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शुभम की सोशल 'इंजीनियरिंग', 150 युवाओं की टीम जोड़कर लोगों की कर रहे मदद

टीसीएस कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर जॉब करने वाले शुभम ने जब कोरोनाकाल में खराब हालत देखी तो सामाजिक कार्य करने का निर्णय लिया. वोकल फॉर लोकल के नाम से एनजीओ बनाया और जॉब के साथ-साथ बेसहारा लोगों को मदद की. आज शुभम की टीम में 150 से अधिक युवा हैं जो जरूरमंदों की मदद कर रहे हैं और युवाओं को उनके पैरों पर खड़ा कर रहे हैं.

software engineer shubham
सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभम
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Published : Oct 5, 2021, 6:15 PM IST

Updated : Oct 5, 2021, 6:53 PM IST

रांची: कहते हैं परिस्थितियां भले लाख विपरीत हो लेकिन कुछ कर गुजरने की जिद अगर हो तो रास्ता अपने आप बन जाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है युवा इंजीनियर शुभम राठौर ने. बचपन से ही समाज सेवा के प्रति आकर्षित होने वाले शुभम राठौर पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. टीसीएस बेंगलुरू में अच्छी खासी सैलरी के साथ नौकरी करने वाले शुभम ने कोरोना के वक्त वर्क फ्रॉम होम के साथ-साथ समाज सेवा की ओर जो कदम बढ़ाया वो आज तक चल रहा है. आज शुभम की टीम में 150 युवा प्रोफेशनल हैं जो सामाजिक काम कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: Positive Bharat Podcast: जानिए भारतीय कप्तान का 'विराट' व्यक्तित्व, कैसे लिखी सफलता की इबारत

प्रेरणादायक है शुभम की टीम का सामाजिक कार्य

कोविड ने कई बच्चों को अनाथ बना दिया. कई बुजुर्गों से आसरा छीन लिया. कोई अनाथालय पहुंच गया तो कोई वृद्धाश्रम. बिखर चुकी ऐसे लोगों की जिंदगी में जायके से जान डाल रही है युवाओं की टोली. सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभम के इस मुहिम में 150 से ज्यादा युवा जुड़ चुके हैं. शहर में जगह-जगह स्टॉल लगाते हैं. मुनाफे को सरकार के रजिस्टर्ड अनाथालय और वृद्धाश्रम में डोनेट कर देते हैं.

देखें पूरी खबर

9 अक्टूबर 2020 को पीएम मोदी के आह्वान से प्रेरित होकर शुभम ने वोकल फॉर लोकल के नाम से एनजीओ बनाया. एनजीओ के माध्यम से कोरोना से जूझ रहे लोगों तक न केवल मदद पहुंचाई बल्कि जिनके रोजगार छिन गए उन्हें भी स्टार्टअप के तरीके सिखाकर उनके और उनके परिवार तक मदद पहुंचाने का काम किया. शुभम की टीम में युवाओं की भारी भरकम संख्या है जिसमें इंजीनियर, एमबीए, युवा उद्यमी, कृषि विशेषज्ञ, कलाकार और कॉलेज, विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स शामिल हैं. इन युवाओं की टोली रांची में सामाजिक कार्य कर रही है. इन लोगों की इच्छा है कि रांची के बाहर झारखंड के अन्य जिलों में भी काम कर लोगों की सेवा करें.

जानिए कौन है शुभम राठौर

शुभम राठौर मूल रूप से नालंदा बिहार के रहने वाले हैं. लेकिन धनबाद में माता-पिता के साथ रहने के कारण बचपन से ही झारखंड के निवासी हैं. डीपीएस बोकारो से पढ़ाई करने के बाद 2019 में शुभम ने एनआईटी भोपाल से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष की पढ़ाई के समय ही टीसीएस में सेलेक्शन हो गया. शुभम बेंगलुरु में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंपनी में काम कर रहे हैं.

टीसीएस में ज्वाइन करने के कुछ ही महीनों के बाद कोविड के कारण वर्क फ्रॉम होम ने शुभम को रांची आने को विवश कर दिया. कोविड के दौरान लोगों की परेशानी उसे देखी नहीं गई और वे कुछ साथियों के साथ अपनी कमाई के पैसे से समाज सेवा के लिए निकल पड़े. शुभम के कार्यों की सराहना सोशल मीडिया पर खूब हुई जिससे उत्साहवर्धन हुआ. इसके बाद लोग वोकल फॉर लोकल की टीम से जुड़ते चले गए. आज एक वर्ष के सामाजिक कार्य के इस सफर में शुभम के साथ युवाओं की अच्छी खासी फौज है जिसमें हर क्षेत्र से जुड़े लोग शामिल हैं.

बहरहाल, नौकरी के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में जिस लगन और उत्साह के साथ शुभम की यंग प्रोफेशनल टीम लगी हुई वह न केवल अन्य युवाओं को प्रेरणा दे रही है बल्कि जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाकर उनके आंसू भी पोछ रही है.

रांची: कहते हैं परिस्थितियां भले लाख विपरीत हो लेकिन कुछ कर गुजरने की जिद अगर हो तो रास्ता अपने आप बन जाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है युवा इंजीनियर शुभम राठौर ने. बचपन से ही समाज सेवा के प्रति आकर्षित होने वाले शुभम राठौर पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. टीसीएस बेंगलुरू में अच्छी खासी सैलरी के साथ नौकरी करने वाले शुभम ने कोरोना के वक्त वर्क फ्रॉम होम के साथ-साथ समाज सेवा की ओर जो कदम बढ़ाया वो आज तक चल रहा है. आज शुभम की टीम में 150 युवा प्रोफेशनल हैं जो सामाजिक काम कर रहे हैं.

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प्रेरणादायक है शुभम की टीम का सामाजिक कार्य

कोविड ने कई बच्चों को अनाथ बना दिया. कई बुजुर्गों से आसरा छीन लिया. कोई अनाथालय पहुंच गया तो कोई वृद्धाश्रम. बिखर चुकी ऐसे लोगों की जिंदगी में जायके से जान डाल रही है युवाओं की टोली. सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभम के इस मुहिम में 150 से ज्यादा युवा जुड़ चुके हैं. शहर में जगह-जगह स्टॉल लगाते हैं. मुनाफे को सरकार के रजिस्टर्ड अनाथालय और वृद्धाश्रम में डोनेट कर देते हैं.

देखें पूरी खबर

9 अक्टूबर 2020 को पीएम मोदी के आह्वान से प्रेरित होकर शुभम ने वोकल फॉर लोकल के नाम से एनजीओ बनाया. एनजीओ के माध्यम से कोरोना से जूझ रहे लोगों तक न केवल मदद पहुंचाई बल्कि जिनके रोजगार छिन गए उन्हें भी स्टार्टअप के तरीके सिखाकर उनके और उनके परिवार तक मदद पहुंचाने का काम किया. शुभम की टीम में युवाओं की भारी भरकम संख्या है जिसमें इंजीनियर, एमबीए, युवा उद्यमी, कृषि विशेषज्ञ, कलाकार और कॉलेज, विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स शामिल हैं. इन युवाओं की टोली रांची में सामाजिक कार्य कर रही है. इन लोगों की इच्छा है कि रांची के बाहर झारखंड के अन्य जिलों में भी काम कर लोगों की सेवा करें.

जानिए कौन है शुभम राठौर

शुभम राठौर मूल रूप से नालंदा बिहार के रहने वाले हैं. लेकिन धनबाद में माता-पिता के साथ रहने के कारण बचपन से ही झारखंड के निवासी हैं. डीपीएस बोकारो से पढ़ाई करने के बाद 2019 में शुभम ने एनआईटी भोपाल से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष की पढ़ाई के समय ही टीसीएस में सेलेक्शन हो गया. शुभम बेंगलुरु में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंपनी में काम कर रहे हैं.

टीसीएस में ज्वाइन करने के कुछ ही महीनों के बाद कोविड के कारण वर्क फ्रॉम होम ने शुभम को रांची आने को विवश कर दिया. कोविड के दौरान लोगों की परेशानी उसे देखी नहीं गई और वे कुछ साथियों के साथ अपनी कमाई के पैसे से समाज सेवा के लिए निकल पड़े. शुभम के कार्यों की सराहना सोशल मीडिया पर खूब हुई जिससे उत्साहवर्धन हुआ. इसके बाद लोग वोकल फॉर लोकल की टीम से जुड़ते चले गए. आज एक वर्ष के सामाजिक कार्य के इस सफर में शुभम के साथ युवाओं की अच्छी खासी फौज है जिसमें हर क्षेत्र से जुड़े लोग शामिल हैं.

बहरहाल, नौकरी के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में जिस लगन और उत्साह के साथ शुभम की यंग प्रोफेशनल टीम लगी हुई वह न केवल अन्य युवाओं को प्रेरणा दे रही है बल्कि जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाकर उनके आंसू भी पोछ रही है.

Last Updated : Oct 5, 2021, 6:53 PM IST
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