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रांची और धनबाद नगर निगम में टैक्स कलेक्शन के लिए एजेंसी का सूडा ने किया चयन, निगम को होगा फायदा - रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्शन के लिए सूडा का चयन

झारखंड नगर विकास एवं आवास विभाग के स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी ने रांची और धनबाद नगर निगम ने अगले 3 साल तक राजस्व संग्रहण के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. सूडा में गठित टेंडर समिति ने मानकों के अनुरूप सबसे बेहतर दर कोट करने वाली एजेंसी के नाम की अनुशंसा कर दी है. नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में थोड़ा लचीलापन लाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई.

Suda selected agency for tax collection in Ranchi and Dhanbad Municipal Corporation
Suda selected agency for tax collection in Ranchi and Dhanbad Municipal Corporation
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Published : Jul 28, 2020, 7:42 PM IST

रांची: नगर विकास एवं आवास विभाग के स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी ने रांची और धनबाद नगर निगम ने अगले 3 साल तक राजस्व संग्रहण के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. सूडा में गठित टेंडर समिति ने मानकों के अनुरूप सबसे बेहतर दर कोट करने वाली एजेंसी के नाम की अनुशंसा कर दी है. अब टैक्स में बगैर वृद्धि के भी केवल पूर्व में टैक्स भरने वाले हाउसहोल्ड से भी एजेंसी अगर राजस्व संग्रहण करती है, तो केवल रांची नगर निगम को अगले 3 साल में लगभग 4.5 करोड़ से ज्यादा का मुनाफा कमीशन मद में होगा. वहीं, धनबाद नगर निगम के राजस्व में तुलनात्मक और भी ज्यादा वृद्धि होगी.

एकीकृत राजस्व संग्रहण प्रणाली लागू

नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में थोड़ा लचीलापन लाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई. जिससे राजस्व संग्रहण के लिए कंपनियों ने पहले से कम कमीशन पर दिलचस्पी दिखाई है. जिसका नतीजा है कि दोनों ही नगर निगम के राजस्व में भारी वृद्धि होगी और यह व्यवस्था नगर निगमों के वित्तीय ढांचा को मजबूती प्रदान करेगी. इस व्यवस्था के लागू होने से पूरे प्रदेश में एकीकृत राजस्व संग्रहण प्रणाली लागू होगी, जिसे राज्य स्तर पर मॉनिटरिंग और सुपरविजन में भी सहूलियत होगी. इससे नगर निकायों में एक प्रोफेशनल वर्क कल्चर विकसित होगी.

टेंडर में लचीलापन और उसके फायदे

पहले भी राज्य के 51 में से 49 नगर निकायों में सूडा के स्तर से ही राजस्व संग्रहण के लिए एजेंसी का चयन त्रिपक्षीय इकरारनामें के तहत किया जा चुका है. जिसके बाद उन निकायों में पूर्व की तुलना में राजस्व संग्राम में भारी वृद्धि हुई है. पहले से चली आ रही टेंडर की प्रक्रिया को और लचीला बनाया गया, जिसके बाद सरकार के दूसरे विभागों और इकाइयों में कार्य करने वाली एजेंसियों ने भी टेंडर में हिस्सा लिया. जिसके बाद कंपटीशन बढ़ी और कंपनियों को अपना कमीशन कम करना पड़ा, जिससे दोनों नगर निगम को लाभ हो रहा है. पहले रांची में राजस्व संग्रहण करने वाली एजेंसी का कमीशन 10.50 प्रतिशत था, जो अब नई प्रक्रिया में 7.34 प्रतिशत हो गया है. वहीं, धनबाद में 12 प्रतिशत के जगह अब कंपनी का कमीशन 7.34 प्रतिशत हो गया है.

सूडा ने ही क्यों किया टेंडर

राज्य सरकार की ओर से रिफॉर्म्स और अन्य के मॉनिटरिंग और सुपरविजन की जिम्मेवारी सूडा को सौंपी गई है. इसलिए सूडा की ओर से राजस्व संग्रहण के लिए एजेंसी चयन का कार्य पहले से ही की जा रही थी. अमृत रिफॉर्म्स के तहत शहरी सुधारों में राजस्व संग्रहण को प्राथमिकता देते हुए 90 प्रतिशत और 90 प्रतिशत की बिलिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. निकाय स्तर पर किए जा रहे राजस्व संग्रहण का कार्य मॉनिटरिंग और सुपरविजन का कार्य स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी के स्तर पर संचालित किया जाता रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए पूरे राज्य में एकीकृत व्यवस्था और कॉमन प्लेटफार्म तैयार किया गया है.

रांची: नगर विकास एवं आवास विभाग के स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी ने रांची और धनबाद नगर निगम ने अगले 3 साल तक राजस्व संग्रहण के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. सूडा में गठित टेंडर समिति ने मानकों के अनुरूप सबसे बेहतर दर कोट करने वाली एजेंसी के नाम की अनुशंसा कर दी है. अब टैक्स में बगैर वृद्धि के भी केवल पूर्व में टैक्स भरने वाले हाउसहोल्ड से भी एजेंसी अगर राजस्व संग्रहण करती है, तो केवल रांची नगर निगम को अगले 3 साल में लगभग 4.5 करोड़ से ज्यादा का मुनाफा कमीशन मद में होगा. वहीं, धनबाद नगर निगम के राजस्व में तुलनात्मक और भी ज्यादा वृद्धि होगी.

एकीकृत राजस्व संग्रहण प्रणाली लागू

नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में थोड़ा लचीलापन लाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई. जिससे राजस्व संग्रहण के लिए कंपनियों ने पहले से कम कमीशन पर दिलचस्पी दिखाई है. जिसका नतीजा है कि दोनों ही नगर निगम के राजस्व में भारी वृद्धि होगी और यह व्यवस्था नगर निगमों के वित्तीय ढांचा को मजबूती प्रदान करेगी. इस व्यवस्था के लागू होने से पूरे प्रदेश में एकीकृत राजस्व संग्रहण प्रणाली लागू होगी, जिसे राज्य स्तर पर मॉनिटरिंग और सुपरविजन में भी सहूलियत होगी. इससे नगर निकायों में एक प्रोफेशनल वर्क कल्चर विकसित होगी.

टेंडर में लचीलापन और उसके फायदे

पहले भी राज्य के 51 में से 49 नगर निकायों में सूडा के स्तर से ही राजस्व संग्रहण के लिए एजेंसी का चयन त्रिपक्षीय इकरारनामें के तहत किया जा चुका है. जिसके बाद उन निकायों में पूर्व की तुलना में राजस्व संग्राम में भारी वृद्धि हुई है. पहले से चली आ रही टेंडर की प्रक्रिया को और लचीला बनाया गया, जिसके बाद सरकार के दूसरे विभागों और इकाइयों में कार्य करने वाली एजेंसियों ने भी टेंडर में हिस्सा लिया. जिसके बाद कंपटीशन बढ़ी और कंपनियों को अपना कमीशन कम करना पड़ा, जिससे दोनों नगर निगम को लाभ हो रहा है. पहले रांची में राजस्व संग्रहण करने वाली एजेंसी का कमीशन 10.50 प्रतिशत था, जो अब नई प्रक्रिया में 7.34 प्रतिशत हो गया है. वहीं, धनबाद में 12 प्रतिशत के जगह अब कंपनी का कमीशन 7.34 प्रतिशत हो गया है.

सूडा ने ही क्यों किया टेंडर

राज्य सरकार की ओर से रिफॉर्म्स और अन्य के मॉनिटरिंग और सुपरविजन की जिम्मेवारी सूडा को सौंपी गई है. इसलिए सूडा की ओर से राजस्व संग्रहण के लिए एजेंसी चयन का कार्य पहले से ही की जा रही थी. अमृत रिफॉर्म्स के तहत शहरी सुधारों में राजस्व संग्रहण को प्राथमिकता देते हुए 90 प्रतिशत और 90 प्रतिशत की बिलिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. निकाय स्तर पर किए जा रहे राजस्व संग्रहण का कार्य मॉनिटरिंग और सुपरविजन का कार्य स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी के स्तर पर संचालित किया जाता रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए पूरे राज्य में एकीकृत व्यवस्था और कॉमन प्लेटफार्म तैयार किया गया है.

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