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सिदो कान्हू विश्वविद्यालय के उपनिबंधक शंभू प्रसाद को हाई कोर्ट से राहत, मिली जमानत

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Published : Aug 19, 2020, 9:13 PM IST

साल 2008 में शंभू प्रसाद की नियुक्ति सिदो कान्हू विश्वविद्यालय में उपनिबंधक के रूप में हुई थी. नियुक्ति में गड़बड़ी के मामले में 21 जून 2020 को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, जिसके बाद झारखंड हाई कोर्ट में उन्होंने जमानत याचिका दायर की. बुधवार को अदालत में सुनवाई के बाद उन्हें जमानत की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है.

Sido Kanhu University Deputy Director Shambhu Prasad gets bail from High Court
झारखंड हाई कोर्ट

रांची: सिदो कान्हू विश्वविद्यालय दुमका के उपनिबंधक शंभू प्रसाद को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत में शंभू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को सुनने के बाद उन्हें जमानत की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. जमानत उनकी हिरासत की अवधि को देखते हुए दी गई है.

जानकारी देते अधिवक्ता
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में शंभू प्रसाद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सीबीआई के अधिवक्ता ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद उन्हें जमानत की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. उन्हें 10-10 हजार के दो निजी मुचलके भरने और सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने के शर्त पर जमानत की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से बताया गया कि फर्जी तरीके से इनकी नियुक्ति की गई थी. मामला सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही है, सीबीआई का कहना है कि झारखंड लोक सेवा आयोग की नियुक्ति के समय उनके भाई गोपाल सिंह ने मिली भगत कर अंक बढ़ाकर इन्हें नियुक्त किया गया जो कि गलत था. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप को गलत बताया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत दी है.इसे भी पढे़ं:- हेल्थ मिनिस्टर कोरोना पॉजिटिव, होम क्वॉरेंटाइन में सीएम समेत 8 मंत्री


बता दें कि वर्ष 2008 में शंभू प्रसाद की नियुक्ति उपनिबंधक के रूप में हुई थी. वर्ष 2012 में नियुक्ति घोटाला में सीबीआई जांच प्रारंभ की गई. उसके बाद सीबीआई के विशेष कोर्ट में इनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया, जिसमें आरोप लगा कि उनके भाई ने गड़बड़ी कर इनकी नियुक्ति करवाई है. इसी आरोप में 21 जून 2020 को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. उसके बाद उन्होंने सीबीआई की विशेष अदालत में जमानत याचिका दायर की, जिसे सीबीआई की अदालत ने खारिज कर दिया. उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की, उस याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें जमानत की सुविधा उपलब्ध कराया है.

रांची: सिदो कान्हू विश्वविद्यालय दुमका के उपनिबंधक शंभू प्रसाद को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत में शंभू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को सुनने के बाद उन्हें जमानत की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. जमानत उनकी हिरासत की अवधि को देखते हुए दी गई है.

जानकारी देते अधिवक्ता
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में शंभू प्रसाद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सीबीआई के अधिवक्ता ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद उन्हें जमानत की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. उन्हें 10-10 हजार के दो निजी मुचलके भरने और सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने के शर्त पर जमानत की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से बताया गया कि फर्जी तरीके से इनकी नियुक्ति की गई थी. मामला सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही है, सीबीआई का कहना है कि झारखंड लोक सेवा आयोग की नियुक्ति के समय उनके भाई गोपाल सिंह ने मिली भगत कर अंक बढ़ाकर इन्हें नियुक्त किया गया जो कि गलत था. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप को गलत बताया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत दी है.इसे भी पढे़ं:- हेल्थ मिनिस्टर कोरोना पॉजिटिव, होम क्वॉरेंटाइन में सीएम समेत 8 मंत्री


बता दें कि वर्ष 2008 में शंभू प्रसाद की नियुक्ति उपनिबंधक के रूप में हुई थी. वर्ष 2012 में नियुक्ति घोटाला में सीबीआई जांच प्रारंभ की गई. उसके बाद सीबीआई के विशेष कोर्ट में इनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया, जिसमें आरोप लगा कि उनके भाई ने गड़बड़ी कर इनकी नियुक्ति करवाई है. इसी आरोप में 21 जून 2020 को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. उसके बाद उन्होंने सीबीआई की विशेष अदालत में जमानत याचिका दायर की, जिसे सीबीआई की अदालत ने खारिज कर दिया. उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की, उस याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें जमानत की सुविधा उपलब्ध कराया है.

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