रांचीः सरकारी कार्य में बाधा डालने और मारपीट मामले में अपराधी काशीनाथ शाहदेव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. जिसका मुकदमा अदालत में चल रहा था, लेकिन जिसने आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी वह खुद ही गवाही देने अदालत नहीं पहुंचा.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, सरकारी कार्य में बाधा डालने और मारपीट करने के मामले में तुपुदाना के तत्कालीन थाना प्रभारी रतन कुमार सिंह ने 10 अप्रैल 2009 को लाल काशीनाथ शाहदेव के खिलाफ खुद प्राथमिकी दर्ज कराई थी, लेकिन सुनवाई के दौरान काशीनाथ शाहदेव और जांच अधिकारी एसआई योगेंद्र मिश्रा बार-बार अदालत द्वारा समन जारी करने के बाद भी गवाही देने नहीं पहुंचे. अदालत 6 साल तक गवाह का इंतजार करती रही. इसका लाभ आरोपित को मिला. शुक्रवार को न्यायिक दंडाधिकारी दिव्या मिश्रा की अदालत ने आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का फैसला सुनाया.
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बता दें कि, 10 अप्रैल 2009 को तुपुदाना चौक को ग्रामीणों ने जाम किया था. जाम हटाने के लिए पुलिस बल जब पहुंची तो ग्रामीणों के साथ उनकी झड़प हो गई. इसके खिलाफ थाना प्रभारी ने कांड संख्या 73/09 दर्ज कराया था. 4 साल बाद आरोपित के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया. 29 नवंबर 2013 को अरोप गठन किया गया था.