रांची: झारखंड में उच्च शिक्षा से लेकर प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था भी चरमराई हुई है. इसका सबसे बड़ा कारण है शिक्षकों की घोर कमी. राज्य के अधिकतर विश्वविद्यालय अनुबंध शिक्षकों के भरोसे संचालित है. तो वहीं माध्यमिक और प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है.
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झारखंड के सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन की व्यवस्था का हाल बड़ा ही बुरा है. यहां का एजुकेशन सिस्टम पूरी तरह चरमराई हुई है. स्कूलों में शिक्षक हैं ही नहीं और इस वजह से क्वालिटी एजुकेशन तो क्या बच्चों के क्लासेस भी सही तरीके से नहीं चल पा रहे हैं. जब स्कूल में शिक्षकों की कमी होगी, तो बच्चों को कैसे बेहतर पठन-पाठन की व्यवस्था मिल पाएगी. इस स्थिति को राजधानी रांची के स्कूलों से समझा जा सकता है. रांची के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है इसमें प्लस टू स्कूल से लेकर प्राथमिक स्कूल तक शामिल है. जिस स्कूल में 40 से 20 पद सृजित है. वैसे स्कूलों में मात्र 4 या 5 शिक्षक ही पठन-पाठन करवा रहे हैं. कुछ स्कूलों में तो 400 बच्चों में मात्र 2 शिक्षक रह गए हैं. बाकी सृजित पदों के शिक्षक धीरे-धीरे रिटायर हो गए हैं और उनकी जगह पर अब तक नियुक्ति नहीं की गई. जिससे स्कूल प्रबंधकों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
साइंस, मैथ्स, इंग्लिश जैसे सब्जेक्ट के शिक्षकों को इतिहास, भूगोल, नागरिक पढ़ाना पड़ रहा है. रांची के मारवाड़ी स्कूल, जिला स्कूल, बाल कृष्णा स्कूल जैसे स्कूलों में भी स्थिति खराब है. यहां माध्यमिक शिक्षकों के 27 से अधिक पद सृजित हैं. मगर ऐसे स्कूलों में कहीं 12 तो कहीं 10 शिक्षक ही कार्यरत हैं. इन स्कूलों में संस्कृत और भाषा विषय की बात छोड़िए यहां सामान्य विषयों के शिक्षक भी नदारद हैं. वहीं प्राथमिक स्कूलों की हालत भी लगभग वैसे ही हैं. आंकड़ों के मुताबिक राज्य भर में शिक्षकों के 94,913 पद सृजित है. जिसमें 39,408 पद रिक्त हैं. प्राथमिक से लेकर प्लस टू हाई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के कारण बच्चों के पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हैं.
शिक्षकों की कमी के कारण अटेंडेंस भी प्रभावित: बच्चों की मानें तो पठन पाठन तो क्या उनके स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण अटेंडेंस तक नहीं हो पाता है. स्कूल प्रबंधकों ने भी विभाग से शिक्षकों की मांग की है. साथ ही उन्होंने अपनी पीड़ा भी बताई है. इनकी मानें तो शिक्षकों की कमी के कारण और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकारी स्कूलों के बच्चों का रिजल्ट कैसे सुधरेगा, जब उनके लिए शिक्षकों की व्यवस्था ही नहीं है. एक लंबे समय से शिक्षकों की कमी है और इस ओर सरकार का ध्यान बिल्कुल नहीं है. शिक्षकों की कमी को लेकर बार-बार विभाग के साथ चर्चा की गई है, लेकिन अब तक रिटायरमेंट के बाद खाली पड़े पदों को भरा नहीं जा रहा है.
विभाग को है मामले की जानकारी: मामले को लेकर हमारी टीम ने विभागीय अधिकारियों से भी बातचीत की है. उनकी मानें तो शिक्षकों की कमी को दूर करने को लेकर सरकार और विभाग लगातार मंथन कर रही है. इस दिशा में कदम भी उठाए जा रहे थे. लेकिन पंचायत चुनाव के कारण प्रदेशभर में आचार संहिता लागू है और इसी के तहत कुछ प्रक्रिया रुक गई है. आने वाले समय में राज्य के प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूलों में भी शिक्षकों की नियुक्ति होगी. नियमावली के तहत पद भरे जाएंगे.
गंभीर है स्थिति: राज्य के सरकारी स्कूलों की यह हालत आज से नहीं बल्कि एक लंबे समय से है. लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई है और इसी वजह से आज स्कूल प्रबंधकों के साथ-साथ बच्चों को भी पठन-पाठन को लेकर परेशानी उठानी पड़ रही है. लाख दावों के बावजूद राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत नहीं सुधर रही है. मामला गंभीर है और इस ओर ध्यान देने की भी जरूरत है.