रांची: मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृति योजना का लाभ अब 25 छात्र-छात्राओं को मिलेगा. अनुसूचित जनजाति श्रेणी के 10 छात्रों के लिए शुरू की गई इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है. इसमें एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग को भी जोड़ दिया गया है. इन तीनों वर्ग से 15 होनहार छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजा जाएगा. इसके लिए अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विभाग ने योग्य छात्रों से www.mgos.jharkhand.gov.in पर 25 जून तक आवेदन देने को कहा है.
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छात्रवृत्ति के लिए चयनित छात्र-छात्राओं को यूनाइटेड किंग्डम और नॉर्दर्न आयरलैंड के प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च स्तरीय शिक्षा और मास्टर डिग्री के लिए छात्रवृति दी जाएगी. इस योजना की सबसे खास बात यह है कि चयनित छात्रों के न सिर्फ ट्यूशन फीस बल्कि रहने-खाने और अन्य जरूरतों का खर्च भी राज्य सरकार वहन करती है.
इस योजना की शुरूआत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 22 सितंबर 2021 को की थी. उस वक्त एसटी वर्ग के दस छात्रों की जगह छह छात्रों को चयनित कर उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजा गया था. इस मौके पर प्रोजेक्ट भवन में एक वृहद कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ था. चयनित छात्र-छात्राओं से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वन-टू-वन संवाद किया था. उसी समय से अन्य वर्ग के गरीब होनहार छात्रों को भी मौका देने की मांग उठ रही थी. इस मांग पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसी साल के बजट सत्र के दौरान योजना का दायरा बढ़ाने की घोषणा की थी. इस योजना के तहत अर्थशास्त्र, जलवायु परिवर्तन, मीडिया एंड कम्युनिकेशन, कृषि, कला, संस्कृति और विज्ञान जैसे कुल 31 पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है.
आवेदन के लिए क्या है अहर्ता: एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के गरीब और होनहार बच्चों को छात्रवृति के लिए आवेदन के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना होगा. मसलन, छात्र की उम्र 35 साल से कम होनी चाहिए. आवेदनकर्ता के परिवार की सालाना आमदनी 12 लाख से कम होनी चाहिए. अंतिम परीक्षा में आवेदनकर्ता का 55 प्रतिशत से कम अंक नहीं होना चाहिए. छात्र को झारखंड का मूलनिवासी होना चाहिए.
किस मकसद से शुरू की गई योजना: पूरा कॉन्सेप्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सोच पर आधारित था. योजना के शुभारंभ के वक्त उन्होंने कहा था कि झारखंड के आदिवासी समाज से पहले शख्स जयपाल सिंह मुंडा थे, जिन्होंने विदेश में उच्च शिक्षा हासिल की थी. उन्होंने हॉकी और अद्भुत लीडरशीप क्षमता की बदौलत आदिवासियों को अलग पहचान दिलायी थी. इसी को ध्यान में रखकर सीएम ने इस योजना का शुभारंभ किया था, ताकि आदिवासी समाज के होनहार गरीब बच्चे उच्च शिक्षा हासिल कर राज्य का नाम रौशन कर सकें.
कौन-कौन छात्र-छात्रा कर रहे हैं विदेश में पढ़ाई: पिछले साल हरक्यूलिस सिंह मुंडा का चयन यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में एमए की पढ़ाई के लिए हुआ था. अजितेश मुर्मू यूनिवर्सिटी कॉलेज आफ लंदन में आर्किटेक्चर में एमए की पढ़ाई कर रहे हैं. आकांक्षा मेरी का चयन ला बार्ग यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट चेंज साइंस एंड मैनेजमेंट में एमएससी के लिए हुआ है. दिनेश भगत फिलहाल यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स में क्लाइमेट चेंज, डेवलपमेंट एंड पॉलिसी में एमएससी की पढ़ाई कर रहे हैं. अंजना प्रतिमा डुंगडुंग, यूनिवर्सिटी ऑफ वार्विक में एमएससी और प्रिया मुर्मू, ला बार्ग यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग एंड द राइटिंग इंडस्ट्रीज में एमए की पढ़ाई कर रही हैं.