रांची: कोरोना की दूसरी लहर से देश धीरे-धीरे उबर रहा है लेकिन पिछले कुछ दिनों में मिले कोरोना के नए वेरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की पहली लहर अल्फा वेरिएंट के चलते आई थी. दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) ने तबाही मचाई. डॉक्टर लगातार तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं. वायरस अब किस तरह अपना रूप बदलेगा और नया वेरिएंट कैसा होगा, इसको लेकर हमने पटना एम्स के कार्डियो थोरेसिक सर्जन और कोविड-19 के नोडल ऑफिसर डॉ. संजीव कुमार से बात की.
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नया वेरिएंट होगा ज्यादा खतरनाक
डॉ. संजीव ने बताया कि इस बात की ज्यादा संभावना है कि कोरोना का नया वेरिएंट पहली और दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक होगा. कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में ठीक होने वाले मरीजों में कई तरह के साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं. इसी तरह तीसरी लहर की चपेट में जो आएंगे उन्हें बहुत ज्यादा खतरा होगा. अच्छी बात ये है कि दुनिया में अब तक कोरोना की जो वैक्सीन बनाई गई है, वह अब तक मिले सभी वेरिएंट पर असर कर रही है. कोरोना का आगे कोई नया वेरिएंट मिलता है तो इस पर शोध होगा कि उस वेरिएंट पर वैक्सीन कितना असरदार है.
सर्वाइव करने के लिए लगातार रूप बदल रहा कोरोना
इस सवाल पर कि कोरोना का रूप इतनी तेजी से क्यों बदल रहा है, डॉ. संजीव ने बताया कि कोरोना का स्ट्रक्चर स्पाइक बेस्ड है. स्पाइक प्रोटीन ही इसका बेस है और ग्लाइको प्रोटीन इसके कैरेक्टर को डिफाइन करते हैं. सभी वायरस जिंदा रहने के लिए शरीर की इम्यूनिटी से लगातार लड़ते हैं. हमने शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट कर ली और वैक्सीन लगवाकर वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित कर ली. लेकिन, वायरस खुद को सर्वाइव करने के लिए अपने कैरेक्टर को चेंज कर रहा है. वायरस के सर्वाइव करने के लिए ह्यूमन होस्ट का होना बहुत जरूरी है. कैरेक्टर बदलने का ही नतीजा है कि कोरोना के नए वैरिएंट आ रहे हैं. यही वेरिएंट अपना रूप बहुत तेजी से बदला तो तीसरी लहर जल्द आ सकती है. डॉ. संजीव का कहना है कि कोरोना के नए वेरिएंट से किसी की मौत हो जाती है तो वायरस और खतरनाक रूप ले लेता है.
डेल्टा वेरिएंट रहा सबसे ज्यादा खतरनाक
अब तक मिले कोरोना के सभी वेरिएंट (अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, डेल्टा प्लस, लैंब्डा और कप्पा) में सबसे खतरनाक वेरिएंट को लेकर डॉ. संजीव का कहना है कि डेल्टा भारत में सबसे ज्यादा खतरनाक रहा. दूसरी लहर में कोरोना के इसी वेरिएंट के चलते सबसे ज्यादा तबाही हुई. लैंब्डा वेरिएंट के ज्यादा मामले अफ्रीकी देशों में मिले हैं. भारत में अभी लैंब्डा के मामले सामने नहीं आए हैं.
डॉ. संजीव ने बताया कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को कई तरह के साइड इफेक्ट हो रहे हैं. फंगल इंफेक्शन (ब्लैक और व्हाइट फंगस) के अलावा कई तरह की बीमारी हो रही है. पिछले दिनों एक तरह का नया मामला सामने आया कि कोरोना से ठीक मरीज को 'ए वैक्सुकल नेक्रोसिस' हो गया. इसमें मरीज के हड्डी में खून जम जा रहा है. इसके कारण ब्लड पूरी तरह सर्कुलेट नहीं हो पाता है जो मरीज के लिए खतरनाक है.
अलग नाम से न हों चिंतित, वैक्सीन सभी पर असरदार
इस सवाल पर कि जैसे कोरोना वेरिएंट के अलग-अलग नाम दिए गए हैं, उसके हिसाब से वायरस के अलग-अलग वेरिएंट कितने खतरनाक हैं, डॉ. संजीव ने कहा कि इसका नाम से कोई वास्ता नहीं है. उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि पिछले दिनों कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट मिला है लेकिन यह डेल्टा से कम खतरनाक है. इस वायरस की एक अलग खासियत है कि यह तेजी से फैलता है और कोविड के सभी वैक्सीन इस पर असरदार हैं.