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मौत के साए में विद्या की देवी की आराधना करने को मजबूर नौनिहाल, प्रशासन बेखबर

राजधानी के बीचों-बीच स्थित सरकारी स्कूल के भवन की हालत जर्जर हो चुकी है. शिक्षा विभाग की लापरवाही और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता की वजह से नौनिहालों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. इस ओर अगर शिक्षा विभाग समय रहते ध्यान नहीं देता है तो कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

स्कूल भवन की जर्जर हालत
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Published : Jun 21, 2019, 4:53 PM IST

रांचीः एक तरफ जहां शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य भर में युद्ध स्तर पर जागरूकता अभियान चला रहा है. वहीं, दूसरी ओर शहर के बीचों-बीच स्कूलों की हालत काफी दयनीय है. जर्जर स्कूल भवनों की दुर्दशा देख आप भी हैरान हो जाएंगे. इन स्कूलों में मौत मंडराता है. ये हाल रांची के करम टोली स्थित राजकीय कृत मध्य विद्यालय का है. इसे शिक्षा विभाग की लापरवाही कहें या फिर विभागीय अधिकारियों की उदासीनता.

देखें स्पेशल स्टोरी

शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण नौनिहालों की स्थिति बेबस है. बच्चे जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर हैं. ये कोई ग्रामीण क्षेत्र नहीं है बल्कि झारखंड की राजधानी के बीचों-बीच स्थित स्कूल की हालत है. भवन जर्जर हो चुकी है, जहां तहां दरारें हैं. छत के ऊपर छड़ दिख रहा है. कभी भी अनहोनी हो सकती है. 15 में से 11 कमरे इस भवन के जर्जर हालत में हैं फिर भी बच्चे यहां शिक्षा लेने के लिए मजबूर हैं. इन्हीं जर्जर भवनों में हर दिन कक्षाएं ली जाती है. डर के साए में शिक्षक भी इन बच्चों को पढ़ाने के लिए विवश हैं.

ये भी पढ़ें-Yoga Day 2019: राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आमलोगों के साथ किया योग

बता दें कि इसके अलावा और भी सरकारी स्कूलों के भवन इसी हालात में है. इस ओर ध्यान देने वाला या सुनने वाला कोई नहीं है. हालांकि मामले को लेकर स्कूल के शिक्षकों ने बार-बार शिक्षा विभाग को अवगत कराया है. इसके बाद भी अब तक इस ओर गंभीर होकर ध्यान नहीं दिया गया है. ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार के विभागीय मंत्री नीरा यादव से सीधे सवाल किया है. जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी.

रांचीः एक तरफ जहां शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य भर में युद्ध स्तर पर जागरूकता अभियान चला रहा है. वहीं, दूसरी ओर शहर के बीचों-बीच स्कूलों की हालत काफी दयनीय है. जर्जर स्कूल भवनों की दुर्दशा देख आप भी हैरान हो जाएंगे. इन स्कूलों में मौत मंडराता है. ये हाल रांची के करम टोली स्थित राजकीय कृत मध्य विद्यालय का है. इसे शिक्षा विभाग की लापरवाही कहें या फिर विभागीय अधिकारियों की उदासीनता.

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शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण नौनिहालों की स्थिति बेबस है. बच्चे जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर हैं. ये कोई ग्रामीण क्षेत्र नहीं है बल्कि झारखंड की राजधानी के बीचों-बीच स्थित स्कूल की हालत है. भवन जर्जर हो चुकी है, जहां तहां दरारें हैं. छत के ऊपर छड़ दिख रहा है. कभी भी अनहोनी हो सकती है. 15 में से 11 कमरे इस भवन के जर्जर हालत में हैं फिर भी बच्चे यहां शिक्षा लेने के लिए मजबूर हैं. इन्हीं जर्जर भवनों में हर दिन कक्षाएं ली जाती है. डर के साए में शिक्षक भी इन बच्चों को पढ़ाने के लिए विवश हैं.

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बता दें कि इसके अलावा और भी सरकारी स्कूलों के भवन इसी हालात में है. इस ओर ध्यान देने वाला या सुनने वाला कोई नहीं है. हालांकि मामले को लेकर स्कूल के शिक्षकों ने बार-बार शिक्षा विभाग को अवगत कराया है. इसके बाद भी अब तक इस ओर गंभीर होकर ध्यान नहीं दिया गया है. ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार के विभागीय मंत्री नीरा यादव से सीधे सवाल किया है. जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी.

Intro:डे प्लान रेडी टू एयर....स्पेशल।

रांची।

एक तरफ जहां शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए राज्य भर में युद्ध स्तर पर जागरूकता अभियान चला रहा है. वहीं दूसरी ओर शहर के बीचोंबीच स्कूलों की हालत काफी गंभीर है. जर्जर स्कूल भवनों की दुर्दशा देख आप हैरान हो जाएंगे. इन स्कूलों में तो मौत मंडराता है .यहां अभिभावक बच्चों को पढ़ने भेजते हैं .लेकिन कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है. इसे शिक्षा विभाग की लापरवाही कहे या फिर विभागीय अधिकारीयों की उदासीनता..


Body:शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण नौनिहालों की स्थिति बेबस है. जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर है और यह कोई ग्रामीण क्षेत्र नहीं है बल्कि यह झारखंड की राजधानी रांची के बीचोंबीच स्थित स्कूल की हालत है .भवन जर्जर हो चुकी है जहां तहां दरारें हैं ,छत के ऊपर छड़ दिख रहा है .कभी भी अनहोनी हो सकती है .15 में से 11 कमरे इस भवन के जर्जर हालत में है फिर भी बच्चे यहां शिक्षा लेने को लेकर मजबूर है .इन्हीं जर्जर भवनों में हर दिन क्लासेस ली जाती है .डर के साए में शिक्षक भी इन बच्चों को पढ़ाने को विवश दिखते हैं .यह हाल है रांची के करम टोली स्थित राजकीय कृत मध्य विद्यालय की. इसके अलावे और भी सरकारी स्कूलों के भवन इसी हालात में है. लेकिन इस ओर ध्यान देने वाला या फिर सुनने वाला कोई नहीं है. हालांकि मामले को लेकर स्कूल के शिक्षकों ने बार-बार शिक्षा विभाग को अवगत कराया है लेकिन अब तक इस ओर गंभीर होकर ध्यान नहीं दिया गया है .ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार के विभागीय मंत्री नीरा यादव से सीधे सवाल किया है. मौके पर उन्होंने कहा है कि अपने संज्ञान में दिया है मामले को गंभीरता से लिया जाएगा.

बाइट-ए के लाल,शिक्षक।

बाइट-नीरा यादव,शिक्षा मंत्री,झारखंड।




Conclusion:शिक्षा विभाग की लापरवाही और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता की वजह से नौनिहालों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है है इस और अगर शिक्षा विभाग समय रहते ध्यान नहीं दिया तो एक बड़ी दुर्घटना घट सकती है.
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