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RU में रोजाना 1200 कक्षाएं बाधित, कॉन्ट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर के कार्य बहिष्कार से बढ़ी परेशानी

8 महीने से मानदेय नहीं मिलने के कारण घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक फिलहाल कार्य बहिष्कार पर हैं. इसकी वजह से रांची विश्वविद्यालय में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं हो पा रही हैं और विद्यार्थियों को काफी परेशानी हो रही है.

protest of contract assistant professor in ranchi
रांची विश्वविद्यालय
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Published : Nov 1, 2020, 7:50 AM IST

रांचीः लगभग 8 महीने से मानदेय नहीं मिलने के कारण घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक फिलहाल कार्य बहिष्कार पर हैं. इस वजह से रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत रोजाना 1200 से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं बाधित हैं. इसका खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर
पठन-पाठन बाधित कर कार्य बहिष्कार आंदोलनविभिन्न कॉलेजों में विषयवार कक्षा ये घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को ही लेनी होती है, लेकिन शिक्षक पठन-पाठन बाधित कर कार्य बहिष्कार आंदोलन पर हैं. 8 महीने से इन शिक्षकों को मानदेय नहीं मिला है. इसी से आक्रोशित होकर शिक्षकों का आंदोलन लगातार जारी है. रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत कुल 600 शिक्षक हैं, जिनमें से कई शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई थी.पिछले 4 दिनों से आंदोलनरत हैं प्राध्यापकपिछले 4 दिनों से अनुबंध सहायक प्राध्यापक कार्य बहिष्कार पर है. हाल ही में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडे के साथ इनकी बैठक भी हुई थी, जो विफल हो गई थी. इसके बाद कॉन्ट्रैक्ट प्रोफेसर विश्वविद्यालय में आयोजित परीक्षा से भी अपने आप को दूर कर लिया है. किसी भी कार्य में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हाथ नहीं बंटा रहे हैं. व्यवस्था से नाराज होकर बुधवार से अनुबंध शिक्षक अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले गए हैं.

इसे भी पढ़ें- रांचीः गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के नाम पर पोस्टरबाजी, कारोबारियों को दी धमकी

8 माह से शिक्षकों को मानदेय नहीं
शिक्षकों का कहना है कि राज्यपाल की तरफ से निर्देश दिए जाने के बाद भी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. 8 माह से मानदेय शिक्षकों को नहीं मिला है. व्यवस्था की उदासीनता के कारण अनुबंध शिक्षकों को कई आर्थिक परेशानियों का सामना लगातार करना पड़ रहा है. जिस वजह से ये शिक्षक फिलहाल विश्वविद्यालय के काम से अपने आपको अलग कर रखा है.

विद्यार्थियों की बढ़ी परेशानी
शिक्षकों के आंदोलन के कारण विद्यार्थियों को ऑनलाइन पठन-पाठन करने में परेशानी हो रही है. ऑनलाइन क्लासेस ये शिक्षक नहीं ले रहे हैं और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. इस मामले को लेकर जल्द से जल्द उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रबंधन को निर्णय लेना होगा. नहीं तो विद्यार्थियों को और भी कई परेशानियों का सामना आने वाले समय में करना पड़ेगा.

रांचीः लगभग 8 महीने से मानदेय नहीं मिलने के कारण घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक फिलहाल कार्य बहिष्कार पर हैं. इस वजह से रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत रोजाना 1200 से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं बाधित हैं. इसका खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर
पठन-पाठन बाधित कर कार्य बहिष्कार आंदोलनविभिन्न कॉलेजों में विषयवार कक्षा ये घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को ही लेनी होती है, लेकिन शिक्षक पठन-पाठन बाधित कर कार्य बहिष्कार आंदोलन पर हैं. 8 महीने से इन शिक्षकों को मानदेय नहीं मिला है. इसी से आक्रोशित होकर शिक्षकों का आंदोलन लगातार जारी है. रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत कुल 600 शिक्षक हैं, जिनमें से कई शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई थी.पिछले 4 दिनों से आंदोलनरत हैं प्राध्यापकपिछले 4 दिनों से अनुबंध सहायक प्राध्यापक कार्य बहिष्कार पर है. हाल ही में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडे के साथ इनकी बैठक भी हुई थी, जो विफल हो गई थी. इसके बाद कॉन्ट्रैक्ट प्रोफेसर विश्वविद्यालय में आयोजित परीक्षा से भी अपने आप को दूर कर लिया है. किसी भी कार्य में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हाथ नहीं बंटा रहे हैं. व्यवस्था से नाराज होकर बुधवार से अनुबंध शिक्षक अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले गए हैं.

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8 माह से शिक्षकों को मानदेय नहीं
शिक्षकों का कहना है कि राज्यपाल की तरफ से निर्देश दिए जाने के बाद भी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. 8 माह से मानदेय शिक्षकों को नहीं मिला है. व्यवस्था की उदासीनता के कारण अनुबंध शिक्षकों को कई आर्थिक परेशानियों का सामना लगातार करना पड़ रहा है. जिस वजह से ये शिक्षक फिलहाल विश्वविद्यालय के काम से अपने आपको अलग कर रखा है.

विद्यार्थियों की बढ़ी परेशानी
शिक्षकों के आंदोलन के कारण विद्यार्थियों को ऑनलाइन पठन-पाठन करने में परेशानी हो रही है. ऑनलाइन क्लासेस ये शिक्षक नहीं ले रहे हैं और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. इस मामले को लेकर जल्द से जल्द उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रबंधन को निर्णय लेना होगा. नहीं तो विद्यार्थियों को और भी कई परेशानियों का सामना आने वाले समय में करना पड़ेगा.

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