुआत दौरान मनाया जाता है. इस महोत्सव के दौरान पृथ्वी और प्रकृति की पूजा की जाती है. सरहुल त्योहार धरती माता को समर्पित है. इसके साथ ही पारंपरिक नृत्य करने के साथ आदिवासी समुदाय धान, पेड़ों के पत्ते, फूलों और फलों का उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति प्रेमी होते हैं. पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ लोक नृत्य करते हुए आदिवासी समुदाय के लोग सरहुल जुलूस और शोभायात्रा निकालते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से जुलूस और शोभायात्र नहीं निकाला गया है.

सीमित व्यवस्था में मनाया गया प्रकृति पर्व

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता ने कहा कि आदिवासी समुदाय प्रकृति पर्व धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन इस वर्ष प्रकृति पर्व सीमित व्यवस्था में मनाया जा रहा है. इसको लेकर झारखंडवासियों को हार्दिक बधाई दी है.

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