रांची: इन दिनों समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड की जोरशोर से चर्चा चल रही है. इसका मतलब है एक ऐसा सेक्यूलर कानून जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होता है. इसके मुताबिक अलग-अलग पंथ के लिए अलग-अलग सिविल कानून नहीं होना चाहिए. इसपर 22वें विधि आयोग ने आम जनता, सार्वजनिक संस्थानों और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से जुड़े लोगों की राय मांगी है. इसके लिए 14 जुलाई तक का समय दिया गया है. एक पक्ष की दलील है कि इससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा. धर्म के आधार पर भेदभाव रूकेगा. कानूनी प्रणाली को सरल बनाने में मदद मिलेगी. वहीं दूसरे पक्ष का मानना है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा.
इस बीच यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में झारखंड के आदिवासी संगठन गोलबंद होने लगे हैं. 25 जून को करमटोली के पास धुमकुड़िया में एक बैठक बुलायी गयी है. इसमें विस्तार से चर्चा के साथ आगे की रणनीति बनेगी. आदिवासी जनपरिषद के प्रेमशाही मुंडा ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड से आदिवासियों का हक प्रभावित होगा. उनकी दलील है कि केंद्र की मोदी सरकार एक साजिश के तहत इसको लाना चाह रही है. यह इसलिए आदिवासी हित में नहीं है क्योंकि इससे आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए बना सीएनटी और एसपीटी एक्ट प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि अगर इसको लागू किया गया तो पांचवी अनुसूची का क्या होगा. आदिवासियों के लिए बने पेसा कानून का क्या होगा. उन्होंने इसे आदिवासी विरोधी बताते हुए अपना विरोध जताया है. प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि 25 जून को प्रस्तावित बैठक में देवकुमार धान और गीताश्री उरांव समेत कई नेता शिरकत करेंगे. इस बैठक में झारखंड के विधानसभा से पारित सरना आदिवासी धर्म कोड पर अबतक केंद्र की मुहर नहीं लगाए जाने के सवाल पर भी चर्चा होगी.
आदिवासी जनपरिषद और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की ओर से बुलायी गई बैठक के बाबत प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि रविवार की बैठक में स्पष्ट हो जाएगा कि हमलोग क्या करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के रूख से स्पष्ट है कि हमें सड़क पर उतरकर इसके विरोध में आंदोलन करना होगा. उनसे पूछा गया कि क्या आप भाजपा विरोधी पार्टियों से भी इसके लिए समर्थन मांगेंगे. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमें समर्थन मांगने की जरूरत नहीं है. अगर कोई पार्टी समर्थन करेगी तो हम उसका स्वागत करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गई तो इसका प्रभाव आगामी चुनाव पर भी दिखेगा.