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RU चांसलर पोर्टल में कई खामियां, एडमिशन फॉर्म भरने में अभ्यर्थियों को हो रही है परेशानी - रांची यूनिवर्सिटी में नामांकन में विद्यार्थियों को परेशानी

रांची विश्वविद्यालय के कॉलेजों में नामांकन की स्थिति काफी खराब है. चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन के दौरान अभ्यर्थियों को और भी कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. इस बार चांसलर पोर्टल के जरिए ही नामांकन का विकल्प दिया गया है. इसके अलावा नामांकन किसी भी तरीके से नहीं लिया जाएगा.

flaws in chancellor portal at ranchi university RU चांसलर पोर्टल में कई खामियां
आरयू
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Published : Sep 25, 2020, 6:11 PM IST

रांचीः आरयू के कॉलेजों में नामांकन की स्थिति काफी खराब है. वर्ष 2020- 21 में स्नातक पाठ्यक्रमों में नामांकन की स्थिति तो काफी चिंताजनक है. हालत ऐसी ही रही तो आने वाले समय में आधी सीटें खाली रह जाएंगी. वहीं चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन के दौरान अभ्यर्थियों को और भी कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है

देखें पूरी खबर
विश्वविद्यालय सीनेट सदस्यों के अलावे सिंडिकेट के सदस्यों ने भी चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन लिए जाने का विरोध हमेशा से किया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से भी चांसलर पोर्टल का विरोध किया जाता रहा है. इनकी मानें तो चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन लिए जाने के कारण विद्यार्थियों को कई परेशानियों का सामना रोजाना करना पड़ रहा है. पिछले वर्ष भी चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन लिए जाने से विद्यार्थी नामांकन से वंचित रह गए थे. हालांकि बाद में विश्वविद्यालय की ओर से ऑफलाइन नामांकन लिया गया था. तब जाकर रांची विश्वविद्यालय की सीटें फुल हुई थी. लेकिन इस बार चांसलर पोर्टल के जरिए ही विकल्प दिया गया है. इसके अलावा नामांकन किसी भी तरीके से नहीं लिया जाएगा.
आवेदन भरने में हो रही है परेशानी

चांसलर पोर्टल से आवेदन भरने में विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना लगातार करना पड़ रहा है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को सही नेटवर्क नहीं मिल पाने के कारण नामांकन में समस्या आ रही है. सरवर डाउन हमेशा ही रहता है. इसके अलावा आवेदन के लिए शुल्क अदा भी नहीं हो पा रहा है. पेमेंट करने में परेशानी आ रही है. नामांकन आवेदन तो भर दिए जा रहे हैं लेकिन पेमेंट के कारण उस आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. इसलिए विद्यार्थियों को बार बार आवेदन करना पड़ रहा है, जो एक बड़ी समस्या है.

और पढ़ें- आदिवासी जमीन पर बीसीसीएल का उत्खनन, जांच में अंचल कार्यालय से निकली दो अलग-अलग रिपोर्ट

विश्वविद्यालय प्रबंधन का नहीं है ध्यान

विश्वविद्यालय प्रशासन का फिलहाल इस ओर ध्यान नहीं है. इस पूरे मामले को लेकर सिंडिकेट सदस्य अटल पांडेय ने कहा है कि बार-बार विश्वविद्यालय प्रबंधन को इस मामले को लेकर चेताया गया था, लेकिन समय रहते विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया और अब यह परेशानी बड़ी हो गई है. इनकी माने तो, विरोध हमेशा ही किया गया है. विश्वविद्यालय का पूरा अधिकार उच्च शिक्षा विभाग ने छीन लिया है. इसी वजह से इतनी सारी परेशानियां आ खड़ी हुई है. मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन को गंभीर होना होगा और राज्य सरकार के संबंधित विभाग से बातचीत करनी होगी. विद्यार्थियों से संबंधित परेशानियों से उन्हें अवगत कराना होगा.

रांचीः आरयू के कॉलेजों में नामांकन की स्थिति काफी खराब है. वर्ष 2020- 21 में स्नातक पाठ्यक्रमों में नामांकन की स्थिति तो काफी चिंताजनक है. हालत ऐसी ही रही तो आने वाले समय में आधी सीटें खाली रह जाएंगी. वहीं चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन के दौरान अभ्यर्थियों को और भी कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है

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विश्वविद्यालय सीनेट सदस्यों के अलावे सिंडिकेट के सदस्यों ने भी चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन लिए जाने का विरोध हमेशा से किया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से भी चांसलर पोर्टल का विरोध किया जाता रहा है. इनकी मानें तो चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन लिए जाने के कारण विद्यार्थियों को कई परेशानियों का सामना रोजाना करना पड़ रहा है. पिछले वर्ष भी चांसलर पोर्टल के जरिए नामांकन लिए जाने से विद्यार्थी नामांकन से वंचित रह गए थे. हालांकि बाद में विश्वविद्यालय की ओर से ऑफलाइन नामांकन लिया गया था. तब जाकर रांची विश्वविद्यालय की सीटें फुल हुई थी. लेकिन इस बार चांसलर पोर्टल के जरिए ही विकल्प दिया गया है. इसके अलावा नामांकन किसी भी तरीके से नहीं लिया जाएगा.आवेदन भरने में हो रही है परेशानी

चांसलर पोर्टल से आवेदन भरने में विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना लगातार करना पड़ रहा है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को सही नेटवर्क नहीं मिल पाने के कारण नामांकन में समस्या आ रही है. सरवर डाउन हमेशा ही रहता है. इसके अलावा आवेदन के लिए शुल्क अदा भी नहीं हो पा रहा है. पेमेंट करने में परेशानी आ रही है. नामांकन आवेदन तो भर दिए जा रहे हैं लेकिन पेमेंट के कारण उस आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. इसलिए विद्यार्थियों को बार बार आवेदन करना पड़ रहा है, जो एक बड़ी समस्या है.

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विश्वविद्यालय प्रबंधन का नहीं है ध्यान

विश्वविद्यालय प्रशासन का फिलहाल इस ओर ध्यान नहीं है. इस पूरे मामले को लेकर सिंडिकेट सदस्य अटल पांडेय ने कहा है कि बार-बार विश्वविद्यालय प्रबंधन को इस मामले को लेकर चेताया गया था, लेकिन समय रहते विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया और अब यह परेशानी बड़ी हो गई है. इनकी माने तो, विरोध हमेशा ही किया गया है. विश्वविद्यालय का पूरा अधिकार उच्च शिक्षा विभाग ने छीन लिया है. इसी वजह से इतनी सारी परेशानियां आ खड़ी हुई है. मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन को गंभीर होना होगा और राज्य सरकार के संबंधित विभाग से बातचीत करनी होगी. विद्यार्थियों से संबंधित परेशानियों से उन्हें अवगत कराना होगा.

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