रांची: शरीर में अगर कोई परेशानी आती है तो लोग सबसे पहले धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर के पास जाते हैं. जिससे उनके शरीर में आ रही परेशानी को कम किया जाए. लेकिन शरीर का कोई अंग कट जाए, जल जाए या फिर वह किसी कारण खराब हो जाए तो वैसी स्थिति में प्लास्टिक सर्जरी ही एकमात्र उपाय होती है. जिसके माध्यम से लोगों के शरीर को फिर से ठीक किया जा सकता है.
झारखंड के संदर्भ में बात करें तो अभी तक पूरे राज्य में प्लास्टिक सर्जरी करने वाले सर्जन और चिकित्सकों की घोर कमी है. प्लास्टिक सर्जन एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अजय कुमार सिंह बताते हैं कि झारखंड के मेडिकल कॉलेजों में प्लास्टिक सर्जन की पढ़ाई नहीं होती है. रिम्स में कुछ वर्ष पहले ही इसकी शुरुआत हुई है जिस वजह से झारखंड में प्लास्टिक सर्जन नहीं आ पाते. जो कुछ प्लास्टिक सर्जन है वह भी बाहर के राज्यों से पढ़कर झारखंड में सेवा दे रहे हैं.
मात्र 19 प्लास्टिक सर्जन के भरोसे पूरा झारखंड: एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद बताते हैं कि झारखंड में कुल मिलाकर 18 से 19 प्लास्टिक सर्जन हैं जो पूरे राज्य के विभिन्न अस्पतालों में मरीजों को स्वास्थ्य लाभ दे रहे हैं. प्लास्टिक सर्जन एसोसिएशन के अध्यक्ष व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनंत देव सिंह बताते हैं कि झारखंड के 5 मेडिकल कॉलेजों में से सिर्फ रिम्स ही एक ऐसा मेडिकल कॉलेज है जहां पर प्लास्टिक सर्जन की पढ़ाई शुरू हुई है लेकिन वह भी अभी प्रारंभिक स्टेज में ही है. जिस वजह से झारखंड में प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर्स की कमी देखने को मिलती है. रिम्स और एक निजी अस्पताल के अलावा बेहतर प्लास्टिक सर्जन नहीं है.
साधारण सर्जन को भी प्लास्टिक सर्जरी की दी जाए जानकारी: प्लास्टिक सर्जन की घोर कमी को देखते हुए झारखंड के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन अजय कुमार सिंह ने एसोसिएशन की तरफ से सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन की तरफ से हम सरकार की मदद करना चाहते हैं ताकि जो साधारण सर्जन हैं, उन्हें ही प्लास्टिक सर्जरी की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाए. जिससे कभी आकस्मिक स्थिति की समय पर प्लास्टिक सर्जरी का प्रारंभिक इलाज साधारण सर्जन भी कर सके.
झारखंड के गरीब मजदूरों को सबसे ज्यादा प्लास्टिक सर्जन की जरूरत: उन्होंने बताया कि आज भी झारखंड में अत्यधिक गरीबी है जिस वजह से ज्यादातर लोग कारखाने या माइंस के क्षेत्र में काम करते हैं और इसीलिए उनके शरीरों पर गंभीर चोट आती हैं. ऐसी परिस्थिति में प्लास्टिक सर्जरी बहुत ही जरूरी है. लेकिन झारखंड के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में प्लास्टिक सर्जनों की घोर कमी होने के कारण कई बार गंभीर मरीजों के इलाज में देरी और परेशानी होती है.
प्लास्टिक सर्जन की कमी से जिलों में नहीं बन पाया बर्न वार्ड: कुछ वर्ष पूर्व झारखंड के सभी जिलों में बर्न वार्ड खोलने की बात कही गई थी. जिससे नजदीक अस्पताल में ही लोगों को इलाज मिल सके. लेकिन प्लास्टिक सर्जन की घोर कमी होने के कारण यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई और राज्य के किसी भी सदर अस्पताल में बर्न वार्ड की व्यवस्था पूर्ण रूप से नहीं की जा सकी है. झारखंड के गरीब मरीजों को प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा देने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि हादसे के बाद गरीब मरीजों के शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को बचाया जा सके.