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आदिवासी संगठनों का विधानसभा घेराव, प्रशासन ने नया सराय में बैरिकेड लगाकर रोका

जल, जंगल, जमी और आदिवासियों की तमाम मांगों को लेकर बुधवार को आदिवासी संगठनों ने प्रदर्शन किया. विधानसभा का घेराव करने निकले आदिवासियों को नया सराय में रोक दिया गया. इससे आदिवासी नेता आगबबूला हो गए.

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आदिवासी संगठनों का विधानसभा घेराव
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Published : Mar 23, 2022, 3:24 PM IST

Updated : Mar 23, 2022, 3:51 PM IST

रांची: जल जंगल जमीन और आदिवासियों के धार्मिक मामलों की जमीन लूट पर रोक लगाने की मांग को लेकर बुधवार को कई आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने प्रदर्शन किया. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों के सदस्य विधानसभा घेराव के लिए निकले. हालांकि कुछ पहले पुलिस प्रशासन ने नया सराय के पास रोक दिया. यहां सड़क पर ही आदिवासी सामाजिक संगठनों ने आम सभा की.

ये भी पढ़ें-आदिवासी संगठन 23 मार्च को घेरेंगे विधानसभा, पूर्व मंत्री बोले- आदिवासियों के धार्मिक स्थलों की जमीन लूट रही सरकार

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि झारखंड की सरकार आदिवासियों की आवाज दबा रही है, जिसके कारण विधानसभा घेराव से पहले ही सड़क पर उन्हें प्रशासन ने रोक लिया. उन्होंने कहा कि हम लोगों की लड़ाई पुलिस प्रशासन से नहीं, बल्कि सीधे सरकार से है. उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की जमीन को अवैध रूप से हथियाया जा रहा है. सीएनटी एसपीटी एक्ट का पालन नहीं कराया जा रहा है.

देखें पूरी खबर

सरकार को झुकाकर रहेंगेः पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि सिलगाई में शहीद वीर बुधु भगत के नाम से आवंटित जमीन को एकलव्य विद्यालय के नाम पर आवंटित कर दिया गया, जिसको लेकर लगातार आंदोलन किया जा रहा है. विस्थापितों के मुद्दे, एचईसी द्वारा ली गई जमीन के मुद्दे समेत आदिवासियों के खिलाफ हो रहे अन्याय को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है. यह आंदोलन किसानों के आंदोलन की तर्ज पर करेंगे, सरकार को झुकना ही पड़ेगा.


धरातल पर वादों पर अमल नहींः आदिवासी नेता सुभाष मुंडा ने कहा कि जल जंगल और जमीन की बात करने वाली सरकार सिर्फ भाषण देती है. धरातल पर उसके वादे नहीं दिखते. हर तरफ से आदिवासियों की धार्मिक जमीनों को लूटने का काम किया जा रहा है. आदिवासियों से जमीन की खरीद बिक्री की जा रही है और सरकार इस ओर कोई कदम नहीं उठा रही है. इन्हीं तमाम मांगों को लेकर विधानसभा घेराव का कार्यक्रम है लेकिन सरकार ने क्रूरता दिखाते हुए बीच में ही बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया. लेकिन यह आंदोलन रूकने वाला नहीं है. यह तो सिर्फ आगाज है पिक्चर आगे बाकी है.

रांची: जल जंगल जमीन और आदिवासियों के धार्मिक मामलों की जमीन लूट पर रोक लगाने की मांग को लेकर बुधवार को कई आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने प्रदर्शन किया. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों के सदस्य विधानसभा घेराव के लिए निकले. हालांकि कुछ पहले पुलिस प्रशासन ने नया सराय के पास रोक दिया. यहां सड़क पर ही आदिवासी सामाजिक संगठनों ने आम सभा की.

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आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि झारखंड की सरकार आदिवासियों की आवाज दबा रही है, जिसके कारण विधानसभा घेराव से पहले ही सड़क पर उन्हें प्रशासन ने रोक लिया. उन्होंने कहा कि हम लोगों की लड़ाई पुलिस प्रशासन से नहीं, बल्कि सीधे सरकार से है. उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की जमीन को अवैध रूप से हथियाया जा रहा है. सीएनटी एसपीटी एक्ट का पालन नहीं कराया जा रहा है.

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सरकार को झुकाकर रहेंगेः पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि सिलगाई में शहीद वीर बुधु भगत के नाम से आवंटित जमीन को एकलव्य विद्यालय के नाम पर आवंटित कर दिया गया, जिसको लेकर लगातार आंदोलन किया जा रहा है. विस्थापितों के मुद्दे, एचईसी द्वारा ली गई जमीन के मुद्दे समेत आदिवासियों के खिलाफ हो रहे अन्याय को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है. यह आंदोलन किसानों के आंदोलन की तर्ज पर करेंगे, सरकार को झुकना ही पड़ेगा.


धरातल पर वादों पर अमल नहींः आदिवासी नेता सुभाष मुंडा ने कहा कि जल जंगल और जमीन की बात करने वाली सरकार सिर्फ भाषण देती है. धरातल पर उसके वादे नहीं दिखते. हर तरफ से आदिवासियों की धार्मिक जमीनों को लूटने का काम किया जा रहा है. आदिवासियों से जमीन की खरीद बिक्री की जा रही है और सरकार इस ओर कोई कदम नहीं उठा रही है. इन्हीं तमाम मांगों को लेकर विधानसभा घेराव का कार्यक्रम है लेकिन सरकार ने क्रूरता दिखाते हुए बीच में ही बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया. लेकिन यह आंदोलन रूकने वाला नहीं है. यह तो सिर्फ आगाज है पिक्चर आगे बाकी है.

Last Updated : Mar 23, 2022, 3:51 PM IST
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