रांची: रांची नगर निगम के मेयर पद अनुसूचित जाति के लिए रोस्टर आरक्षण के तहत आरक्षित कर दिए जाने के बाद आदिवासी संगठनों ने इसका विरोध तेज कर दिया है(Reservation In Local Body Elections). 23 नवंबर को ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई जिसमें 11 विषयों पर चर्चा के बाद शेड्यूल एरिया में मेयर के पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने सहित कई अनुशंसा की गई (Tribal Advisory Council recommendations ).
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आसन्न निकाय चुनाव में रोस्टर से आरक्षण के नियम पर महाधिवक्ता की राय लेने की भी बात हुई. इस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और 20 सूत्री के अध्यक्ष स्टीफन मरांडी ने कहा कि निकाय चुनाव के आरक्षण फार्मूला से टीएसी का फैसला डिफर करता है. उन्होंने कहा कि यह अटपटा नहीं है कि जिस एरिया में जिसकी आबादी नहीं होगी, रोस्टर से वहां भी उस समुदाय के लोग मेयर बन जाएंगे.
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि किस आधार पर रांची मेयर का पद पर SC को आरक्षण दिया है यह समझ से पड़े है. जहां जिसकी आबादी हो वहां उसे आरक्षण देना चाहिए, उन्होंने कहा कि राज्य में ओबीसी को भी निकाय चुनाव में आरक्षण मिलना चाहिए, यह भी सरकार सुनिश्चित करें. शेड्यूल एरिया में आरक्षण पर उन्होंने कहा कि नियमानुसार ही आरक्षण होना चाहिए.
2022 में झारखंड विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक से नवाजे गए भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि राज्य में पेसा कानून को लागू करने के लिए पेसा नियमावली बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि PESA के प्रावधान लागू हो और सरकार निकाय चुनाव जल्द कराने का रास्ता साफ करे. कांग्रेस विधायक दल के नेता और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि निकाय चुनाव और TAC के बैठक में लिए गए फैसले पर कांग्रेस का कोई स्टैंड नहीं है, कांग्रेस के विधायक भी TAC के सदस्य हैं और वह मीटिंग में शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि TAC की बैठक में 11 विषयों पर चर्चा हुई जिसमें निकाय चुनाव में आरक्षण का भी विषय था, यह भी कहा गया है कि महाधिवक्ता से राय ली जाएगी, ऐसे में अभी कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी.