रांचीः झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को एक रिसर्च सेंटर के रूप में विकसित करने की कोशिश लगातार की जा रही है. कोरोना की दवा के लिए RIMS में ट्रायल जल्द ही शुरू होगा. कोरोनावायरस को लेकर रिम्स में पहली बार एक दवा का प्रयोग माइल्ड/मॉडरेट लक्षण वाले कोविड संक्रमित 300 लोगों पर करने की तैयारी है. संक्रमितों पर शोध के लिए रिम्स की एथिकल कमेटी (Ethical committee of RIMS) ने 4 जून को अनुमति दे दी है.
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मिली जानकारी के अनुसार एटोरवास्टेटिन ( Atorvastatin) नाम की दवा, जिसका उपयोग डॉक्टर अभी तक कोलेस्ट्रॉल या लिपिड को कम करने या अन्य दिल संबंधी बीमारियों में किया करते थे, अब उसका प्रभाव कोरोना मरीजों पर देखने की तैयारी रिम्स ने की है. इस रिसर्च के लिए रिम्स की एथिकल कमेटी ने 4 जून को ही अनुमति दे दी है.
डॉ. प्रभात कुमार की अगुवाई में 300 लोगों पर होगा शोध
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माइल्ड लक्षण वाले कोरोनावायरस संक्रमित व्यक्ति पर एटोरवास्टेटिन दवा का क्या प्रभाव पड़ता है. इस रिसर्च के लिए 17 डॉक्टर की टीम बनाई गई है, जिसमें ट्रॉमा सेंटर के हेड डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य, डॉ. जयप्रकाश, डॉक्टर पीजी सरकार, डॉ. अजीत, डॉ. ऋषि, डॉक्टर निशित एक्का, डॉक्टर अनुपा प्रसाद, डॉ. प्रज्ञा पंत, डॉ. सुरेंद्र, डॉक्टर लखन मांझी, डॉ. अमित, डॉ. दिनेश सहित कुल 17 डॉक्टर को शामिल है. ये चिकित्सक माइल्ड लक्षण वाले 300 कोरोना संक्रमितों को दिल की दवा देकर मरीजों पर उसके प्रभाव की जांच करेंगे.
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अभी क्यों होता है Atorvastatin का उपयोग एटोरवास्टेटिन (Atorvastatin) नाम की दवा का अब तक डॉक्टर दिल की कुछ बीमारियों और हाई कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड को कम करने के लिए इस्तेमाल करते थे. इस रिसर्च कार्य का नेतृत्व करने वाले डॉ. प्रभात कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि अगर यह प्रयोग पॉजिटिव रहा तो इसका फायदा कोरोना मरीजों के इलाज में होगा.