रांचीः झारखंड में पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रत्याशी हार जीत का समीकरण बनाने में जुटे हुए हैं. दूसरी तरफ 15 जिलों के आदिवासी और टाना भगत राजभवन के समक्ष सत्याग्रह कर पंचायत चुनाव का विरोध कर रहे हैं.
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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध कर राजभवन के समक्ष टाना भगत का सत्याग्रह आंदोलन शुरु हो गया है. सत्याग्रह में शामिल भूषण टाना भगत का कहना है कि संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल गांव में पंचायत चुनाव कराना असंवैधानिक है. जिससे हमारी सभ्यता और ग्राम सभा की व्यवस्था प्रभावित होगी. सरकार पांचवी सूची में आने वाले तमाम जिलों से पंचायत चुनाव की अधिसूचना वापस ले. अगर ऐसा नहीं होता है तो वो पंचायत चुनाव में लगाए किसी भी कर्मी को अपने गांव में प्रवेश नहीं करने देंगे. अब राजभवन के समीप सत्याग्रह जारी है, इसका क्या परिणाम होगा यह तो आने वाला समय ही तय करेगा.
झारखंड राज्य में 15 ऐसे आदिवासी बाहुल्य जिले हैं जिन्हें संविधान की पांचवी अनुसूची की शक्तियां प्राप्त है. राज्य के रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, साहिबगंज, दुमका, पाकुड़ कुल 12 जिला पूर्ण रूप से और पलामू, गढ़वा, गोड्डा जिलों को आंशिक रूप से पांचवीं अनुसूची की शक्तियां प्राप्त है. झारखंड के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के भी कुछ जिलों को पांचवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. अगर झारखंड राज्य की बात करें तो राष्ट्रपति ने 2007 में पत्र जारी कर झारखंड के 15 जिलों को पांचवीं अनुसूची की शक्तियां दी गयी. इसके बावजूद इसका लाभ इन जिलों में निवास कर रहे लोगों को नहीं मिल पा रहा है.