रांची: आजसू पार्टी अप्रैल महीने को सामाजिक न्याय माह के रूप में मना रही है. यह सामाजिक न्याय माह का सामाजिक न्याय मार्च के साथ रविवार को समापन हो गया. रांची के मोरहाबादी मैदान के बापू वाटिका से हरमू मैदान तक करीब 11 किलोमीटर की सामाजिक न्याय मार्च में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि वह सोयी हुई सरकार को जगाने नहीं आएं हैं. 40 महीने सरकार चला चुके मुख्यमंत्री को अब जगाने की नहीं, बल्कि सत्ता से बेदखल करने का समय आ गया है. उन्होंने वर्तमान गठबंधन की सरकार को धोखे से आई सरकार करार दिया. सुदेश महतो ने सरकार के मुखिया से पूछा कि वह बताएं कि सरकार के 40 महीने में उन्होंने कितने भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. सुदेश महतो ने कहा कि इस सरकार में बिना दान और अनुदान का कोई काम नहीं होता.
सुस्त सरकार और भ्रष्ट अधिकारियों से जनता त्रस्तः वहीं कोडरमा की आजसू नेता शालिनी गुप्ता ने कहा सुस्त सरकार और भ्रष्ट अधिकारी के बीच जनता त्रस्त है. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना, ओबीसी आरक्षण और नियोजन नीति के मुद्दे पर आजसू पार्टी संघर्ष जारी रखेगी. वहीं मौके पर पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस ने कहा कि वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य की जनता को ठगने का काम किया है. झूठ बोलकर सत्ता में आई सरकार अपना वादा भूल गई है. इसलिए आजसू पार्टी सड़क पर उतरी है. हेमंत सरकार विधानसभा में कुछ और बोलती है और बाहर कुछ और बोलती है. राज्य में अगर सरकार जातीय जनगणना की घोषणा नहीं करती है तो आजसू पार्टी निर्णायक लड़ाई लड़ेगी. वहीं इस मौके पर पूर्व मंत्री उमाकांत रजक ने कहा कि हेमंत सोरेन पर जनता को धोखा देने, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2024 में हेमंत सोरेन की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आजसू के एक-एक कार्यकर्ता संघर्ष जारी रखेंगे.
ओबीसी वर्ग के लोगों की राज्य सरकार ने की हकमारीः वहीं विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि हेमंत सोरेन ने 2019 से पहले कई जनसभाओं में कहा था कि सरकार बनी तो पहली कैबिनेट में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाने का काम करेंगे, लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार ने ओबीसी को हक तो नहीं दिया, उल्टे पंचायत चुनाव में 10 हजार पांच ओबीसी आरक्षित सीट पर भी आरक्षण समाप्त करा दिया. लंबोदर महतो ने कहा कि आज साढ़े तीन लाख से अधिक पदों पर नियुक्ति होने वाली है, लेकिन 1932 की जगह सरकार 2023 पर आ गई है. सरकार ने सात जिलों में ओबीसी के आरक्षण को शून्य कर दिया. नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बावजूद हेमंत सोरेन सरकार जल्द चुनाव करने को लेकर तत्पर नहीं दिखती.
झारखंड में भी जातीय जनगणना कराने की मांगः लंबोदर महतो ने कहा कि बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी जातीय जनगणना होनी चाहिए. लंबोदर महतो ने हेमंत सोरेन को ओबीसी विरोधी बताते हुए कहा कि जब विधानसभा में हमने राज्य पिछड़ा आयोग की अनुशंसा के अनुसार 36% आरक्षण की मांग की तो मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या बाकी सब को यूक्रेन भेज दें. उनका यह बयान बताता है कि हेमंत सोरेन ओबीसी विरोधी हैं. वहीं पूर्व मंत्री और सांसद सीपी चौधरी ने कहा कि हेमंत सरकार ने पंचायत चुनाव की तरह नगर निगम चुनाव में भी ओबीसी की हकमारी करना चाहती थी, लेकिन हमने सुप्रीम कोर्ट की शरण लेकर ऐसा नहीं होने दिया.
1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को कर दिया 2023 नीतिः आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि प्रयोग के लिए सरकारें नहीं बनती. हेमंत सोरेन की सरकार में जनता से किए एक भी वादे पूरे नहीं हो रहे हैं. शासन लर्निंग स्कूल नहीं है. हेमंत सरकार सबसे अधिक उन ओबीसी, एससी, एसटी को नुकसान पहुंचा रही है जो उनको सत्ता में बैठाई थी. सुदेश सुदेश महतो ने कहा कि 1932 लागू करने की बात करने वाले 1932 को 2023 कर दिया है. सुदेश महतो ने कहा कि 60-40 में 60 में कौन-कौन शामिल हैं यह कभी हेमंत सोरेन ने नहीं बताया. जिस सरकार ने स्थानीय नीति ही तय नहीं की गई, वह अब निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण की बात करती है. जिस राज्य के ब्लॉक तक की सड़क पर एंबुलेंस नहीं हैं, वहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एयर एम्बुलेंस की बात कहते हैं.