रांची: सरना आदिवासी धर्मकोड की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान और केंद्रीय सरना समिति ने संयुक्त तत्वाधान में बैठक की. इस दौरान अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई गई और आगामी 6 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी रेल-चक्का जाम करने का आव्हान किया गया. इसे सफल बनाने के लिए आदिवासी बहुल राज्यों के आदिवासियों को एकमत किया जाएगा.
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इन सामाजिक संगठनों के अगुवाओं का मानना है कि भले ही राज्य सरकार ने आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेज दिया हो, लेकिन लड़ाई अभी अधूरी है. 2021 के जनगणना से पहले केंद्र सरकार कानूनी रूप से आदिवासियों को धार्मिक पहचान नहीं देती है तो यह लड़ाई लड़ने की जरूरत है. इसको लेकर संघर्ष कर रहे सामाजिक धार्मिक संगठनों को एक मंच पर आने की जरूरत है, ताकि भारत सरकार से अपनी धार्मिक पहचान ले सके.
आदिवासी सेंगेल अभियान और केंद्रीय सरना समिति की बैठक, सरना धर्म कोड की मांग पर हुई चर्चा - सरना धर्म कोड की मांग
रांची में सरना आदिवासी धर्मकोड की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान और केंद्रीय सरना समिति ने संयुक्त बैठक की और अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई.
रांची: सरना आदिवासी धर्मकोड की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान और केंद्रीय सरना समिति ने संयुक्त तत्वाधान में बैठक की. इस दौरान अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई गई और आगामी 6 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी रेल-चक्का जाम करने का आव्हान किया गया. इसे सफल बनाने के लिए आदिवासी बहुल राज्यों के आदिवासियों को एकमत किया जाएगा.
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इन सामाजिक संगठनों के अगुवाओं का मानना है कि भले ही राज्य सरकार ने आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेज दिया हो, लेकिन लड़ाई अभी अधूरी है. 2021 के जनगणना से पहले केंद्र सरकार कानूनी रूप से आदिवासियों को धार्मिक पहचान नहीं देती है तो यह लड़ाई लड़ने की जरूरत है. इसको लेकर संघर्ष कर रहे सामाजिक धार्मिक संगठनों को एक मंच पर आने की जरूरत है, ताकि भारत सरकार से अपनी धार्मिक पहचान ले सके.