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रांची में यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय सम्मेलन, सब्र के महत्व पर डाला गया प्रकाश

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 19, 2023, 8:50 PM IST

Updated : Nov 19, 2023, 8:57 PM IST

Three day conference of Jehovah Witnesses. रांची में यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय सम्मेलन हुआ. झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स सोसाइटी में इस बात पर फोकस करते हुए संपन्न हुआ कि सब्र रखना मत छोड़िए.

Three day conference of Jehovah Witnesses in Ranchi
रांची में यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय सम्मेलन
रांची में यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय सम्मेलन

रांचीः यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय अधिवेशन रांची के झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स सोसाइटी में इस बात पर फोकस करते हुए संपन्न हुआ कि सब्र रखना मत छोड़िए. यहोवा के साक्षी ईसाई धर्म समूह का एक हिस्सा माने जाते हैं. यह समुदाय पिछले दिनों विश्व स्तर पर तब चर्चा में आया, जब केरल के एर्नाकुलम में प्रार्थना सभा के दौरान एक कन्वेंशन सेंटर में विस्फोट से चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए थे. 17 नवंबर से 19 नवंबर तक चले अधिवेशन में जेपथा तिर्की, प्रशांत बामनीकर, प्रेम मरांडी, तोपहान प्रधान, डेंजिल डिक्रूज, सिमोन खानदारे नामक वक्ताओं ने अलग-अलग विषयों पर अपने विचार साझा किए लेकिन चर्चा के केंद्र में रहा सब्र से पेश आओ.

इसे भी पढ़ें- Kerala Blast : जिस प्रार्थना घर पर हमला हुआ, उनके अनुयायी न तो ईसा मसीह को भगवान मानते, न ही किसी देश का राष्ट्रगान गाते हैं

इस सम्मेलन में बताया गया कि भाग दौड़ भरी जिंदगी और बदलते जीवन शैली के कारण इंसान अपनों से दूर हो रहा है. हम अपने रिश्तेदार, जीवनसाथी, बच्चे और बुजुर्गों से तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं. छोटी-छोटी बातों पर सब्र खो रहे हैं. यह बताया गया कि हमें किसी भी हाल में सब्र को नहीं छोड़ना चाहिए. हमें माफ करने की आदत डालनी होगी. अगर मन में जलन पालेंगे तो खुद को ही नुकसान होगा. इसी का नतीजा है कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट के रोगियों की संख्या बढ़ रही है. अनैतिकता से दूर रहना, जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंध बनाना और लालच को छोड़ने पर जोर दिया गया.

यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय सम्मेलन में बताया गया कि घर के बुजुर्गों की कैसे देखभाल करनी चाहिए. अक्सर बीमार बुजुर्ग चिड़चिड़ेपन से ग्रसित होते हैं. वह परिवार के सदस्यों को खरी खोटी सुना दिया करते हैं. यहीं पर सब्र की परीक्षा होती है. अगर हम उनकी भावना को समझेंगे और सब्र के साथ उनकी बातों को महसूस करेंगे तो उनकी देखभाल करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान कई लोगों ने अपने अनुभव साझा किए.

यहोवा के साक्षी के प्रवक्ता संतोष मल्लिक ने बताया कि सब्र एक खूबसूरत गुण है जिसे हर कोई अपनी जिंदगी में दिखाना चाहता है. लेकिन जिंदगी की चुनौतियां की वजह से अच्छे इरादे होने के बावजूद इस गुण पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है. इन बातों को ध्यान में रखकर यहोवा के साक्षी पिछले 100 वर्षों से सम्मेलन कर लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि साल 2023 में सिर्फ भारत के 40 से ज्यादा शहरों में कुल 17 भाषाओं में 74 से ज्यादा अधिवेशन आयोजित किए गए हैं. यहोवा के साक्षी अधिवेशन में सभी धर्म के लोग आ सकते हैं. उन्होंने बताया कि रांची में अधिवेशन को बहुत अच्छा रिस्पांस मिला और इसमें शामिल लोगों ने सीखा कि कैसे खुश रहा जा सकता है.

रांची में यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय सम्मेलन

रांचीः यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय अधिवेशन रांची के झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स सोसाइटी में इस बात पर फोकस करते हुए संपन्न हुआ कि सब्र रखना मत छोड़िए. यहोवा के साक्षी ईसाई धर्म समूह का एक हिस्सा माने जाते हैं. यह समुदाय पिछले दिनों विश्व स्तर पर तब चर्चा में आया, जब केरल के एर्नाकुलम में प्रार्थना सभा के दौरान एक कन्वेंशन सेंटर में विस्फोट से चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए थे. 17 नवंबर से 19 नवंबर तक चले अधिवेशन में जेपथा तिर्की, प्रशांत बामनीकर, प्रेम मरांडी, तोपहान प्रधान, डेंजिल डिक्रूज, सिमोन खानदारे नामक वक्ताओं ने अलग-अलग विषयों पर अपने विचार साझा किए लेकिन चर्चा के केंद्र में रहा सब्र से पेश आओ.

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इस सम्मेलन में बताया गया कि भाग दौड़ भरी जिंदगी और बदलते जीवन शैली के कारण इंसान अपनों से दूर हो रहा है. हम अपने रिश्तेदार, जीवनसाथी, बच्चे और बुजुर्गों से तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं. छोटी-छोटी बातों पर सब्र खो रहे हैं. यह बताया गया कि हमें किसी भी हाल में सब्र को नहीं छोड़ना चाहिए. हमें माफ करने की आदत डालनी होगी. अगर मन में जलन पालेंगे तो खुद को ही नुकसान होगा. इसी का नतीजा है कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट के रोगियों की संख्या बढ़ रही है. अनैतिकता से दूर रहना, जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंध बनाना और लालच को छोड़ने पर जोर दिया गया.

यहोवा के साक्षियों का तीन दिवसीय सम्मेलन में बताया गया कि घर के बुजुर्गों की कैसे देखभाल करनी चाहिए. अक्सर बीमार बुजुर्ग चिड़चिड़ेपन से ग्रसित होते हैं. वह परिवार के सदस्यों को खरी खोटी सुना दिया करते हैं. यहीं पर सब्र की परीक्षा होती है. अगर हम उनकी भावना को समझेंगे और सब्र के साथ उनकी बातों को महसूस करेंगे तो उनकी देखभाल करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान कई लोगों ने अपने अनुभव साझा किए.

यहोवा के साक्षी के प्रवक्ता संतोष मल्लिक ने बताया कि सब्र एक खूबसूरत गुण है जिसे हर कोई अपनी जिंदगी में दिखाना चाहता है. लेकिन जिंदगी की चुनौतियां की वजह से अच्छे इरादे होने के बावजूद इस गुण पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है. इन बातों को ध्यान में रखकर यहोवा के साक्षी पिछले 100 वर्षों से सम्मेलन कर लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि साल 2023 में सिर्फ भारत के 40 से ज्यादा शहरों में कुल 17 भाषाओं में 74 से ज्यादा अधिवेशन आयोजित किए गए हैं. यहोवा के साक्षी अधिवेशन में सभी धर्म के लोग आ सकते हैं. उन्होंने बताया कि रांची में अधिवेशन को बहुत अच्छा रिस्पांस मिला और इसमें शामिल लोगों ने सीखा कि कैसे खुश रहा जा सकता है.

Last Updated : Nov 19, 2023, 8:57 PM IST
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