रांची: अभी कोरोना के सेकंड वेव से पूरी तरह उबरे भी नहीं है कि थर्ड वेव (3rd Wave of Corona) दस्तक देने की तैयारी में है. राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के हेड डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्या ने संभावना जताई है कि 25 जुलाई तक झारखंड में कोरोना का थर्ड वेव आ सकता है. उन्होंने आईआईटी कानपुर के उस रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें 15 जुलाई से देश में थर्ड वेव के आने का अनुमान लगाया गया है.
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IIT कानपुर की ओर से जारी ग्राफ और सेकंड वेव की देश के दूसरे हिस्सों की स्थिति और झारखंड में केस बढ़ने के समय के आधार पर डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने कहा कि देश में थर्ड वेव (3rd Wave of Corona) आने के ज्यादा से ज्यादा 10 दिन बाद झारखंड में थर्ड वेव आ सकता है.
खौफनाक होगा थर्ड वेव
डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने कहा कि थर्ड वेव कितना मारक होगा यह इस पर निर्भर करेगा कि संक्रमण के केंद्र में कौन सा वैरियंट है. डॉ प्रदीप ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि अगर संक्रमण डेल्टा या डेल्टा प्लस वैरियंट के चलते फैला तो इसका विकराल रूप सामने हो सकता है.
कितना भरोसेमंद है पूर्वानुमान
डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने कहा कि IIT कानपुर की रिपोर्ट और AIIMS दिल्ली के निदेशक के पूर्वानुमान पर भरोसा इसलिए करना होगा क्योंकि दूसरी लहर को लेकर जो पूर्वानुमान IIT कानपुर ने लगाया था वह सही साबित हुआ है.
बचाव के लिए क्या है उपाय
डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने कहा कि कोरोना का थर्ड वेव तो आएगा पर इसका ग्राफ ज्यादा कष्टकारी नहीं हो इसलिए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह को और कड़ा करना होगा. संभव हो तो झारखंड के बॉर्डर एरिया को सील कर देना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण, टेस्टिंग की जरूरत है. इस बीच सोशल डिस्टेंसिग और मास्क लगाना बेहद जरूरी है.
दूसरी लहर में इन वेरिएंट से तबाही
अप्रैल से 9 जून 2021 तक राज्य के पांच जिले पूर्वी सिंहभूम, रांची, धनबाद, हजारीबाग और पलामू से 364 कोरोना संक्रमितों का सैंपल होल जीनोम सीक्वेंस के लिए भुवनेश्वर के आईएलएस भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट चौकाने वाली है. 364 सैंपल में से जहां 328 में नॉवेल कोरोना वायरस के खतरनाक म्यूटेंट वैरियंट मिले. जिसमें से 204 में डेल्टा वैरियंट, 63 में कप्पा वैरियंट, 29 में अल्फा वैरियंट और 32 अन्य वैरियंट के थे. धनबाद के सभी 49 सैंपल में म्यूटेंट वैरियंट मिले. वहीं हजारीबाग से भेजे गए 48 सैंपल और पलामू से भेजे गए 30 सैंपल, सभी में म्यूटेंट वैरियंट मिले. जबकि जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) के 163 सैंपल में से 145 और रांची के 74 सैंपल में 56 सैंपल में म्यूटेंट वैरियंट मिले थे.
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29 अप्रैल से 5 मई था पीक
झारखंड में अप्रैल और मई महीने में लोगों ने कोरोना की दूसरी लहर के घातक रूप को देखा है. इन 2 महीनों में ही दो लाख से ज्यादा लोग जहां कोरोना संक्रमित हो गए. वहीं 3,900 के करीब लोगों को जान गंवानी पड़ी. 29 अप्रैल से 5 मई वाला सप्ताह कोरोना सेकेंड वेव में सबसे ज्यादा पॉजिटिविटी रेट वाला सप्ताह रहा. जब हर 100 सैंपल की जांच में 60.25 सैंपल में संक्रमण मिल रहे थे. वर्तमान में यह घटकर 0.33% है. 29 अप्रैल से 5 मई वाले सप्ताह में जहां पॉजिटिविटी रेट सबसे ज्यादा थी, तो इस दौरान मौतें भी सबसे अधिक हुई. इस एक सप्ताह ने राज्य में 951 लोगों की जान ले ली, जबकि वर्तमान में मौत का आंकड़ा प्रति सप्ताह 10 के करीब है.
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पहले का अनुमान सच निकला
जब अप्रैल के तीसरे हफ्ते में झारखंड कोरोना संक्रमण बहुत अधिक थे. उसी समय आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने झारखंड में मई के पहले हफ्ते में कोरोना की दूसरी लहर का पीक होने की संभावना जताई था. पद्मश्री मणींद्र अग्रवाल ने काफी अध्ययन के बाद झारखंड में कोरोना के चरम बिंदुओं को शेयर किया था. उनके मुताबिक, अप्रैल की शुरुआत से कोरोना संक्रमण ने रफ्तार पकड़ी और अप्रैल के तीसरे-चौथे हफ्ते में चरम पर था. उन्होंने अनुमान जताया था कि मई के पहले सप्ताह से झारखंड में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आनी शुरू होगी.