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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के बाद कोचिंग संस्थान संचालकों में हड़कंप, जानिए किस उम्र के बच्चे नहीं जाएंगे कोचिंग

Union Education Ministry guidelines. कोचिंग संस्थानों पर लगान लगाने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने पहल की है. अब 16 वर्ष से कम आयु के विद्यार्थी कोचिंग संस्थानों में नहीं पढ़ सकेंगे. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से इस संबंध में गाइडलाइन जारी किया गया है. इस गाइडलाइन का असर झारखंड के कोचिंग संस्थानों पर भी पड़ने वाला है.

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Stir Among Coaching Institute Operators
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 19, 2024, 6:14 PM IST

रांची: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ताजा निर्देश से कोचिंग संस्थानों को बड़ा झटका लगा है. कोचिंग के जरिए अभिभावकों और बच्चों को मानसिक प्रताड़ना का शिकार होने से रोकने के लिए जिस तरह से कठोर कदम उठाए गए हैं, इसका प्रभाव झारखंड में भी दिखेगा. इस निर्देश के बाद 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चे झारखंड के कोचिंग संस्थानों में नहीं पढ़ सकेंगे. इसके अलावे मनमाना शुल्क पर भी पाबंदी लगेगी.

झारखंड में भी दिखेगा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश का प्रभावः रांची सहित पूरे झारखंड में हजारों कोचिंग संस्थान हैं, जहां बच्चे क्लास 06 से लेकर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ाई करते हैं. इन कोचिंग संस्थानों के द्वारा मोटी रकम वसूली जाती है. कई कोचिंग प्रबंधन के द्वारा परीक्षा में पास कराने की गारंटी और झूठा व्यवसायिक प्रचार-प्रसार तक किया जाता है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश का स्वागतः केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी निर्देश का शिक्षाविदों और अभिभावक संघ ने स्वागत किया है. शिक्षाविद अमरनाथ झा कहते हैं कि यदि स्कूली शिक्षा को मजबूत कर दिया जाए तो कोचिंग की आवश्यकता ही नहीं रहेगी. निजी और सरकारी विद्यालयों में प्लस टू तक की पढ़ाई गंभीरता से होनी चाहिए, क्योंकि किसी भी विद्यार्थी के करियर के लिए बेस यही है. इसमें स्कूल प्रबंधन, अभिभावक और विद्यार्थी की भूमिका अहम है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन का अक्षरशः पालन हो-पासवाः वहीं पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक दुबे का मानना है कि कोचिंग संस्थान झूठा प्रचार-प्रसार कर बच्चों और अभिभावक को फंसाते हैं और बच्चे जब सफल नहीं होते तो आत्महत्या जैसी घटना होती हैं. कोचिंग संस्थान द्वारा मोटी रकम वसूली जाती है, जिससे विद्यार्थी के साथ-साथ अभिभावक भी तनाव में रहते हैं. ऐसे में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन का अक्षरशः पालन कराने की आवश्यकता है, ताकि कोचिंग संस्थानों पर अंकुश लग सके.

कोचिंग संचालकों के बीच मची खलबलीः इधर, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का निर्देश जारी होने के बाद कोचिंग संस्थान चलाने वाले लोगों के बीच खलबली मची हुई है. कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले जल्द ही बैठक बुलाए जाने की संभावना है. इस संबंध में कोचिंग संस्थान पाठशाला के सौरभ बताते हैं कि इस तरह की खबर आने के बाद कोचिंग संस्थान के बीच चर्चा चल रही है और विस्तृत गाइडलाइन देखने के बाद ही इस पर स्पष्ट रूप से कुछ भी कहा जा सकता है. बहरहाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ताजा निर्देश के बाद एक ओर जहां झारखंड सहित देश भर में कई कोचिंग संस्थानों में ताले लटक जाएंगे, वहीं दूसरी ओर इन संस्थानों में कार्यरत कर्मी एक झटके में सड़क पर आ जाएंगे.

रांची: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ताजा निर्देश से कोचिंग संस्थानों को बड़ा झटका लगा है. कोचिंग के जरिए अभिभावकों और बच्चों को मानसिक प्रताड़ना का शिकार होने से रोकने के लिए जिस तरह से कठोर कदम उठाए गए हैं, इसका प्रभाव झारखंड में भी दिखेगा. इस निर्देश के बाद 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चे झारखंड के कोचिंग संस्थानों में नहीं पढ़ सकेंगे. इसके अलावे मनमाना शुल्क पर भी पाबंदी लगेगी.

झारखंड में भी दिखेगा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश का प्रभावः रांची सहित पूरे झारखंड में हजारों कोचिंग संस्थान हैं, जहां बच्चे क्लास 06 से लेकर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ाई करते हैं. इन कोचिंग संस्थानों के द्वारा मोटी रकम वसूली जाती है. कई कोचिंग प्रबंधन के द्वारा परीक्षा में पास कराने की गारंटी और झूठा व्यवसायिक प्रचार-प्रसार तक किया जाता है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश का स्वागतः केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी निर्देश का शिक्षाविदों और अभिभावक संघ ने स्वागत किया है. शिक्षाविद अमरनाथ झा कहते हैं कि यदि स्कूली शिक्षा को मजबूत कर दिया जाए तो कोचिंग की आवश्यकता ही नहीं रहेगी. निजी और सरकारी विद्यालयों में प्लस टू तक की पढ़ाई गंभीरता से होनी चाहिए, क्योंकि किसी भी विद्यार्थी के करियर के लिए बेस यही है. इसमें स्कूल प्रबंधन, अभिभावक और विद्यार्थी की भूमिका अहम है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन का अक्षरशः पालन हो-पासवाः वहीं पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक दुबे का मानना है कि कोचिंग संस्थान झूठा प्रचार-प्रसार कर बच्चों और अभिभावक को फंसाते हैं और बच्चे जब सफल नहीं होते तो आत्महत्या जैसी घटना होती हैं. कोचिंग संस्थान द्वारा मोटी रकम वसूली जाती है, जिससे विद्यार्थी के साथ-साथ अभिभावक भी तनाव में रहते हैं. ऐसे में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन का अक्षरशः पालन कराने की आवश्यकता है, ताकि कोचिंग संस्थानों पर अंकुश लग सके.

कोचिंग संचालकों के बीच मची खलबलीः इधर, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का निर्देश जारी होने के बाद कोचिंग संस्थान चलाने वाले लोगों के बीच खलबली मची हुई है. कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले जल्द ही बैठक बुलाए जाने की संभावना है. इस संबंध में कोचिंग संस्थान पाठशाला के सौरभ बताते हैं कि इस तरह की खबर आने के बाद कोचिंग संस्थान के बीच चर्चा चल रही है और विस्तृत गाइडलाइन देखने के बाद ही इस पर स्पष्ट रूप से कुछ भी कहा जा सकता है. बहरहाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ताजा निर्देश के बाद एक ओर जहां झारखंड सहित देश भर में कई कोचिंग संस्थानों में ताले लटक जाएंगे, वहीं दूसरी ओर इन संस्थानों में कार्यरत कर्मी एक झटके में सड़क पर आ जाएंगे.

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