रांची: जगन्नाथपुर मेले में सुई से लेकर तलवार तक की बिक्री होती है. लोगों की भीड़ को देखते हुए सिर्फ राजधानी रांची के ही नहीं बल्कि विभिन्न जिलों और आसपास के राज्यों के भी लोग अपनी दुकान सजाने जगन्नाथपुर मेले में पहुंचते हैं. 10 दिनों के मेले में दुकानदार हजारों रुपये कमा कर अपने परिवार और बच्चों का भरण पोषण के लिए धन संरक्षित कर पाते हैं.
ये भी पढ़ें: स्वास्थ्य से खिलवाड़! अब तक नहीं हुई रथ मेला में बिक रही रंग-बिरंगी मिठाइयों की गुणवत्ता जांच
इस वजह से नहीं हो रही बचत: इस वर्ष के जगन्नाथपुर मेले में दुकानदारों के चेहरे पर खुशी नहीं दिख रही है. इस बार दुकानदारों को कमाई से ज्यादा दुकान का भाड़ा जमा करना पड़ रहा है. जगन्नाथपुर मेले में दुकान लगाने वाले दुकानदारों ने बताया कि इस बार दुकान लगाने का लाभ दुकानदारों को नहीं मिल पा रहा है. ठेकेदारों के द्वारा अत्यधिक भाड़ा वसूला जा रहा है. जिस वजह से दुकानदार को लाभ नहीं हो पा रहा है.
दुकानदारों ने क्या कहा: दुकानदारों ने कहा कि जिस तरह से ठेकेदारों के द्वारा भाड़ा वसूला जा रहा है ऐसे में दुकान चालाना मुश्किल है. धनबाद से आए दुकानदार ने बताया कि मूंगफली जैसे खाद्य पदार्थ बेचने से कितनी आमदनी होती है, यह किसी से छुपी नहीं है. लेकिन मूंगफली के दुकानदारों से भी पांच हजार से छह हजार रुपये वसूले जा रहे हैं. मेले में भाड़ा में हुई बढ़ोतरी से परेशान दुकानदारों ने बताया कि पिछले वर्ष मंदिर में चंदा के लिए महज 200 रुपये से 500 रुपये तक लिए जाते थे. इस वर्ष टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से भाड़ा की कीमत सीधे चार गुणा से पांच गुणा कर दी गई है. जो कहीं से भी न्याय उचित नहीं है.
वहीं कई दुकानदारों ने बताया कि ठेकेदारों के द्वारा ज्यादा भाड़ा वसूलने की वजह से उन्हें अपने सामान की कीमतों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ रही है. जिस वजह से दुकान पर ग्राहक भी कम आ रहे हैं. वहीं कई ग्राहकों ने भी बताया कि इस वर्ष मेले में सामानों की कीमत ज्यादा है. लोग जिस उम्मीद के साथ सामान खरीदने आए थे. लोगों की वह उम्मीद पूरी नहीं हो पा रही है. गौरतलब है कि इस वर्ष मंदिर समिति के द्वारा टेंडर के माध्यम से दुकानदारों से भाड़ा वसूला जा रहा है. मंदिर समिति ने आरके इंटरप्राइजेज को दुकानों का भाड़ा वसूलने का टेंडर दिया है.
ठेकेदार ने क्या कहा: आरके इंटरप्राइजेज के ठेकेदार ने बताया कि जो भी भाड़ा लिया जा रहा है, वह मंदिर न्यास समिति की अनुमति के अनुसार लिया जा रहा है. टेंडर में जो शर्तें रखी गई, उसी शर्तों के हिसाब से दुकानदारों से भाड़ा लिया जा रहा है. जिन दुकानदारों से भी भाड़ा लिए गए हैं, उन्हें उस राशि की रशीद भी दी जा रही है ताकि पारदर्शिता बनी रहे.